Wednesday, March 5, 2025

मानव में ग्रंथियां (Glands in humans)

मानव में ग्रंथियां (Glands in humans)

 

मानव में ग्रंथियां (glands)

कोशिकाओं के व्यवस्थित समूह को ही ऊतक कहा जाता हैं यही ऊतक मिलकर अंग का निर्माण करते हैं कुछ ऊतक या अंग विशेष प्रकार के रसायन एन्जाइम, हार्मोन का निर्माण करते हैं उन्हें ग्रंथि कहा जाता हैं। ग्रंथि शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रण करने हेतु एन्जाइम बनाती हैं।

ग्रंथि के प्रकार

ग्रंथियां तीन प्रकार की होती हैं

  • बाह्य स्त्रावी ग्रंथि (Exocriane Gland)
  • मिश्रित ग्रंथि (Mixed Gland)
  • अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocriane)

बाह्य स्त्रावी ग्रंथि (Exocriane Gland):

मानव शरीर में उपस्थित वे ग्रंथियां जो अपने द्वारा बनाई गई या उत्पन्न रासायनिकों क्रिया स्थल तक पहुँचने के लिए धमनी की नलिकाओं का इस्तेमाल करती हैं इसी कारण से इन्हें नालिकीय ग्रंथि भी कहते हैं यह मुख्य रूप से एन्जाइम बनाती हैं। उदाहरण – आँशु ग्रंथि, लार ग्रंथि, स्वेद ग्रंथि, श्लेष्मा ग्रंथी।

मिश्रित ग्रंथि (Mixed Gland):

वह ग्रंथि जो अपने द्वारा बनाए गए या निर्मित रसायन को क्रिया स्थल तक पहुंचने में कुछ दूरी तक तो अपने ही नलिकाओं का उपयोग करती हैं। लेकिन इसके बाद उस रसायन को रक्त के माध्यम से या अन्य किसी नालिका के माध्यम से क्रिया स्थल तक पहुँचाती हैं मिश्रित ग्रंथि कहलाती हैं। मानव शरीर में एक मात्र मिश्रित ग्रंथि अग्न्याशय ग्रंथि हैं।

अन्तःस्त्रावी ग्रंथि (Endocriane):

वे ग्रंथियां जो अपने द्वारा बनाई गई रसायन क्रिया स्थल पर पहुँचने में खुद की नलिकाओं का उपयोग नहीं करती इसी कारण से इन्हें नालिका विहीन ग्रंथि भी लाहा जाता है यह मुख्य रूप से हार्मोन्स का निर्माण करती है। कुछ अन्तःस्त्रावी ग्रंथिया –

  • पीयूष ग्रंथि
  • थायराइड ग्रंथि
  • परा अबटु ग्रंथि
  • थाइमस ग्रंथि
  • अग्न्याशय ग्रंथि
  • अधि व्रक्त ग्रंथि
  • जनन ग्रंथियां

1. पीयूष ग्रंथि (Pitutray Gland)

यह मानव शरीर की मुख्य ग्रंथि मानी जाती हैं जो कि मस्तिष्क में उपस्थित होती हैं यह सबसे छोटी ग्रंथि भी होती हैं इसका कुल वजन 0.6 ग्राम होता हैं इस ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की भिन्न ग्रंथियों को अंगों को उत्प्रेरक के तौल पर नियंत्रण करते है। इसी कारण से इस ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है।

पीयूष ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन-

  • S. T. H. (Somato Tropic Hormone) हार्मोन/ शरीर वृद्धि हार्मोन
  • T. S. H. (Thyroid Stimulated Harmons)
  • G. T. H (Ganado Tropic harmons)
  • Lectogenic harmons

2. थाइरॉक्सिन ग्रंथि (Thyroxin Gland)

यह ग्रंथि गले में जोड़े के रूप में मौजूद होती हैं जो कि ट्रेकिया (श्वसन तंत्र का मध्य भाग) के दोनों तरफ स्थित होती हैं इससे निकलने वाला हार्मोन थायरोक्सिन शरीर में (रक्त में) आयोडीन की मात्रा का निर्धारण करता है।

