जीव विज्ञान के बेहद महत्वपूर्ण तथ्य |
भेड की चोकला नस्ल से राजस्थान में
सर्वोत्तम ऊन मिलती है।
गाय बैलों की
वे नस्लें
जिनकी गाय
अच्छी मात्रा
में दूध
देती है।
परन्तु बैल
कम शक्तिशाली
होते है।
मिल्क ब्रीड कहलाती है।
यदि पौधे को
अंधेरे में
उगाया जाय
तो वह
लम्बा हेा
जाता है
क्योकि उसमें
आक्सीजन की मात्रा बढ जाती है।
बी0एम0आर0
का अभिप्राय
बेसिक मेटा बोलिक रेट है।
बोटुलिज्म एक प्रकार
का भोजन
दूषण है
जो क्लोस्ट्रीडियम जीवाणु द्वारा होता
है।
व्यापारिक कार्क फ्लोएम से प्राप्त
होती है।
नारियल अधिकांशतया समुद्र
के किनारें
के प्रदेशो
में व्यापक
रूप से
पाया जाता
है। क्योकि
इसके फल जल पर तैरते है।
नारियल का फल
ड्रूप होता है।
अद्र्वसूत्री विभाजन में
दो विभाजन
होते है,
एक न्यूनकारी विभाजन तथा एक सूत्री विभाजन ।
माता पिता के
गुण सन्तान
में गुणसूत्र द्वारा स्थानानतरित होते
है।
जीन डी0एन0ए0
के बने
होते है।
जब गुणसूत्रों के
बिना विभाजन
के कोशिका
में विभाजन
होता है
तो उसे
असूत्री विभाजन कहते है।ं
बैक्टीरिया में माइटोकोणिड्रया
एवं केन्द्रक नही होते
।
समतापी प्राणियों में
ताप का
नियमन करने
वाला मस्तिष्क
केन्द्र हाइपोथैलेमस
है।
आज्ञा का पालन
करना प्रतिवर्ती क्रिया का उदाहरण नही है।
मनुष्य में मेरू
तन्त्रिकाओं की संख्या 31
युग्म है।
हमारी जीभ पर
स्वाद कलिकाएें
, जो खटटे
का ज्ञान
कराती है
जीभ के पाश्र्व भाग
पर पायी
जाती है।
मस्तिष्क के सबसे
बाहर का
स्तर डयूरामेटर होता है।
मस्तिष्क का जो
भाग बुध्दि
का भाग
कहलाता है,
उसे वैज्ञानिक
भाशा में
सेरीब्रल हेमीसिफयर
कहते है।
औधोगिक प्रक्रमों में
जीवधारियों अथ्वा उसने प्राप्त पदार्थो
का उपयोग
जैव प्रोधोगिकी
की श्रेणी
में आता
है।
हमारे देश में
क्लोरेमफेनिकोल प्रतिजैविक का उत्पादन नही
होता है,
पेनिसिलिन, एमिपसिलिन एवं टेट्रासाइक्लीन
का प्रयोग
होता है।
आनुवांशिकी के अनुसार
आर0एच- पुरूष और आर0एच0 + स्त्री विवाह सम्भव है।
उत्परिवर्तन का सिध्दांत
डी व्रीज ने दिया था
।
विकास सिध्दांत
के अनुसार
मनुश्य व
कपि एक
ही पूर्वज
से विकसित
हुआ।
जीवन का रासायनिक
सिध्दांत ओपेरिन का सिद्वान्त है।
वनस्पतिशास्त्रीयों के अनुसार
स्थल पर सर्वप्रथम आने वाले पौधे मांस तथा उनके सम्बन्धी पौधे के समान थे
।
मनुष्य में अवषेशी
अंग कर्णपल्लव पेशिया है।
जीवाश्म
जैव विकास
की विभिन्न
अवस्थाओं का
रहस्योदघाटन करते है।
वनस्पति विज्ञान के
जनक थि्रयोफ्रेस्टस थे।
जीव विज्ञान का
जनक अरस्तु थे ।
मानव शरीर की
संरचना का
पता लगाने
वाला पहला
वैज्ञानिक एंडि्रयास विसैलियम था।
वृक्क प्रत्यारोपण में
भार्इ या
अत्यधिक निकट
सम्बन्धी का
वृक्क ही
लिया जाता
है, क्योकि
दोनों के
