Saturday, June 24, 2023

ऊष्मा (Heat)


 
     ऊष्मा (Heat)

                 ऊष्मा, ऊर्जा का एक स्वरूप है । वह ऊर्जा जिसके कारण किसी वस्तु की गर्माहट (hotness) का आभाष होता है, ऊष्मीय ऊर्जा कहलाती है ।

पदार्थ के आणविक सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक पदार्थ मिलकर बना है । ये अणु लगातार सभी सम्भव दिशाओं में सभी वेगों से स्वैच्छिक रूप से गति करते रहते हैं । इस गति के कारण इनमें गतिज ऊर्जा होती है । अणुओं की इस अनियमित गति के कारण वस्तु की ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा(Thermal of energy) कहते हैं ।

अतः वस्तु में अणुओं की गतिज ऊर्जा ही ऊष्मीय ऊर्जा की माप है । किसी वस्तु को किसी बाह्य स्त्रोत द्वारा (अर्थात गरम करके) ऊष्मा देने पर वस्तु का ताप बढ़ता है अर्थात् वस्तु की ऊष्मीय ऊर्जा अधिक होने पर उसका ताप भी बढ़ जाता है । अणुओं में परस्पर आकर्षण बल होने के कारण उनमें स्थितिज ऊर्जा भी होती है ।

अतः किसी वस्तु में पदार्थ के अणुओं की समस्त गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा ही वस्तु की आंतरिक ऊर्जा कहलाती है ।

अर्थात्-

  विज्ञान के इतिहास में ऊष्मा  के इतिहास का महत्वपूर्ण स्थान है। ऊष्मा, जीवन के साथ गहराई से जुड़ी हुई है और उसे पृथक करके जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मानव द्वारा 'आग पैदा करना' ऊष्मा के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। आधुनिक वैज्ञानिक तो ऊष्मा के सूक्ष्म प्रकृति का अध्ययन करते हैं।

    ऊष्मा से सम्बन्धित सिद्धान्तों के इतिहास में आग सम्बन्धी मिथिकल सिद्धान्तों से लेकर, ऊष्मा, टेरापिङुइस (Terra pinguis), फ्लोगिस्तन (phlogiston), अग्नि वायु (fire air), उषिक सिद्धान्त  (caloric), ऊष्मा का सिद्धान्त, ऊष्मा का यान्त्रिक तुल्यांक ( machanical equivalent of heat), , थर्मोस-गतिकी (Thermos-dynamics), उष्मागतिकी  आदि प्रमुख पड़ाव हैं।

    ऊष्मा के सामान्य प्रभावों का स्पष्टीकरण करने के हेतु अग्नि-परमाणुओं का अविष्कार किया गया, जो पदार्थ के रध्रों के बीच प्रचण्ड गति से दौड़ते हुए तथा उसके अणुओं को तितर-बितर करते हुए माने गए थे। विचार था कि इसके फलस्वरूप ठोस पदार्थ द्रव में तथा द्रव वाष्प में परिवर्तित होते हैं।

   विज्ञान के आरंभिक युग से लेकर वर्ममान शताब्दी के प्रारम्भ तक उष्मा की प्रकृति के संबंध में दो प्रतिद्वंद्वी परिकल्पानएँ साधारणतया चली आई हैं। एक तो है कैलोरिक थ्योरी जिसके अनुसार उष्मा को एक अति सूक्ष्म लचीला द्रव माना गया था जो पदार्थो के रध्रों में प्रवेश करके उनके अणुओं के बीच के स्थान को भर लेता है। 

दूसरा है प्राचीन यूनानियों द्वारा चलाया गया सिद्धान्त जिसमें उष्मा के आधुनिक सिद्धांत का अंकुर पाया जाता है। इसके अनुसार उष्मा पदार्थ के कणों के द्रुत कम्पन के कारण होती हैं; अत: इस मत के अनुसार उष्मा का कारण गति है। इस सिद्धान्त के पोषक बहुत दिनों तक अल्पमत में रहे।

    प्रेक्षण पर आधारित सिद्धान्त की रचना में प्रथम प्रयत्न लार्ड बेकन ने किया तथा वे इस परिणाम पर पहुँचे कि उष्मा गति हैं।इंग्लैण्ड में उनके अनुयायियों के मत से यह 'गति' पदार्थ के अणुओं की थी। परन्तु यूरोप के अधिकतर वैज्ञानिकों के मतानुसार यह एक अतिसूक्ष्म तथा लचीले द्रव के कणों की मानी गई जो पदार्थ के रध्रों में अन्तःप्रविष्ट होकर उसके कणों के बीच स्थित माना गया था।

◆ ऊष्मा वह ऊर्जा (Energy) है, जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में केवल तापांतर (Temperature Difference) के कारण स्थानांतरित होती है। किसी वस्तु में निहित ऊष्मा उस द्रव्य के द्रव्यमान पर निर्भर करती है।
◆ जब कभी कार्य W ऊष्मा Q में बदलता है, या ऊष्मा कार्य में बदलती है, तो किये गये कार्य व उत्पन्न ऊष्मा का अनुपात एक स्थिरांक होता है, जिसे ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical Equivalent of Heat) कहते हैं तथा इसको J से प्रदर्शित करते हैं। यदि W कार्य करने से उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा Q हो तो-
W/Q = J W = JQ
J का मान 4186 जूल/किलो कैलोरी या 4.186 जूल/कैलोरी या 4.186X107​ अर्ग/कैलोरी होता है। इसका तात्पर्य हुआ कि यदि 4186 जूल का यांत्रिक कार्य किया जाये तो उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा है
1 किलो कैलोरी होगी।
ऊष्मा के मात्रक (Units of Heat)
◆  ऊष्मा का SI मात्रक जूल है। इसके लिए निम्न मात्रक का भी प्रयोग किया जाता है-
(i) कैलोरी (Calorie) : एक ग्राम जल का ताप 1° बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को अन्तरराष्ट्रीय कैलोरी कहते हैं। इसी प्रकार एक किग्रा. पानी का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को किलोकैलोरी कहते हैं।
(ii) अन्तरराष्ट्रीय कैलोरी (International Calorie) : एक ग्राम शुद्ध जल का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को अन्तरराष्ट्रीय कैलोरी कहते हैं। इसी प्रकार एक किग्रा. पानी का ताप 14.5°C से 15.5°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को किलोकैलोरी कहते हैं।
(iii) ब्रिटिश थर्मल यूनिट (B.Th.U.) : एक पौंड जल का ताप 1°F बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को IB.Th.U कहते हैं।
विभिन्न मात्रकों में सम्बन्ध :
1B.ThU – 252 कैलोरी
1 कैलोरी = 4.186 जूल
1 किलोकैलोरी = 4.186 जूल = 1000 कैलोरी

ताप (Temperature)

ताप की अभिधारणा (Concept of Temperature)

ताप (Temperature)
    वह कारण जिससे ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, ताप कहलाता है ।
ताप वह भौतिक राशि है जो किसी वस्तु की गर्माहट अथवा ठण्डक की मात्र को मापती है । यदि हम किसी जलती हुई वस्तु को छूकर देखें तो वह गरम लगती है । इसी प्रकार यदि बर्फ को छूकर देखें तो वह ठंडी लगती है ।

