Monday, March 3, 2025

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Classical dances of india)

 

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Classical dances of india)

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Classical dances of india)

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Classical dances of india)

            भारत के शास्त्रीय नृत्य

(Classical dances of india)

नमस्कार दोस्तों, इस लेख में आइए जानते हैं भारत के विभिन्न नृत्य रूप अर्थात Dance Forms of India के बारे में। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत के नृत्य रूपों जैसे कि लोक नृत्यपारंपरिक नृत्य का व्यापक ज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत आवश्यक है क्योंकि कला और संस्कृति जीके अनुभाग (Art and Culture GK) के तहत भारत के विभिन्न    नृत्य रूपों (Different Dance Forms of India), उनकी उत्पत्ति (Their Origins) और उनके प्रसिद्ध प्रतिपादकों (Famous Exponents of Folk Dances of India) जैसे विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं।

UPSCSSCRAILWAYSBANKINGCTET आदि सहित सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में भारत के विभिन्न नृत्य रूपों (Various  Dance Forms of India) के बारे में कई प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए, भारतीय नृत्य  के बारे में   ठीक से अध्ययन करें।

भारत के नृत्य रूपों” (Dance Forms of India) के माध्यम से हमारा उद्देश्य इस शानदार देश को परिभाषित करने वाली   कला और संस्कृति के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देना और प्रेरित करना है। और साथ ही भारत के विभिन्न राज्यों के नृत्य रूपों (Different Dance Forms of India with States) के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाना ताकि हम आपकी परीक्षाओं की तैयारी में सहायक हो सकें।          

हमारा देश भारत विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है इसलिए भारत को एक सांस्कृतिक देश के रूप में जाना जाता है और अपनी सांस्कृतिक विरासत के कारण भारत की विश्व में एक अलग पहचान है।

भारत विविधताओं का देश है जहां कला कई रूपों में विदमान है। भारत के हर कोने की अपनी एक अलग ही कला है |

भारत में प्राचीन काल से कई कलाएँ विकसित हुई हैं और नृत्य भी उनमें से एक है।

भारत में प्राचीन काल से ही नृत्य परंपरा का विकास हुआ है। मोहनजोदारो की खुदाई में मिली नर्तकी की मूर्ति से पता चलता है कि उस काल में नृत्य की खोज की गई थी। हम यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, भीमबेटका की गुफा (मध्य प्रदेश) में नृत्य आकृतियाँ भी देख सकते हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण में भी नृत्य परंपरा का उल्लेख मिलता है। उस समय, भगवान की भक्ति को प्रदर्शित करने के लिए नृत्य किया जाता था।

भारतीय नृत्य को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है - शास्त्रीय नृत्य (Classical dance) और लोक नृत्य (Folk dance)।

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Classical dances of india) )

इस लेख में, हम भारत के शास्त्रीय नृत्य के बारे में बात करेंगे। हम शास्त्रीय नृत्य की उत्पत्ति, भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य, भारतीय राज्यों के शास्त्रीय नृत्य जैसे अन्य विषयों पर भी बात करेंगे।

शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) के बारे में जानने से पहले, हम समझते हैं कि नृत्य क्या है।

नृत्य: संगीत की लय और ताल के अनुसार, नृत्य लयबद्ध तरीके से शरीर की गति विधि है। नृत्य एक विचार या भावना व्यक्त करने का तरीका है।

नृत्य की परिभाषा को समझने के बाद, हम अपने विषय, भारत के शास्त्रीय नृत्य को शुरू करते हैं।

भारतीय शास्त्रीय नृत्य का इतिहास

भारत में शास्त्रीय नृत्य का बहुत महत्व है। शास्त्रीय नृत्य प्राचीन नृत्य कला पर आधारित है। शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) कला वह नृत्य रूप है जो सीखने वाले को प्राचीन भारतीय परंपरा से जोड़ती है।

अधिकांश शास्त्रीय नृत्य रूपों की उत्पत्ति मंदिरों में हुई। भक्ति और आराधना शास्त्रीय नृत्य का मुख्य उद्देश्य था। बाद में, मनोरंजन के लिए दरबारो में शास्त्रीय नृत्य को किया जाने गया।

18 वीं और 19 वीं शताब्दी में, ब्रिटिश उपनिवेशवाद द्वारा कई भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों को हतोत्साहित किया गया था। ईसाई मिशनरियों ने मंदिर की नर्तकियो को वेश्या और इसे एक कामोत्तेजक संस्कृति बुलाया और इस संस्कृति को रोकने की मांग की और 1892 में एक "नृत्य-विरोधी आंदोलन" शुरू किया। अतः ब्रिटिश काल में शास्त्रीय नृत्य को उचित सम्मान नहीं मिल पाने के कारण यह विलुप्त हो गया।