थाइरॉक्सिन ग्रंथि के कार्य

  • यह कोशिकीय श्वसन की गति को तेज करता हैं।
  • यह शरीर की सामान्य वृद्धि विशेषतः हड्डियों, बाल इत्यादि के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
  • जनन अंगों के सामान्य कार्य इन्हीं की सक्रियता पर आधारित रहते हैं।
  • पीयूष ग्रंथि के हार्मोन के साथ मिलकर शरीर में जल सन्तुलन का नियंत्रण करते है।

थाइरॉक्सिन की कमी से होने वाले रोग

  • जड़मानवता (Cretinism)
  • घेघां (Goitre)
  • हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism)
  • मिक्सिंडमा

जड़मानवता:- यह जन्म से पूर्व (गर्भावस्था में) आयोडीन की कमी होने से होता हैं इस रोग से शिशु का सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास रुक जाता हैं।

घेघां:- भोजन में आयोडीन की कमी से यह रोग हो जाता हैं इस रोग में थायरॉयड ग्रंथि प्रभावित होती है तथा उसके आकार में बहुत वृद्धि हो जाती हैं।

हाइपोथायरायडिज्म:- लम्बे समय तक इस हार्मोन की कमी होने के कारण यह रोग होता हैं इस रोग के कारण सामान्य जनन-कार्य संभव नहीं हो पाता कभी-कभी इस रोग के परिणामस्वरूप मनुष्य गुगा एवं बहरा भी हो जाता हैं।

मिक्सिंडमा:- यौननावस्था में होने वाले इस रोग में उपापचय भली-भांति नहीं हो पाता, जिससे हृदय-स्पंदन तथा रक्त-चाप कम हो जाता है।

आयोडीन की अधिकता से होने वाले रोग

  • Toxin Goiter:- रक्त चाप (BP) बढ़ जाता हैं।
  • Exophthalmia:- नेत्र गोलक सूजन।

3. पराअबटु ग्रंथि (Thyroid Gland)

यह ग्रंथि भी गले में जोड़े के रूप में उपस्थित होती हैं, तथा इसके द्वारा निर्मित हार्मोन शरीर में (रक्त में) कैल्सियम की मात्रा का निर्धारण करता है।

4. थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland )

यह ग्रंथि सीने में जोड़े के रूप में मौजूद होती हैं इससे बनने वाला हार्मोन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता हैं वृद्धावस्था में यह ग्रंथि काम करना बंद कर देती हैं। जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है और कई बीमारियां होने लगती हैं।

5. अग्न्याशय ग्रंथि (Pancreas Gland )

इसके द्वारा उत्पन्न रासायनिकों के बारे में सर्वप्रथम लैंगर हैंस (चिकित्सा वैज्ञानिक) के द्वारा बताया गया, इस ग्रंथि से एक पाचक रस निकलता हैं जिसका PH मान 6.5 से 8.2 तक होता हैं।

6. अधिव्रक्त ग्रंथि (Adrenal Gland)

अधिव्रक्त ग्रंथि अग्न्याशय के नीचे उपस्थित होती हैं तथा ये 2 प्रकार की होती है –

  1. Cortex
  2. Medula

Cortex:- यह बाहरी हिस्सा हैं इससे निकलने वाले हार्मोन रक्त में नमक, शर्करा, जनन ग्रंथि को नियत्रिंत करने में सहायक होते हैं। यह जीवन का नितांत आवश्यक हिस्सा होता हैं। इसकी अनुपस्थिति में जीवन केवल 2 सप्ताह का ही बचता हैं।

Medula:- यह अधिवृक्त ग्रंथि का आंतरिक हिस्सा होता हैं इससे निकलने वाले हार्मोन (एमीनों अम्ल) लगभग समान काम करते हैं इनसे शरीर में तनाव पैदा होता है।

इस ग्रंथि को 4S ग्रंथि (S – Salt, S – Sugar, S – Sex, S – Stress) कहा जाता हैं। हार्मोन के कारण इस ग्रंथि को (उड़ो, लड़ो, मरो) वाली ग्रंथि कहा जाता हैं।

7. जनन ग्रंथियां (Genital Gland)

यह ग्रंथियां महिलाओं एवं पुरुषों में अलग-अलग होती हैं। यह ग्रंथियां शरीर के तापक्रम पर काम नहीं करती इसी कारण से यह शरीर के बाहर उपस्थित एक मात्र अन्तः स्त्रावी ग्रथि होती हैं। इस ग्रंथि से Testestaron हार्मोन निकलता हैं। जो कि पुरुषों में वयस्कता को प्रदर्शित करता हैं।