यदि इस बर्फ में शोरा मिलाकर रख दें तो छूने पर यह हमें बर्फ से भी ज्यादा ठण्डा लगता है । इसका अर्थ है की बर्फ, शोरे व बर्फ के मिश्रण से अधिक गर्म कही जायेगी । स्पष्ट है कि कोई वस्तु एक वस्तु के सापेक्ष यदि गर्म है तो दूसरी वस्तु के सापेक्ष ठण्डी हो सकती है । गर्माहट व ठण्डक का यह गुण ही तप्तता या ताप कहलाता है ।

एक गर्म वस्तु का ताप ठण्डी वस्तु की अपेक्षा अधिक होता है । हम जानते हैं कि जब गर्म व ठण्डी वस्तुओं को एक-दूसरे के संपर्क में लाते हैं, तो ऊष्मा का प्रवाह गर्म वस्तु से ठण्डी वस्तु में होता है । यह प्रवाह तब तक होता रहेगा जब तक कि दोनों का ताप समान न हो जाये । यह स्थिति तापीय साम्य (thermal equilibrium) कहलाती है; अतः 

ताप वह भौतिक राशि है जो ऊष्मा प्रवाह की दिशा को निर्धारित करती है ।

गतिज सिद्धान्त के अनुसार किसी वस्तु का ताप उसके अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा की माप है । जब किसी वस्तु गर्म किया जाता है, तो तापीय प्रक्षोभ (thermal agitation) के कारण उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है; अतः वस्तु की गर्माहट कि मात्रा भी बढ़ती है ।
◆ ताप वह भौतिक कारक है, जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में ऊष्मीय ऊर्जा के प्रवाह की दिशा निश्चित करता है। अर्थात् जिस कारण से ऊर्जा स्थानांतरण होती है, उसे ताप कहते हैं। ताप मापने (Measurement) के लिए जिस उपकरण को प्रयोग में लाया जाता है, उसे तापमापी (Thermometer) कहते हैं।
ताप मापने के पैमाने (Scales of Temperature Measurement)
◆निम्न प्रकार के ताप पैमाने प्रचलित हैं-
(i) सेल्सियस पैमाना (Celsius Scale) : इस पैमाने का आविष्कार स्वीडेन के वैज्ञानिक सेल्सियस ने किया था। इस पैमान में हिमांक बिन्दु या निचले बिन्दु को 0°C व भाप बिन्दु या ऊपरी बिन्दु को 100°C में अंकित किया जाता है तथा इनके बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक भाग को 1°C कहते हैं। इस पैमाने का उपयोग अधिक वैज्ञानिक कारणों के लिए किया जाता है।
(ii) फारेनहाइट पैमाना (Fahrenheit Scale) : इस पैमाने का आविष्कार जर्मन वैज्ञानिक फारेनहाइट ने किया था। इस पैमाने में ताप को अंग्रेजी के बड़े अक्षर F से प्रदर्शित करते हैं। इस पैमाने में हिमांक बिन्दु या निचले बिन्दु को 32°F तथा भाप बिन्दु या ऊपरी बिन्दु को 212°F पर अंकित किया जाता है तथा इनके बीच की दूरी को 180 बराबर भागों में
बाँट दिया जाता है। एक भाग का मान 1°F होता है।
(iii) रयूमर पैमाना (Reamur Scale) : इस पैमाने पर हिमांक बिन्दु या निचले बिन्दु को 0°R तथा भाप बिन्दु या ऊपरी बिन्दु को 80°R पर अंकित किया जाता है। इन दोनों बिन्दुओं के बीच की दूरी को 80 बराबर भागों में बाँट दिया जाता है। इस पैमाने पर ताप को R से प्रदर्शित करते हैं।
(iv) केल्विन पैमाना (Kelvin Scale) : इस पैमाने पर हिमांक बिन्दु या निचले बिन्दु को 273K तथा भाप बिन्दु या ऊपरी बिन्दु को 373K पर अंकित किया जाता है। इन दोनों बिन्दुओं के बीच की दूरी को समान 100 भागों में बाँट दिया जाता है। इस पैमाने पर ताप को केल्विन (K) से व्यक्त किया जाता है।
उपरोक्त चारों पैमाने में सम्बन्ध
C / 100 = F – 32 / 180 = R – 0 / 8 – 0 = K – 273 / 100
◆ पहले सेल्सियस पैमाने को सेंटीग्रेड पैमाना कहा जाता था।
◆ केल्विन में व्यक्त ताप में डिग्री (°) नहीं लिखा जाता है।
◆ पारा-39°C पर जमता है, अत: इससे निम्न ताप ज्ञात करने के लिए अल्कोहल तापमापी का प्रयोग किया जाता है। अल्कोहल -115°C पर जमता है।
तापमापी (Thermometers)
◆ तापमापी एक ऐसा यंत्र है, जिससे ताप मापा जाता है। मुख्य रूप से अल्कोहल व पारा ही ऐसे द्रव हैं, जो थर्मामीटर में प्रयोग किये जाते हैं। विभिन्न परिसरों का ताप मापने के लिए निम्नलिखित प्रकार के तापमापी प्रयोग में लाये जाते हैं-
(i) द्रव तापमापी : इस प्रकार के तापमापी का उदाहरण पारे का तापमापी है। पारा तापमापी लगभग -30°C से 350°C तक के ताप मापने के लिए प्रयुक्त होता है।
(ii) गैस तापमापी : इस प्रकार के तापमापियों में स्थिर आयतन हाइड्रोजन गैस तापमापी से 500°C तक के ताप को मापा जा सकता है। हाइड्रोजन की जगह नाइट्रोजन गैस लेने पर 1500°C तक के ताप का मापन किया जाता सकता है।
(iii) प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी : ताप बढ़ाने से धातु के तार के विद्युत प्रतिरोध में परिवर्तन होता है। इसी सिद्धान्त पर प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी कार्य करता है। इसके द्वारा -200°C से 1200°C तक के ताप को मापा जाता है।
(iv) ताप-युग्म तापमापी : ताप-युग्म तापमापी (Theromo-couple Thermometer) का उपयोग 200°C से 1600°C तक के तापों के मापन के लिए किया जाता है।
(v) पूर्ण विकिरण उत्तापमापी : पूर्ण विकिरण उत्तापमापी (Total Radiation Pyrometer) से दूर स्थित वस्तु के ताप को मापा जाता है, जैसे- सूर्य का ताप। इसके द्वारा प्राय: 800°C से ऊँचे ताप ही मापे जा सकते हैं। इससे नीचे का ताप नहीं, क्योंकि इससे कम ताप की वस्तुएँ ऊष्मीय विकिरण उत्सर्जित नहीं करती हैं। यह तापमापी स्टीफेन के नियम (Stefan’s Law)
पर आधारित है, जिसके अनुसार उच्च ताप पर किसी वस्तु से उत्सर्जित विकिरण की मात्रा इसके परमताप (Absolute Temperature) के चतुर्थघात के अनुक्रमानुपाती होती है।
◆ परमशून्य (Absolute Zero) : सिद्धान्त रूप में अधिकतम ताप की कोई सीमा नहीं है परन्तु निम्नतम ताप की सीमा है। किसी भी वस्तु का ताप -273.15°C से कम नहीं हो सकता है। इसे परमशून्य ताप कहते हैं। केल्विन पैमाने पर OK लिखते हैं। अर्थात् OK = 273.15°C एवं 273.16K = 0°C
विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat)
◆ किसी पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा, ऊष्मा की वह मात्रा है जो उस पदार्थ की विशिष्ट द्रव्यमान में एकांक ताप वृद्धि उत्पन्न करती है। इसे प्रायः ‘C’ द्वारा व्यक्त किया जाता है। विशिष्ट ऊष्मा का SI मात्रक जूल किलोग्राम¯¹ केल्विन‾¹ (JKg¯¹K¯¹) होता है।
◆ एक ग्राम जल का ताप 1°C बढ़ाने के लिए एक कैलोरी ऊष्मा की जरूरत होती है। अत: जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता एक कैलोरी/ग्राम°C होता है। जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता अन्य पदार्थों की तुलना में सबसे अधिक होती है।
कुछ पदार्थों की विशिष्ट ऊष्मा
क्र. सं.पदार्थ के नामविशिष्ट ऊष्मा
1.पानी1.0
2.लोहा0.11
3.एल्युमिनियम0.21
4.मैग्नीशियम0.25
5.शीशा 0.03
6.कार्बन0.17
7. ज़िंक 0.092
8.संगमर्मर 0.21
9.बर्फ0.50
10.बालू0.50
11.एल्कोहल0.60
12.पीतल0.09
13.तारपीन0.42
गुप्त ऊष्मा (Latent Heat)
◆ जब पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन होता है, तो उसका ताप स्थिर रहता है। अवस्था परिवर्तन के समय स्थिर ताप पर पदार्थ के एकांक द्रव्यमान को दी गयी आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गुप्त ऊष्मा कहते हैं। गुप्त ऊष्मा का SI मात्रक जूल/किग्रा है।
     गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion)

नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे L द्वारा सूचित किया जाता है।

* बर्फ के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा का मान 80 कैलोरी/ग्राम होता है।

* यदि m द्रव्यमान का ठोस गलनांक पर हो और उस स्थिति में उसे द्रव में पूर्णत बदलने के लिए Q ऊष्मा देनी पड़ी हो तो उसके गलने की 

* बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा = 3.34 x 10⁵J/kg या 80 cal/gm-1

   इस पर भी नज़र डालें:-- 100 महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

      वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporisation)
नियत ताप पर किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान के द्रव-अवस्था से वाष्प-अवस्था में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इसे Lद्वारा सूचित किया जाता है।
* जल के लिए वाष्पन की गुप्त ऊष्मा का मान 5.40 कैलोरी/ग्राम है।
* गुप्त ऊष्मा का SI मात्रक जूल/kg है।
* उबलते जल की अपेक्षा भाप से जलने पर अधिक कष्ट होता है, क्योंकि जल की अपेक्षा भाप की गुप्त ऊष्मा अधिक होती है।
* 0°C पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक-शोरा मिलाने से बर्फ का गलनांक 0°C से घटकर – 22°C तक कम हो जाता है। ऐस मिश्रण को हिम-मिश्रण कहते हैं।
* इस मिश्रण का उपयोग कुल्फी, आइसक्रीम आदि बनाने में किया जाता है।
* यदि क्वथनांक पर किसी द्रव के m द्रव्यमान को गैस में पूर्णत: बदलने के लिए Q ऊष्मा देनी पड़ती है तो इसके वाष्पन की गुप्त ऊष्मा
L=Q/M
इसकी विमा [L²T²] है।
* इसका SI मात्रक Jkg-1 है जिसे cal kg-1 या cal gm-1 में भी व्यक्त करते हैं।

* पानी के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 2.26 x 10⁶ Jkg-1 या 540 cal ɡm¹ होती है 