20 वीं शताब्दी के अंत में, कई लोगों के प्रयासों से, शास्त्रीय नृत्य को फिर से उचित सम्मान मिल पाया और मंदिर नृत्य की परंपराओं को फिर से प्रस्तुत किया गया।

प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य का जन्मस्थान अलग है, लेकिन उनकी जड़ें समान हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य हिंदू धार्मिक ग्रंथो के सिद्धांत पर आधारित है।

सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की जड़ प्राचीन हिंदू संस्कृत ग्रंथ "नाट्य शास्त्र" है।

भरत मुनि का "नाट्य शास्त्र" नृत्य से संबंधित सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है। इसे पंचवेद भी कहा जाता है।

शास्त्रीय नृत्य क्या है ?

शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। शास्त्रीय नृत्य में, एक नर्तकी अलग-अलग भावो (इशारो) के माध्यम से एक कहानी को पेश करती है। भारत के अधिकांश शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य एक विशेष क्षेत्र की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें वे संबंधित हैं।

शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya), लोक नृत्य से अलग है क्योंकि शास्त्रीय नृत्य "नाट्य शास्त्र" के नियमों का सख्ती से पालन करते है और इसमे उसी के नियमों के अनुसार नृत्य किया जाता है।

शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) के तीन मुख्य घटक हैं - नाट्य (नृत्य का नाटकीय तत्व), नृत्ता (उनके मूल रूप में नृत्य की गति), और नृत्य (चेहरे की अभिव्यक्ति, हाथ के हावभाव और पैरों और पैरों की स्थिति के माध्यम से मनोदशा का चित्रण)। 

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) में व्यक्त किए जाने वाले मूल रस इस प्रकार हैं - 

  1. शृंगार: प्रेम
  2. हंसी: विनोदी
  3. करुणा: दु: ख
  4. रौद्र: क्रोध
  5. वीर: वीरता
  6. भयानक: भय
  7. बिभत्स: घृणा
  8. अदभुत: आश्चर्य
  9. शांत: शांति

प्रारंभ में, 8 रस थे। नौवें रस को (शांत: शांति) ‘अभिनव गुप्ता’ द्वारा बाद में जोड़ा गया था।

भारत के शास्त्रीय नृत्य |

आइये अब हम जानते हैं कि ‘भारत में कितने शास्त्रीय नृत्य हैं।’ भारत के शास्त्रीय नृत्य रूपों की संख्या 8 से अधिक हो सकती है, लेकिन संगीत नाटक अकादमी ने ‘भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य’ को मान्यता दी है। भारतीय सांस्कृतिक मंत्रालय ने ‘भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य’ की सूची में 'छऊ' को जोड़ा है।

भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य इस प्रकार हैं - भरतनाट्यम, कथक, कथकली, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम, ओडिसी, सत्त्रिया, मणिपुरी।

विद्वान, द्रविड़ विलियम्स ने भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य की सूची में छऊ, यक्षगान और भागवत मेले को शामिल किया।

भारत के शास्त्रीय नृत्यो की सूची |

भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) विश्वभर में प्रसिद्ध है। ‘भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य’ हैं और प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) अलग राज्य से संबंधित है। तो आइए एक नजर डालते हैं भारतीय शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) की सूची पर ।

                  भारत के शास्त्रीय नृत्यो की सूची

क्रमांक

शास्त्रीय नृत्य

राज्य

1.

भरतनाट्यम

तमिलनाडु

2.

कथकली

केरल

3.

कथक

उत्तर भारत

4.

कुचीपुड़ी

आंध्र प्रदेश

5.

मोहिनीअट्टम

केरल

6.

मणिपुरी

मणिपुर

7.

सत्त्रिया

असम 

8.