वृक्को का अनुवांशिक संगठन एक जैसा होता
है।
मानव एक मिनट
में 16 से 18 बार
सांस लेता
हैैं
स्तनी प्राणियों में
डायाफ्राम का सबसे
महत्वपूर्ण कार्य श्वास विधि में
सहायता करना
हैं
जब कोर्इ व्यकित
सांस लेता
है तो
आक्सीजन रूधिर
में हीमोग्लोबिन से संयोग करती
है।
श्वसन गुणांक आर0क्यू0
का तात्पर्य
उत्पादित कार्बन
डाइ-आक्साइड
तथा प्रयोग
में आर्इ
आक्सीजन का
अनुपात है।
डी0एन0ए0
कुण्डल रचना
वाटसन एवे कि्र्क
ने बतायी
थी।
आर0एन0ए0
में डी0एन0ए0
यूरेसिल तत्व
के कारण
भिन्नता होती
है
जैव प्रौधोगिकी विभाग विज्ञान एवं प्रौधोगिकी मन्त्रालय
के अधीन
है।
कृत्रिम निषेचन के
लिए सांड
के वीर्य
को द्रव नाइट्रोजन में संचित
करते है।
भ्रूण की जानकारी
के लिए
सोनोग्राफी विधि
सर्वश्रेष्ठ है।
एन0एम0आर0
चुम्बकीय अनुनाद
पर आधारित
हैं।
जीवन की उत्पत्ति
जल में हुर्इ।
मेथेन, हाइड्रोजन, जल
तथा अमोनिया
ने अमीनो
अम्ल का
निर्माण किया
था, यह
स्टैन्ले मिलर
ने सिध्द
किया ।
रचना व कार्य
दोनों में
समान समरूप
अंग होते
है।
लिंगी गुणसूत्र केा
छोडकर अन्य
गुणसूत्र आटोसोम के नाम से
जाने जाते
है।
फास्फोरस
डालने से
पौधो के
विकास मे
सहायता मिलती
हैै।
पर्ण हरित का
पौधे में
सूर्य के
प्रकाश को
अवषोशित करके
शर्करा का
भण्डार करने
में प्रयोग
किया जाता
है।
लाइगेज नाम एन्जाइम
का उपयोग
डी0एन0ए0 के
टुकडों को
जोडने के
लिए किया
जाता है।
डी0एन0ए0
में शर्करा
डीआक्सीराइबोज में होती है।
ऊतक संवद्र्वन के
दो पाइलट
संयन्त्रों की सािपना नर्इ दिल्ली व पुणे
में की
गर्इ।
वष्पोत्सर्जन में पत्तियों
से पानी
वाष्प के रूप में
निकलता है।
पेशी में संकुचन
कारण मायोसिन व एकिटन
है।
काष्ठ का सामान्य
नाम द्वितीयक जाइलम है
हदय की धडकन
को नियन्त्रित
करने के
लिए पेसमेकर इस्तेमाल किया जाता
है।
सिनैपिसस
तन्त्रिका एवं दूसरी तन्त्रिका के
बीच होता
है।
अदरक एक तना है जड नही,
क्योकि इसमें
पर्व व
पर्वसन्धिया होती है।
प्लाज्मा झिल्ली
कोशिका के
भीतर तथा
बाहर, जल
एवं कुछ
विलयों के
मार्ग का
नियन्त्रण करती है।
फलीदार पादप
कृषि में
महत्वपूर्ण है क्योकि नाइट्रोजन स्थिर
करने वाले
जीवाणु का
उनमें साहचर्य
होता है।
प्रत्येक गुण सूत्र में कर्इ जीन्स होते
है।
फाइबि्रनोजन
रूधिर में
विधमान व
यकृत में
बनता है।
स्पर्श करने पर
छुर्इमुर्इ पौधे की पत्तियाँ मुरझा
जाती है
क्योकि पर्णाधार
का स्फीति दाब बदल जाता है
पौधे नाइट्रोजन को
नाइट्राइट के रूप
में ग्रहण
करते है।
गर्भ में बच्चे
का लिंग
निर्धारण पिता के गुणसूत्रों के द्वारा किया जाता है।
प्रकाश संष्लेशण प्रक्रिया
का प्रथम
चरण सूर्य
के प्रकाश
द्वारा पर्णहरिम का उत्तेजन हेाता है।
जल के अणुओं
के लिए
कोशिका भितितयों