◆ 0°C पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक, शोरा मिलाने से बर्फ का गलनांक 0°C से घटकर -22°C
तक कम हो जाता है। ऐसे मिश्रण को हिम-मिश्रण (Freezing Mixture) कहते हैं। इस मिश्रण
का उपयोग कुल्फी, आईसक्रीम आदि बनाने में किया जाता है।
अवस्था परिवर्तन तथा गुप्त ऊष्मा (Change of State and Latent Heat)
◆ निश्चित ताप पर पदार्थ का एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित होना अवस्था परिवर्तन कहलाता है। अवस्था परिवर्तन में पदार्थ का ताप नहीं बदलता है।
◆ त्रिक बिन्दु : वह बिन्दु जिस पर तीनों अवस्थाएँ ठोस, तरल (द्रव) एवं गैस एक साथ पायी जाती है।
गलनांक (Melting Point)
◆ निश्चित ताप पर ठोस का द्रव में बदलना गलन कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को ठोस का गलनांक कहते हैं।
◆ जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर सिकुड़ते हैं, (जैसे- बर्फ) उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर घटता है तथा जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर फैलते हैं, उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर बढ़ता है।
◆ अपद्रव्यों (Impurities) को मिलाने से गलनांक सामान्यतः घटता है। उदाहरणार्थ- 0°C पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक तथा शोरा आदि मिलाने से बर्फ का गलनांक 0°C से घटकर -22°C तक कम हो जाता है। ऐसे मिश्रण को हिम-मिश्रण (Freezing Mixture) कहते हैं। इस मिश्रण का उपयोग कुल्फी तथा आइसक्रीम आदि बनाने में किया जाता है।
हिमांक (Freezing Poing)
◆ निश्चित ताप पर द्रव के ठोस में बदलने को हिमीकरण कहते हैं यह निश्चित ताप द्रव का हिमांक कहते हैं।
◆ प्राय: गलनांक एवं हिमांक बराबर होते हैं।
क्वथनांक (Boiling Point)
◆ निश्चित ताप पर द्रव का वाष्प में बदलना वाष्पन कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं। दाब बढ़ाने पर क्वथनांक बढ़ता है। अशुद्धियों (Impurities) को मिलाने से भी क्वथनांक बढ़ता है।
संघनन (Condensation)
◆ निश्चित ताप पर वाष्प का द्रव में बदलना संघनन कहलाता है।
◆ प्रायः क्वथनांक एवं संघनन का ताप समान होता है।
ऊष्मा ग्राहिता (Thermal Capacity)
◆ ऊष्मा का वह परिमाण जो वस्तु के तापमान को 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक होता है, वस्तु की ऊष्मा – ग्राहिता कहलाता है
वाष्पीकरण (Evaporation)
◆ द्रव के खुली सतह से प्रत्येक ताप पर धीरे धीरे द्रव का अपने वाष्प में बदलना वाष्पीकरण कहलाता है।
प्रशीतक (Refrigerator)
◆ प्रशीतक में वाष्पीकरण द्वारा ठंडक (Cooling) उत्पन्न की जाती है। तांबे की एक वाष्प कुंडली में द्रव फ्रीऑन भरा रहता है जो वाष्पीकृत होकर ठंडक उत्पन्न करता है।
आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)
◆ किसी दिये हुए ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा तथा उसी ताप पर, उसी आयतन की वायु को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के अनुपात  को सापेक्षिक आर्द्रता कहते हैं। इस अनुपात को 100 से गुणा करते हैं, क्योंकि आपेक्षिक आर्द्रता को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
◆ समाचारों में मौसम सम्बन्धी जानकारी आपेक्षिक आर्द्रता को प्रतिशत में व्यक्त करते हैं। आपेक्षिक आर्दता को मापने के लिए हाइग्रोमीटर (Hygrometer) नामक यंत्र का प्रयोग करते हैं।
◆ ताप बढ़ाने पर आपेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity) बढ़ जाती है।
वातानुकूलन (Air-Conditioning)
सामान्यतः मनुष्य के स्वास्थ्य व अनुकूल जलवायु के लिए निम्नलिखित परिस्थतियाँ होनी चाहिए-
(i) ताप : 23°C से 25°C
(ii) आपेक्षिक आर्द्रता : 60 प्रतिशत से 65 प्रतिशत के मध्य
(iii) वायु की गति : 0.75 मी/मिनट से 2.5मी/मिनट तक
यदि किसी स्थान की जलवायु उपर्युक्त परिस्थितियों के अनुसार नहीं होती है तो वह जलवायु मनुष्य के लिए आरामदेह व स्वस्थ्यकर नहीं होती है। अतः इसको अनुकूल बनाने के लिए इन बाह्य परिस्थितियों को कृत्रिम रूप से निर्धारित व नियंत्रित करने की प्रक्रिया को ही वातानुकूलन कहते हैं।
उष्मा का संचरण (Transmission of Heat)
◆ पदार्थ में तापांतर के कारण ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण होता है। जिस प्रकार कोई द्रव सदैव ऊँचे तल से नीचे तल की ओर बहता है, ठीक उसी प्रकार से ऊष्मा भी ऊँचे ताप की वस्तु से नीचे ताप की वस्तु की ओर जाती है। ऊष्मा के इस स्थानांतरण को ही ऊष्मा का संचरण कहते हैं। ऊष्मा का संचरण निम्नलिखित तीन विधियों से होता है-
1. चालन 2. संवहन और 3. विकिरण।
1. चालन (Conduction)
◆ चालन के द्वारा ऊष्मा पदार्थ के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पदार्थ के कणों को अपने स्थान का परित्याग किये बिना पहुँचती है। ठोस पदार्थ में ऊष्मा का संचरण चालन विधि द्वारा होता है। पदार्थ में चालन द्वारा ऊष्मा का संचरण उष्मा चालकता कहलाती है। ऊष्मा चालकता के आधार पर हम पदार्थों का वर्गीकरण तीन वर्गों में कर सकते हैं-
(i) चालक (Conductor) :
उन्हें चालक कहते हैं। ऐसे पदार्थों की ऊष्मा चालकता अधिक होती है। सभी धातु, अम्लीय
जल, मानव शरीर आदि ऊष्मा के अच्छे चालक हैं।
जिन पदार्थों से होकर ऊष्मा का चालन सरलता से हो जाता है,
(ii) कुचालक (Bad Conductor) : जिन पदार्थों में ऊष्मा का चालन सरलता से नहीं होता या बहुत कम होता है, उन्हें कुचालक कहते हैं। जैसे – लकड़ी, काँच, सिलिका, वायु, गैसें, रबर आदि।
(iii) ऊष्मारोधी (Heat Resistence) : जिन पदार्थों में ऊष्मा का चालन एकदम नहीं होता उन्हें ऊष्मारोधी पदार्थ कहते हैं। ऐसे पदार्थों की ऊष्मा चालकता शून्य होती है। जैसे – ऐस्बेस्टस व एवोनाइट ऊष्मारोधी पदार्थ हैं।
2. संवहन (Convection)
◆ इस विधि में ऊष्मा का चालन पदार्थ के कणों के स्थानांतरण के द्वारा होता है। इस प्रकार पदार्थ के कणों के स्थानांतरण से धाराएँ बहती हैं, जिन्हें संवहन धाराएँ कहते हैं। गैसों एवं द्रवों में ऊष्मा का संचरण संवहन द्वारा ही होता है। वायुमंडल संवहन विधि द्वारा ही गर्म होता है।
3. विकिरण (Radiation)
◆ इस विधि में ऊष्मा गर्म वस्तु से ठंडी वस्तु की ओर बिना किसी माध्यम को गर्म किये प्रकाश की चाल से सीधी रेखा में संचरित होती है। सूर्य से हम तक ऊष्मा विकिरण के द्वारा ही आती है।
   विकीर्ण ऊर्जा वस्तुतः विद्युत चुम्बकीय तरंग है। इसके तरंगदैर्ध्य का परिसर (range) 10³m से 7.8x 10⁷m है।
उत्सर्जन (Emission)
◆ प्रत्येक वस्तुएँ सभी ताप पर विकिरण द्वारा ऊर्जा का उत्सर्जन करती है। इस ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा या ऊष्मीय विकिरण कहते हैं। यह ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में प्रकाश की चाल से चलती है, जो पिंड अपने सतह से सभी प्रकार के ऊष्मीय विकिरण का पूर्णतया उत्सर्जन करता है उसे ‘कृष्ण पिंड’ (Black Body) कहते हैं।
अवशोषण (Absorption)
◆ जब ऊष्मीय विकिरण किसी पृष्ठ पर गिरता है, तो उसका कुछ भाग तो परावर्तित हो जाता है, कुछ भाग पृष्ठ द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इस अवशोषित विकिरण द्वारा पृष्ठ का ताप बढ़ जाता है। पिंड द्वारा इस प्रकार ऊष्मीय विकिरण के अवशोषित होने की क्रिया को अवशोषण तथा इस प्रकार के पिंड को अवशोषक पिंड कहते हैं।
किरचौफ का नियम (Kirchhoff’s Law)
◆ इस नियम के अनुसार, अच्छे अवशोषक ही अच्छे उत्सर्जक होते हैं। अर्थात् जो पिंड किसी ताप पर अधिक ऊष्मा का उत्सर्जन करते हैं, वही कम ताप पर ऊष्मा का अच्छा अवशोषण भी करते हैं तथा अच्छे अवशोषक अच्छे उत्सर्जक भी होते हैं इसके विपरीत बुरे अवशोषक बुरे उत्सर्जक भी होते हैं। अंधेरे कमरे में यदि एक काली और एक सफेद वस्तु को समान ताप
पर गर्म करके रखा जाये जो काली वस्तु अधिक विकिरण उत्सर्जित करेगी। अतः काली वस्तु अंधेरे में अधिक चमकेगी।
न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s Law of Cooling)
◆ इस नियम के अनुसार किसी वस्तु के ठंडे होने की दर वस्तु तथा उसके चारों ओर के माध्यम के तापांतर के अनुक्रमानुपाती होती है। अत: वस्तु जैसे-जैसे ठंडी होती जायेगी उसके ठंडे होने की दर कम होती जायेगी। उदाहरणार्थ- गर्म पानी को 80°C से 70°C तक ठंडा होने में लिया गया समय, 40°C से 30°C तक ठंडा होने में लिए गये समय की अपेक्षा बहुत कम होता है।
ऊष्मागतिकी (Thermodynamic)
◆ इसके अन्तर्गत ऊष्मीय ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, वैद्युत ऊर्जा आदि के साथ सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है। यह सम्बन्ध ज्ञात करने के लिए ऊष्मागतिकी के दो नियम हैं-
1. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम : यह नियम मुख्यतः ऊर्जा संरक्षण को प्रदर्शित करता है। इस नियम के अनुसार किसी निकाय (System) को दी जाने वाली ऊष्मा दो प्रकार के कार्यों में होती है-
(i) निकाय की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में, जिससे निकाय का ताप बढ़ता है।
(ii) बाह्य कार्य करने में।
◆ समतापी प्रक्रम (Isothermal Process) : जब किसी निकाय (System) में कोई परिवर्तन इस प्रकार हो कि निकाय का ताप पूरी क्रिया में स्थिर रहे तो उस परिवर्तन को समतापी परिवर्तन कहते हैं।
◆ रूद्धोष्म प्रक्रम (Adiabatic Process) : यदि किसी निकाय में कोई परिवर्तन इस प्रकार हो कि पूरी प्रक्रिया के दौरान निकाय न तो बाहरी माध्यम को ऊष्मा दे और न उससे कोई ऊष्मा ले तो इस परिवर्तन को रूद्धोष्म परिवर्तन कहते हैं। कार्बन डाई-ऑक्साइड का अचानक प्रसार होने पर शुष्क बर्फ (Dry Ice) के रूप में बदलना रूद्धोष्म परिवर्तन का उदाहरण है।
2. ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम : ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊष्मा के प्रवाहित होने की दिशा नहीं बताता, जबकि ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम ऊष्मा के प्रवाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है। ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम दो कथनों (Statement) के रूप में व्यक्त किया जाता है
जो निम्नलिखित है-
(i) केल्विन का कथन : इस कथन के अनुसार ऊष्मा का पूर्णतया कार्य में परिवर्तन असंभव है।
(ii) क्लासियस कथन : इस कथन के अनुसार ऊष्मा अपने कम ताप की वस्तु से अधिक ताप के वस्तु की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती है।