ओडिसी

ओडिसा

भारत के आठ शास्त्रीय नृत्य |

अब हम ‘भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य’ और उनके महत्व के बारे में एक-एक करके बात करेंगे। प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) एक अलग राज्य से संबंधित है और सभी की अपनी अलग विशेषताएँ हैं।

भारत के शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) रूपों की संख्या 8 से अधिक हो सकती है, लेकिन केवल आठ शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) रूपों को 'संगीत नाटक अकादमी' द्वारा मान्यता प्राप्त है। आइए विस्तार से भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य के बारे में जानते हैं ।

भरतनाट्यम नृत्य

भरतनाट्यम भारतीय शास्त्रीय नृत्य का प्रमुख नृत्य है। भरतनाट्यम भारत का सबसे पुराना शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) है। यह दक्षिणी राज्य, तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है।

ऐसा माना जाता है कि शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) रूप जैसे भरतनाट्यम 'भगवान ब्रह्मा' द्वारा भरत मुनि  के समक्ष प्रकट किया गया है, जिन्होंने इस नृत्य रूप को संस्कृत ग्रंथ 'नाट्य शास्त्र’ मे उतारा  । 

यह शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) तमिलनाडु के तंजौर जिले में हिंदू मंदिर में उत्पन्न हुआ था और इसे देवदासियों द्वारा विकसित किया गया था।

भरतनाट्यम को भारत के अन्य ‘शास्त्रीय नृत्यों की जननी’ माना जाता है।

भरतनाट्यम एक एकल नृत्य है जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है।

भरतनाट्यम शब्द में कुछ शब्द शामिल हैं। भरतनाट्यम का अर्थ नीचे दिया गया है -

भा: भाव -  अर्थ है भावना / अभिव्यक्ति

रा: राग - अर्थ है संगीतमय धुन ।

ता: ताल - अर्थ है ताल।

नाट्यम - अर्थ है नृत्य / नाटक।

भरतनाट्यम तमिलनाडु के तंजौर जिले  के कुछ परिवारों द्वारा किया जाता है और इनके वंशजो को 'नट्टुवन' के नाम से जाना जाता है।

भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्यों को ब्रिटिश काल में समाज में बुराई के रूप में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन 20 वीं शताब्दी में रुक्मणी देवी अरुंडेल और ई कृष्णा अय्यर ने इसके पुनरुद्धार के लिए काफी प्रयास किया। दोनों ने ही इस नृत्य के पुनरुद्धार में बहुत योगदान दिया।

भरतनाट्यम के कलाकार: मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई, बालासरस्वती, रुक्मिणी देवी अरुंडेल, मृणालिनी साराभाई, यामिनी कृष्णमूर्ति, अलरमेल वल्ली, पद्मा सुब्रह्मणम, विजंती माला, मालविका सरकार, लीला सेमसन।

पुरुष भरतनाट्यम कलाकार: सी वी चंद्रशेखर, उदय शंकर (भारत में आधुनिक नृत्य के पिता के रूप में जाने जाते हैं), रेवंत साराभाई, विजय माधवन, नटराज राम कृष्ण।

कथकली नृत्य

कथकली भारत का एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है और यह दक्षिण भारतीय राज्य, केरल से संबंधित है।

"कथकली" शब्द का अर्थ है "नृत्य नाटक"। कथकली शब्द दो शब्दों से बना है, कथा और कली I कथा का अर्थ है - कहानी और कली का अर्थ है - प्रदर्शन और कला।

कथकली नृत्य अपने श्रृंगार और वेशभूषा के कारण एक अलग पहचान बनाता है। कथकली की वेशभूषा बहुत भारी और विशाल होती है और श्रृंगार बहुत ही भिन्न है।

कथकली नृत्य में आमतौर पर महाभारत, रामायण और पुराणों की कथाओं को नृत्य के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

कथकली नृत्य आमतौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है और महिला पात्रों का किरदार भी महिला की वेषभूषा पहनकर पुरुषो द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

लेकिन पिछले कुछ सालों से महिलाओं ने भी कथकली नृतकी बनना शुरू कर दिया है ।

कथकली नृत्य ईश्वर और दैत्य के बीच लड़ाई का प्रतीक है।

कथकली कलाकार: कोट्टक्कल शिवरामन, कलामंडलम केसवन नंबूदरी, कलामंडलम रामनकुट्टी नायर, कल्लमंडलम वसु पिशारोडी, कवलुथ चथुन्नी पणिक्कर, कनक रेले (वह भारत की पहली महिला कथकली नर्तकियों में से एक हैं), गुरुगोपालशंकर, गुरुगोपालशंकर (जो इस नृत्य कला के लिए भारतीय राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले पहले कथकली कलाकार थे), गोपीनाथ, रागिनी देवी, उदयशंकर, रुक्मिणी देवी अरुंडेल, कृष्णा कुट्टी, माधवन आनंद, शिवरामन।