         मुख्य ग्रंथियाँ ( Important Glands)

1) हार्डेरियन ग्रंथियाँ (Harderian glands) - नेत्रों में स्राव चिकनाई प्रदान करती हैं।
2) यूट्रीकुलर ग्रंथियाँ (Utricular glands ) - काॅकरोच एवं कीटों के मादा जननांगों में ।
3) श्लेष्म ग्रंथियाँ ( Mucous glands) - मेंढक की त्वचा में म्यूकस स्राव करते हैं।
4) ब्रूनर्स ग्रंथियाँ (Bruners glands) - कशेरुक प्राणियों के यूडिनम में सक्कस एन्टेरिकस स्राव करती हैं।
5) पैरोटिक ग्रंथियाँ (Parotic glands) - भेक मेंढक में विषैली ग्रंथियाँ।
6) प्रोस्टेट ग्रंथियाँ ( Prostate glands) - स्तनियों तथा केचुए के नर जननांगों की सहायक ग्रंथियाँ ।
7) काउपर ग्रंथियाँ (Cowper's glands) - स्तनियों के नर जननांगों की सहायक ग्रंथियाँ।
8) बारथोलिन ग्रंथियाँ ( Bartholin's glands) - स्तनियों के मादा जननांगों  में काउपर समान सहायक ग्रंथियाँ ।
9) पैरीनियल ग्रंथियाँ (Parineal glands) - खरगोश में गन्ध ग्रंथियाँ।
10) मैहलीस ग्रंथियाँ (Mehlis glands) - फीताकृमि एवं यकृत कृमि के जननांगों से सम्बन्धित ग्रंथियाँ ।
11) फैलिक ग्रंथियाँ ( Phallic galnds) - तिलचटटे के नर जननांगों की ग्रंथियाँ।
12) कोलोटिरियल ंंग्रंथियाँ (Collaterial glands) - मादा तिलचटटे के जननांगों में सावन ऊथीका का निर्माण।
13) वाइटेलाइन ग्रंथियाँ (Vitelline glands) - प्लेटीहैल्मिन्थीस प्राणियों के जननांगों में।
14) फीमोरेल ग्रंथियाँ (Femoral glands) - रेप्टाइल प्राणियों की जंघाओं पर पाई जाती हैं।
15) आँत ग्रंथियाँ (Crypts of lieberkuhn) - कशेरुक प्राणियों की आँतों में ।
16) वसा ग्रंथियाँ (Fat glands) - स्तनियों की त्वचा में पाई जाती है।
17) स्वेद ग्रंथियाँ (Sudoriferous glands) - स्तनियों की त्वचा में पसीने की ग्रंथियाँ।
18) स्वेमरेडन ग्रंथियाँ - मेढ़क में स्पाइनल के दोनों स्थित होती हैं।
19) स्तनि ग्रंथियाँ (Mammary glands) - स्तनियों में दूध का स्राव करती हैं।
20) सैरूमिनस ग्रंथियाँ ( Ceruminous glands) - स्तनियों की कर्णगुहा में मोम समान पदार्थ स्राव करती हैं।
21) लैक्राइमल ग्रंथियाँ (Lachrymal glands) - नेत्रों में होती हैं।
22) डीप ग्रंथियाँ - संयुक्त नलाकार ग्रसनीय ग्रंथियाँ ,म्यूकस स्रावित करती हैं।
23) भौंल ग्रंथियाँ - स्तनियों के नेत्रों में विशेष प्रकार के स्वेद ग्रंथियाँ।
24) टाॅरसल ग्रंथियाँ (Torsal glands) - रूपान्तरित वसा ग्रंथियाँ जो स्तनियों की कर्ण गुहा में पाई जाती हैं।
25) रूधिर ग्रंथियाँ ( Blood glands) - केंचुए के ग्रासनीय क्षेत्र में पाई जाती हैं ,हीमोग्लोबिन तथा रुधिर कोशिकाओं का निर्माण करती हैं।
26) एग्रिगेट ग्रंथि (Aggregate glands) - यह मुख्यतः आँत के इलियम में पाई जाती हैं।
27) लस्कास ग्रंथि (Luschka's glands) - यह ग्रंथि काॅक्सिजियल शीर्ष पर पाई जाती हैं।

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