    

ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion)

जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है तो वह गर्मी पाकर फैलने लगता है और उसके आकार में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि ताप बढ़ने पर पदार्थ के अणुओं (अथवा परमाणुओं) के बीच कि साम्य कि दूरी बढ़ जाती है जिससे पदार्थ फैल जाता है । गर्मी पाकर वस्तुओं का फैलना ही ऊष्मीय प्रसार कहलाता है ।

ठोस, द्रव तथा गैस सभी में ऊष्मीय प्रसार होता है ।

आणविक सिद्धान्त के अनुसार, '' एक ठोस पदार्थ में अणु एक नियमित रूप में बँधें होते हैं तथा वे अपनी माध्य स्थिति के परित: कम्पन करते रहते हैं ।

जब ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है तो उसके अणुओं कि गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है (अर्थात् उसके अणुओं के कंपनों का आयाम बढ़ता है) तथा उनकी माध्य स्थिति इस प्रकार विस्थापित हो जाती है कि निकटवर्ती अणुओं के बीच औसत दूरी बढ़ जाती है ; अतः पदार्थ गर्म करने से फैलता है ।''

द्रव के अणु पूरे आयतन में मुक्त रूप से गति करते हैं । ताप बढ़ने से अणु और तेजी से गति करते हैं तथा निकटवर्ती अणुओं के बीच कि औसत दूरी बढ़ जाती है; अतः द्रव भी गर्म करने से फैलते हैं ।

ठोसों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Solids)

ठोसों का एक निश्चित आयतन व एक निश्चित रूप होता है । जब किस ठोस को गरम किया जाता है तो उस वस्तु की लम्बाई, चौड़ाई, व मोटाई में वृद्धि होती है । यह वृद्धि (प्रसार) उस ठोस का ऊष्मीय प्रसार है । इस प्रकार ठोस पदार्थ को गरम करने पर तीन प्रकार के प्रसार होते हैं -
  1. रेखीय प्रसार (Linear Expansion)
  2. क्षेत्रीय प्रसार (Superficial Expansion)
  3. आयतन प्रसार (Volume Expansion)

रेखीय प्रसार (Linear Expansion)

जब किसी लंबी छड़ को गरम किया जाता है तो छड़ की चौड़ाई तथा मोटाई में हुई वृद्धि, उसकी लंबाई में हुई वृद्धि की अपेक्षा बहुत कम होती है; अतः यह मान लिया जाता है कि छड़ को गर्म करने पर केवल उसकी लम्बाई में ही वृद्धि होती है । इसे ठोस का रेखीय प्रसार अथवा दैर्घ्य या अनुदैर्घ्य प्रसार कहते हैं। लम्बाई में यह वृद्धि इस बात पर निर्भर नहीं करती कि छड़ ठोस है या खोखली ।

रेखीय प्रसार गुणांक (Coefficient of Linear Expansion)

माना किसी छड़ की एक निश्चित ताप t पर लम्बाई L है तथा उसके ताप में Δl की वृद्धि करने पर लम्बाई में ΔL की वृद्धि हो जाती है। प्रयोगों द्वारा पता चलता कि किसी ठोस वस्तु को गर्म करने पर उसकी लम्बाई में वृद्धि निम्न बातों पर निर्भर करती है -

  1. छड़ की प्रारम्भिक लम्बाई पर - लम्बाई में वृद्धि, छड़ की प्रारम्भिक (L) के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात्-                          ΔL ∝ L          ..1
  2. ताप में वृद्धि पर - लम्बाई में वृद्धि, ताप-वृद्धि के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात्-
 ΔL ∝ Δ          ..2
 अतः समी (1) व (2) से ,
ΔL ∝ L × Δl
या 
ΔL = ∝ L × Δl        ...3
 
यहाँ ∝ (एल्फा) एक नियतांक है जिसे छड़ के पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक (Coefficient of Linear Expansion) कहते हैं । यह पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है, उसकी लम्बाई, आकार या आयतन पर नहीं । अतः समीकरण (3) से -
∝ = ΔL / L × Δl  =  लम्बाई में वृद्धि / प्रारम्भिक लम्बाई × ताप में वृद्धि
अब यदि L = 1 मीटर,         Δt = 1˙ C हो, तो 
∝ = ΔL
 अतः किसी पदार्थ की एकांक लम्बाई की छड़ का ताप 1˙C बढ़ाने पर उसकी लम्बाई में जो वृद्धि होती है, उसे उस पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक कहते हैं ।

रेखीय प्रसार गुणांक (∝) का मान विभिन्न पदार्थों के लिए भिन्न-भिन्न होता है ।

मात्रक - रेखीय प्रसार गुणांक ∝ का मात्रक प्रति डिग्री सेल्सियस होता है ।
   ∝ का मात्रक  =  ΔL का मात्रक / L का मात्रक × (Δt का मात्रक )
= मीटर /मीटर × ˙C = 1/ ˙C = प्रति ˙C

S. I. पद्धति में ∝ का मात्रक प्रति केल्विन है ।  स्पष्ट है कि किसी पदार्थ के लिए ∝ का मात्रक केवल ताप के मात्रक पर ही निर्भर करता है, लम्बाई के मात्रक पर नहीं ।

क्षेत्रीय (या पृष्ठीय ) प्रसार (Superficial Expansion)

यदि वस्तु आयताकार पटल (lamina) के रूप में है अर्थात् मोटाई नगण्य है, तो वस्तु को गर्म करने पर उसकी लम्बाई व चौड़ाई दोनों में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप वस्तु का क्षेत्रफल बढ़ जाता है । वस्तु के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि ही पृष्ठीय प्रसार (क्षेत्रीय प्रसार) कहलाता है ।

क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (Coefficient of Superficial Expansion)-

माना किसी आयताकार पटल का क्षेत्रफल A है तथा गर्म करके, इसके ताप में Δt की वृद्धि करने पर क्षेत्रफल में वृद्धि ΔA होती है ।