का आकर्षण
बल अधिशोषण कहलाता है।
हमारी जीभ का
वह भाग
जो मीठा
स्वाद बताता
है वह
अग्रभाग होता है।
भूमि में मैग्नीशियम
तथा लोहे
की कमी
पौधे में
हरिमहीनता का कारण
है।
केले बीजरहित होते
है क्योकि
ये त्रिगुणित होते है।
वाश्पोत्र्सजन पोटोमीटर से मापा
जाता है।
अन्त:पोषण
के कारण
जल में
रखने पर
बीज फूल
जाते है।
प्रकाश तथा अन्धकार
दोनों में
केवल हरिमहीन कोशिकाओं में श्वसन
होता है।
कार्क के बाहर
विलग परत का बनना
शरद ऋतु
में शाखाओं
से पत्तियाँ
गिरने का
कारण है।
यदि किसी पुष्प
में चमकदार
रंग, सुगन्ध
तथा मरकन्द
होते है,
तो कीट
परागित होता है।
वाहिनिकाएँ, वाहिकाएँ काष्ठ
तन्तु तथा
मृदूतक जाइलम में पाये जाते
है।
व्हेल
केवल बच्चे
देते हैै।
गर्भाशय में विकसित
हो रहे
भ्रूण को
प्लेसेण्टा द्वारा पोषण
मिलता है।
एक निशेचित अण्डे
का दो
खण्डों में
विभाजन हो,
तथा दोनों
भाग अलग
हो जाएँ
तो समान
जुडवा बच्चे
पैदा होते
है।
वृक्क जब काम
करना बन्द
कर देता
है, तो
मनुष्य के
रूधिर में
से डायलिसिस द्वारा विषाक्त तत्वों
को पृथक
किया जाता
है।
वृक्कों में मूत्र
के निर्माण
में केशिका-गुच्छीय फिल्टरन,
पुन: अवषोशण
तथा नलिका
स्त्रावण क्रिया
का क्रम
उचित है।
हाइड्रोपोनिक्स
बिना मिटटी
की खेती
से सम्बनिधत
है।
एपोमिकिसस
का अर्थ
बिना लिंगी
जनन हुए
भ्रूण का
निर्माण है।
अदरक राइजोम है।
हम सेलुलोज को नही पचा सकते
है लेकिन
गाय पचा
सकती है
क्योकि गायों
की आहारनली
में ऐसे
जीवाणु होते
है। जो
सेलुलोज को
पचा सकते
है।
किसी जन्तु द्वारा
भोजन ग्रहण
करने की
क्रिया को
अन्तग्र्रहण कहते है।
कीटपक्षी पौधे कीडों
को खाते
है क्योकि
वे जिस
मिटटी में
उगते है,
उसमें नाइट्रोजन की कमी होती है।
अधिपादप (एपीफाइट) ऐसे पौधे है
जो केवल
आश्रय के
लिए अन्य
पौधेा पर
निर्भर करते
है।
माइकोप्लाज्मा
सबसे सूक्ष्म
स्वतन्त्र रूप से रहने वाला
जीव है।
हरित लवक, माइटोकोणिड्रया,
केन्द्रक पादप
कोशिका में
डी0एन0ए0
होता है।
सीखना व याद
रखना सेरीब्रम से सम्बनिध है।
फीताकृमि अनाक्सी – ष्वसन करता है।
यदि संसार के
सभी जीवाणु
तथा कवक
नष्ट हो
जाएँ, तो
संसार लाषों
तथा सभी
प्रकार के
सजीवों के
उत्सर्जी पदार्थो
से भर
जाएगा।
हरित लवक में
ग्रेना और स्ट्रोमा
पाए जाते
है।
प्रोकैरियोट
वे जीव,
जिनमें केन्द्रक
सुविकसित नहीं
होता है।
वनस्पति विज्ञान की
वह शाखा,
जिसमें शैवालों
का अध्ययन
करते है
फाइकोलाजी कहलाती है।
यूथेनिक्स पालन पोषण
द्वारा मानव
जाति की
उन्नति का
अध्ययन है।
मानव खोपडी
में 22 हडिडया
होती है।
3 – 4 वर्ष के बच्चे
में चवर्णक नहीं होते ।
अर्धसूत्री
विभाजन तरूण
पुष्प कलिकाओं
में पाया
जाता है
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