क्षेत्रफल में वृद्धि -

(1) प्रारम्भिक क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात्-

ΔA ∝ A         .....1

(2) ताप में वृद्धि के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात्-

ΔA ∝ Δt          ......2

समी (1) व (2) से - 

ΔA ∝ A  × Δt

अर्थात्           क्षेत्रफल में वृद्धि 

ΔA  = βA  × Δt       .......3

यहाँ  β (बीटा ) एक नियतांक है जिसे पटल के पदार्थ का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहते हैं । इसका मान अन्य किसी  राशि (जैसे आकार या आकृति) पर निर्भर नहीं करता, बल्कि केवल पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है ।

समीकरण 3 से 

β = ΔA / × Δt

यदि a = 1, Δt = 1˙C हो, तो β = ΔA

अतः किसी पदार्थ के पटल (lamina) के एकांक क्षेत्रफल का ताप 1˙C बढ़ाने पर उसके क्षेत्रफल में जो वृद्धि होती है उसे उस पदार्थ का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहते हैं ।

क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β ) का मात्रक प्रति 1˙C होता है ।


आयतन प्रसार (Volume Expansion)


किसी ठोस वस्तु को गरम करने पर उसकी लंबाई, चौड़ाई व मोटाई में वृद्धि होती है अर्थात् उसके आयतन में वृद्धि हो जाती है । यह आयतन में वृद्धि वस्तु का आयतन प्रसार कहलाता है ।

आयतन प्रसार गुणांक (Coefficient of Volume Expansion)

माना किसी ठोस वस्तु का आयतन V है इस वस्तु को  गरम करके उसका ताप Δt बढ़ाने पर उसके आयतन में ΔV की वृद्धि हो जाती है ।
प्रयोगों द्वारा पाया जाता है की वस्तु के आयतन में वृद्धि ΔV
  1. वस्तु के प्रारम्भिक आयतन (V) के तथा
  2. वस्तु के ताप में वृद्धि (Δt) के अनुक्रमानुपाती होती है । अर्थात् 
ΔV  V × Δt
या आयतन में वृद्धि
ΔV =  𝞬  V × Δt     .........1
यहाँ 𝞬 (गामा) एक नियतांक है जिसे वस्तु के पदार्थ आयतन प्रसार गुणांक कहते हैं । मान भी वस्तु के पदार्थ पर निर्भर करता है ।
अतः समीकरण (1) से,

𝞬 = ΔV /  V × Δt        .......2

यदि V = 1 तथा Δt = 1˙C हो, तो 

𝞬 = ΔV        .....3

अतः किसी पदार्थ के एकांक आयतन का ताप 1˙C बढ़ाने पर आयतन में जो वृद्धि होती है, उसे उस पदार्थ का आयतन प्रसार गुणांक कहते हैं ।
इसका मात्रक भी प्रति 1˙C है ।

ऊष्मा संरचरण का दैनिक जीवन में उपयोग

(1) एस्किमो लोग बर्फ की दोहरी दीवारों के मकान में रहते हैं – इसका कारण यह है कि बर्फ की दोहरी दीवारों के मध्य हवा की परत होती है जो ऊष्मा का कुचालक होती है, जिससे अन्दर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती है, फलस्वरूप कमरे का ताप बाहर की अपेक्षा अधिक बना रहता है।

(ii) शीत ऋतु में लकड़ी एवं लोहे की कुर्सियाँ एक ही ताप पर होती हैं, परन्तु लोहे की कुर्सी छूने पर लकड़ी की अपेक्षा अधिक ठण्र्डी लगती है-शीत ऋतु में शरीर का ताप कमरे के ताप से अधिक होता है। लोहा ऊष्मा का सुचालक और लकड़ी ऊष्मा का कुचालक होता है। अतः जब हम लोहे की कुर्सी को छूते हैं, तो हमारे हाथ से ऊष्मा तापान्तर के कारण लोहे की कुर्सी में शीघ्रता से प्रवाहित होने लगती है। जबकि लकड़ी की कुर्सी में ऐसा नहीं होता। इसलिए लोहे की कुर्सी छूने पर लकड़ी की अपेक्षा अधिक ठण्डी लगती है।

(iii) धातु के प्याले में चाय पीना कठिन है, जबकि चीनी मिट्टी के प्याले में चाय पीना आसान है-धातु ऊष्मा का सुचालक होता है, इसके कारण चाय की ऊष्मा से धातु के प्याले गर्म हो जाते हैं, जिससे होठ जलने लगते हैं और चाय पीना कठिन हो जाता है। चीनी मिट्टी का ऊष्मा का कुचालक होने के कारण ऐसा नहीं होता है।

दैनिक जीवन में संवहन से संबंधित उपयोग-

(i) समुद्री हवाएँ (Sea Breeze) तथा स्थली हवाएँ (Land Breeze)-दिन के समय सूर्य की गर्मी से जल की अपेक्षा स्थल जल्दी गर्म हो जाता है, जिससे स्थल की ओर बहने लगती हैं। इन हवाओं को समुद्री हवाएँ कहते हैं। रात में स्थल, जल की अपेक्षा जल्दी ठण्डा हो जाता है। इसलिए समुद्र के जल के सम्पर्क से गर्म हवाएँ ऊपर उठती हैं तथा इनका स्थान लेने के लिए स्थल से समुद्र की ओर हवाएँ चलने लगती हैं, इन्हें स्थलीय हवाएँ कहते हैं।

(ii) रेफ्रिजरेटर से फ्रीजर पेटिका को ऊपर रखा जाता है- इसका कारण यह है कि नीचे की गरम वायु हल्की होने के कारण ऊपर उठती है तथा फ्रीजर पेटिका से टकराकर ठण्डी हो जाती है। ऊपर की ठण्डी वायु भारी होने क कारण नीचे आती है तथा रेफ्रिजरेटर में रखी वस्तुओं को ठण्डा कर देती है।

(iii) बिजली के बल्बों में निष्क्रिय गैसों का भरा जाना—बिजली के बल्बों में निर्यात् के स्थान पर निष्क्रिय गैस (जैसे आर्गन) भरी जाती हैं। इसका कारण यह है कि बल्ब में निष्क्रिय गैस भरने से तन्तु की ऊष्मा संवहन धाराओं द्वारा चारों ओर फैल जाती है, जिससे तन्तु का ताप उसके गलनांक तक नहीं बढ़ पाता है। ऐसा नहीं करने पर बल्ब का ताप तन्तु के गलनांक तक बढ़ जाएगा जिससे तन्तु पिघल जाएगी।

दैनिक जीवन में विकिरण से संबंधित उपयोग-

(I) बादलों वाली रात, स्वता आकाश वाली रात की अपेक्षा गरम होती है- स्वच्छ आकाश वाली रात में पृथ्वी द्वारा छोड़ी गयी विकिरण की उष्मा आकाश की ओर चली जाती है। बादल ऊष्मा के कुचालक होते

है अतः बादलों वाली रात में पृथ्वी द्वारा छोड़ी गयी विकिरण की ऊष्मा आकाश की ओर जाने के बजाय पृथ्वी की ओर लौट जाती है, जिससे पृथ्वी गरम बनी रहती है।

(II) रेगिस्तान दिन में बहुत गरम तथा रात में बहुत ठण्डे हो जाते हैं– रेत ऊष्मा का अच्छा अवशोषक है और हम जानते हैं कि ऊष्मा का अच्छा अवशोषक ही ऊष्मा का अच्छा उत्सर्जक होता है। अत: दिन में सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित करके रेत गर्म हो जाती है वही रात में वह अपनी ऊष्मा को विकिरण द्वारा खोकर ठण्डी हो जाती है।

(III) पोलिश किए हुए जूते धूप से शीघ्र गरम नहीं होते क्योंकि वे अपने ऊपर गिरने वाली ऊष्मा का अधिकांश भाग परावर्तित कर देते हैं।

यहाँ ऊष्मा (Heat) टॉपिक से महत्वपूर्ण प्रश्न और उसके उत्तर दिए गए है, जो अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं

प्रश्न- एल्कोहल की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.60
प्रश्न- पीतल की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.09
प्रश्न- तारपीन की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.42
प्रश्न- वायु समुद्र की ओर से स्थल की ओर कब चलती है?
उत्तर- दिन में
प्रश्न- वायु स्थल से समुद्र की ओर कब चलती है?
उत्तर- रात्रि में
प्रश्न- दिन में समुद्र की ओर से पृथ्वी की ओर चलने वाली हवाएं क्या कहलाती हैं?
उत्तर- समुद्री समीर
प्रश्न- रात्रि में पृथ्वी से समुद्र की ओर चलने वाली हवाएँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर- स्थलीय समीर
प्रश्न- क्षेत्रीय प्रसार गुणांक रेखीय प्रसार गुणांक का कितने गुना होता है?
उत्तर- दुगना
प्रश्न- आयतन प्रसार गुणांक रेखीय प्रसार गुणांक का कितने गुना होता है?
उत्तर- तीन गुना
प्रश्न- तांबे व लोहे की दो छड़ों को जोड़कर संयुक्त छड़ को गर्म करने पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- छड़ मुड़ जाती है
प्रश्न- रेल की दो पटरियों में जोड़ पर खाली स्थान न छोड़ने पर क्या होता है?
उत्तर- पटरियां तिरछी हो जाती
प्रश्न- कांच की बोतल में फैसी डॉट निकालने हेतु बोतल कहाँ से गर्म करते है?
उत्तर- गर्दन
प्रश्न- लकड़ी के पहिए पर लोहे की हाल चढ़ाने से पूर्व हाल हेतु क्या आवश्यक है?
उत्तर- गर्म करना
प्रश्न- मोटे काँच के गिलास में गर्म पानी डालने पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- गिलास चटक जाता है
प्रश्न- आजकल काँच के बर्तन किस काँच के बनाए जाते है?
उत्तर- पायरेक्स
प्रश्न- किसी पदार्थ के द्रव्यमान व आयतन के अनुपात को क्या कहते हैं?
उत्तर- घनत्व
प्रश्न- जाड़ों में या ठंडे प्रदेशों में वायुमंडल का ताप गिरने से जल की ऊपरी सतह कैसी रहती है?
उत्तर- गर्म
प्रश्न- जाड़ों में या ठंडे प्रदेशों में तालाबों या झीलों की निचली परत कैसी रहती है?
उत्तर- गर्म
प्रश्न- गैसों के आचरण को समझाने का प्रयास सर्वप्रथम (1738) किसने किया?
उत्तर- बरनौली
प्रश्न- गेलुसेक का नियम, चार्ल्स का नियम, बॉयल का नियम एवोगैड्रो का नियम किससे सम्बन्धित है?
उत्तर- गैस
प्रश्न- पदार्थ की मुख्यतः तीन अवस्थाएं कौन-सी होती हैं?
उत्तर- ठोस, द्रव, गैस
प्रश्न- कौन-सी एक धातु द्रव अवस्था में पाई जाती है?
उत्तर- पारा
प्रश्न- किस ताप पर जल भाप में परिवर्तित होने लगता है?
उत्तर- 100℃
प्रश्न- एक आम बर्फ 0°C के जल में परिवर्तित होने पर कितने जूल ऊष्मा अवशोषित करती है?
उत्तर- 336 जूल
प्रश्न- एक ग्राम भाप 100°C के जल में परिवर्तित होने पर कितने जूल अधिक ऊष्मा देती है?
उत्तर- 2260 जूल
प्रश्न- पदार्थों का ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तन क्या कहलाता है?
उत्तर- गलन
प्रश्न- 0℃ पर पिघलती बर्फ में कुछ नमक, शोरा आदि मिलाने से बर्तन का गलनांक कितना कम हो जाता है?
उत्तर- 22℃
प्रश्न- बर्फ, नमक, शोरा आदि के इस मिश्रण को क्या कहते हैं?
उत्तर- हिम-मिश्रण
प्रश्न- हिम-मिश्रण किस के निर्माण में उपयोग होता है?
उत्तर- कुल्फी, आइसक्रीम
प्रश्न- किसी भी ताप पर पदार्थों के द्रव अवस्था के वाष्प में परिवर्तित होने की क्रिया क्या कहलाती है?
उत्तर- वाष्पीकरण
प्रश्न- यदि वायुमंडल में वाष्प की मात्रा अधिक होती है तो वाष्पीकरण पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- घटता है
प्रश्न- यदि थोड़ी सी ईथर की मात्रा हथेली पर ली जाए तो हथेली पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- ठंडी हो जाती है
प्रश्न- किसी द्रव का कौन-सा वह ताप है जिस पर उस द्रव का संतृप्त वाष्प बाहरी वायु दाब के बराबर हो जाता है?
उत्तर- क्वथनांक
प्रश्न- पहाड़ों पर प्रेशर कुकर में वायुदाब कम हो जाने से क्वथनांक पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- कम हो जाता है
प्रश्न- वायुमंडल में उपस्थित नमी को क्या कहते हैं?
उत्तर- आद्रता
प्रश्न- वायुमंडल के एकांक आयतन में उपस्थित जल वाष्प की मात्रा क्या कहलाती है?
उत्तर- परम आर्द्रता
प्रश्न- आपेक्षिक आर्द्रता की माप किसके द्वारा करते हैं?
उत्तर- हाइग्रोमीटर
प्रश्न- ऊष्मा का ऊँचे ताप की वस्तु से नीचे ताप की वस्तु की ओर जाना क्या कहलाता है?
उत्तर- ऊष्मा का संचरण
प्रश्न- चालन, संवहन, विकिरण किसे प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर- ऊष्मा का संचरण
प्रश्न- किसी धातु की छड़ का एक सिरा गर्म करने पर दूसरे सिरे पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर- गर्म हो जाता है
प्रश्न- पदार्थ में चालन के द्वारा ऊष्मा का संचरण क्या कहलाता है?
उत्तर- ऊष्मा चालकता
प्रश्न- ऊष्मा चालकता के आधार पर पदार्थों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर- चालक, कुचालक, ऊष्मारोधी
प्रश्न- सभी धातु, अम्लीय जल, मानव शरीर ऊष्मा के कैसे पदार्थ हैं?
उत्तर- चालक
प्रश्न- लकड़ी, काँच, सिलिका, वायु, गैसें, रबर ऊष्मा के कैसे पदार्थ हैं?
उत्तर- कुचालक
प्रश्न- ऐस्बेस्टस व एबोनाइट ऊष्मा के कैसे पदार्थ हैं?
उत्तर- ऊष्मारोधी
प्रश्न- ऊष्मा के फलस्वरूप लकड़ी कैसा पदार्थ है?
उत्तर- कुचालक
प्रश्न- ऊष्मा के फलस्वरूप लोहा कैसा पदार्थ है?
उत्तर- सुचालक
प्रश्न- आसमान में बादल छाए रहने पर कैसा महसूस होता है?
उत्तर- गर्मी
प्रश्न- गैसों व द्रवों में ऊष्मा का संचरण किसके द्वारा होता है?
उत्तर- संवहन
प्रश्न- किस कारण वायुमंडल में संवहन धाराएँ बनती हैं?
उत्तर- ऊष्मा संवहन
प्रश्न- हमारे यहाँ मानसून किस कारण बनता है?
उत्तर- संवहन धाराएँ
प्रश्न- किसी वस्तु के ठंडे होने की दर वस्तु तथा उसके चारों ओर के माध्यम के तापांतर के अनुक्रमानुपाती होती है, यह शीतलन नियम किस वैज्ञानिक ने दिया?
उत्तर- न्यूटन
प्रश्न- जब ऊष्मा अपने स्रोत से किसी धरातल तक मध्यवर्ती माध्यम को बिना प्रभावित किए गमन करे तो इस विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर- विकिरण
प्रश्न- जो पिंड अपनी सतह से सभी प्रकार के ऊष्मीय विकिरण का पूर्णतया उत्सर्जन करता है उसे क्या कहते हैं?
उत्तर- कृष्ण पिंड
प्रश्न- थर्मस फलास्क की बोतल का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर- दीवार
प्रश्न- ऊष्मागतिकीय यंत्र की ऊर्जा क्या कहलाती है?
उत्तर- आंतरिक ऊर्जा
प्रश्न- "ऊष्मा का पूर्णतया कार्य में परिवर्तन असंभव है", किसका कथन है?
उत्तर- केल्विन
प्रश्न- "ऊष्मा कम ताप की वस्तु से अधिक ताप की वस्तु की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती," किसका कथन है?
उत्तर- क्लासियत
प्रश्न- किस चीज से गर्मी और ठंडेपन का अहसास होता है?
उत्तर- ऊष्मा
प्रश्न- ऊष्मा की व्याख्या मुख्यतः किस सिद्धांत पर की जाती है?
उत्तर- गतिज ऊर्जा
प्रश्न- ऊष्मा उर्जा का ही एक रूप है, किस वैज्ञानिक ने पुष्टि की?
उत्तर- जूल
प्रश्न- एक ग्राम जल का ताप 1℃ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को क्या कहते हैं?
उत्तर- कैलोरी
प्रश्न- एक पौंड पानी का ताप 1° फारेनहाइट बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा क्या कहलाती है?
उत्तर- ब्रिटिश थर्मल यूनिट
प्रश्न- किसी पदार्थ की उष्णता की मात्रा का माप क्या होता है?
उत्तर- ताप
प्रश्न- किस युक्ति द्वारा नाप मापा जाता है?
उत्तर- तापमापी (थर्मामीटर)
प्रश्न- सैल्सियम पैमाने का आविष्कारक वैज्ञानिक सैल्सियस किस देश का नागरिक था?
उत्तर- स्वीडन
प्रश्न- फारेनहाइट पैमाने का आविष्कारक वैज्ञानिक फारेनहाइट किस देश का नागरिक था?
उत्तर- जर्मन
प्रश्न- कुछ समय पहले तक किस पैमाने का उपयोग वैज्ञानिक मौसम का अनुमान लगाने व चिकित्सा के क्षेत्र में करते थे?
उत्तर- फारेनहाइट
प्रश्न- वर्तमान समय में मौसम का अनुमान लगाने व चिकित्सा के क्षेत्र में किस पैमाने का उपयोग होता है?
उत्तर- सैल्सियस
प्रश्न- ट्यूमर पैमाने पर ताप को किस अक्षर से प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर- R
प्रश्न- कैल्विन पैमाने में अधोबिन्दु k जल के हिमांक से कितना नीचे होता है?
उत्तर- 273k
प्रश्न- कैल्विन पैमाने पर 0k को क्या कहते है?
उत्तर- परम शून्य
प्रश्न- थर्मामीटर में मुख्य रूप से कौन-सा द्रव प्रयोग किया जाता है?
उत्तर- एल्कोहल या पारा
प्रश्न- -40 से नीचे ताप मापने वाले तापमापी में किस द्रव का प्रयोग किया?
उत्तर- एल्कोहल
प्रश्न- साधारणतः पारे का तापमापी कितने ताप का मापन कर सकता है?
उत्तर- 357°C तक
प्रश्न- पारा कितने ताप पर उबलने लगता है?
उत्तर- 357°C
प्रश्न- स्थिर आयतन हाइड्रोजन तपमापी से अधिकतम कितना ताप मापा जा सकता है?
उत्तर- 500℃
प्रश्न- हाइड्रोजन की जगह नाइट्रोजन गैस लेने पर कितने ताप का मापन किया?
उत्तर- 1500°C
प्रश्न- ताप बढ़ाने से धातु के तार के विद्युत प्रतिरोध में परिवर्तन होता है, इसी सिद्धांत पर कौन-सा तापमापी कार्य करता है?
उत्तर- प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी
प्रश्न- प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी का ताप परिसर कितना होता है?
उत्तर- -200°C से 1200°C
प्रश्न- ताप युग्म तापमापी किस पर आधारित है?
उत्तर- सीवेक के प्रभाव
प्रश्न- पूर्ण विकिरण उत्तापमापी किसके नियम पर आधारित है?
उत्तर- स्टीफन के नियम
प्रश्न- पूर्ण विकिरण उत्तापमापी से कम से कम कितना ताप मापा जाता है?
उत्तर- 800℃
प्रश्न- किसी पदार्थ के एक ग्राम द्रव्यमान के ताप में वृद्धि करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की क्या कहते हैं?
उत्तर- विशिष्ट ऊष्मा
प्रश्न- ऊष्मा का बड़ा मात्रक किलो कैलोरी कितने कैलोरी के बराबर होता है?
उत्तर- 1000 कैलोरी
प्रश्न- पानी की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 1.0
प्रश्न- लोहे की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.11
प्रश्न- एल्युमीनियम की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.21
प्रश्न- मैग्नीशियम की विशिष्ट ऊभा कितनी होती है?
उत्तर- 0.25
प्रश्न- सीसा की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.03
प्रश्न- कार्बन की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.17
प्रश्न- जिंक की विशिष्ट ऊधमा कितनी होती है?
उत्तर- 0.92
प्रश्न- संगमरमर की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.21
प्रश्न- बर्फ की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- .50
प्रश्न- बालू की विशिष्ट ऊष्मा कितनी होती है?
उत्तर- 0.20


               Hiii Frndzzzz!!!!!

      आपसे गुज़ारिश है की हमारे डाटा पसंद आने पर लाइककमेंट और शेयर करें ताकि यह डाटा दूसरों   तक भी पहुंच सके और हम आगे और भी ज़्यादा   जानकारी वाले डाटा आप तक पहुँचा सकें जैसा    आप हमसे चाहते हैं.....

                        Hell Lot of Thanxxx

भारतीय संविधान के भाग एवं अनुच्छेद Part:-- 01 (Parts and Articles of the Indian Constitution Part :-- 01)

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