कथक नृत्य

कथक उत्तरी भारत का एक बहुत प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है। कथक शब्द कथा शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है एक कहानी और कथक शब्द का अर्थ है 'एक कहानी को नृत्य के रूप में प्रदर्शित करना'।

मुस्लिम शासकों के युग में, कथक बहुत प्रसिद्ध था और इसे ‘दरबार नृत्य’ भी कहा जाता था।

हिंदी फिल्मों के अधिकांश नृत्य भी इसी नृत्य शैली पर आधारित है।

कथक को नवरात्रि नृत्य के रूप में भी जाना जाता है। घुंघरूओं का इस नृत्य में एक विशेष स्थान है क्योंकि इस नृत्य की मुख्य विशेषता पैरों की गति है।

इस नृत्य शैली के तीन मुख्य घराने हैं- जयपुर घराना, लखनऊ घराना, वाराणसी घराना, और एक थोड़ा कम प्रसिद्ध रायगढ़ घराना।

जयपुर घराना 'फुट मूवमेंट्स' पर ज्यादा फोकस करता है, बनारस और लखनऊ घराने 'फेस एक्सप्रेशंस और ग्रेसफुल हैंड मूव्स' पर ज्यादा फोकस करते हैं।

कथक कलाकार: शंभू महाराज, बैजनाथ प्रसाद, "लच्छू महाराज", सुंदर प्रसाद, बिरजू महाराज, सितारादेवी, गौरी शंकर देवीलाल, शोवनारायण नारायण, पुरु दाधीच, गोपीकृष्ण, मालविका शजर, हजारी हजारी हजारी अग्रवाल, हजारी अग्रवाल ।

कुचिपुड़ी नृत्य

कुचिपुड़ी दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) है। यह पूरे दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है।

कुचिपुड़ी नृत्य को कृष्णा जिले के दिवे तालुक में स्थित कुचीपुड़ी गाँव से इसका नाम मिला।

प्रारंभिक परंपरा के अनुसार, कुचिपुड़ी नृत्य मूल रूप से केवल ब्राह्मण समुदाय के पुरुषों द्वारा किया जाता था। 

कुचीपुड़ी गाँव में रहने वाले ब्राह्मण परिवार इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे। इन ब्राह्मण परिवारों को कुचीपुड़ी का 'भगवथालु' कहा जाता था। उन्होंने महिलाओं को अपने नृत्य संगठन में शामिल नहीं किया ।

लेकिन 20 वीं शताब्दी के बाद, बाला सरस्वती और रागिनी देवी ने इस नृत्य को पुनर्जीवित किया और तब से यह नृत्य महिलाओं के बीच भी लोकप्रिय हो गया।

इससे पहले इस नृत्य में महिलाओं की भूमिका पुरुषों द्वारा निभाई जाती थी, लेकिन अब महिलाएं पुरुषों की भूमिका निभा रही हैं।

कुचिपुड़ी को आधुनिक समय में लोकप्रिय बनाने का श्रेय लक्ष्मीनारायण शास्त्री को दिया जाता है।

कुचिपुड़ी नृत्य की एक विशेषता है, जिसे "तार्गामम" कहा जाता है, जिसमें नर्तक कास्य की थाली में खड़ा होकर नृत्य करता है।

कुचिपुड़ी कलाकार - लक्ष्मी नारायण शास्त्री, स्वप्न सुंदरी, राजा और राधा रेड्डी, यामिनी कृष्णमूर्ति, यामिनी रेड्डी, कौशल्या रेड्डी, भावना रेड्डी, इंद्राणी रहमान, शोभा नायडू, मंजू भार्गवी, अरुणिमा कुमार, मिथिला कुमार, दंतमंजन, सत्यम, सत्यम

मोहिनीअट्टम नृत्य

मोहिनीअट्टम दक्षिण भारतीय राज्य, केरल का एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य रूप है।

मोहिनीअट्टम शब्द "मोहिनी" से लिया गया है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, मोहिनी हिंदुओं के देवता भगवान विष्णु का एक प्रसिद्ध अवतार है।

मोहिनी शब्द का अर्थ है, मन को मोहने वाला ”।

भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप तब धारण किया जब देव और असुरों के बीच युद्ध हुआ और असुरों ने अमृत पर अधिकार कर लिया। मोहिनी के रूप में, भगवान विष्णु ने असुरों से अमृत को लेकर देवताओ को दिया ।

जब भगवान शंकर राक्षस भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि जिस व्यक्ति पर वह हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा - तब उस दुष्ट भस्मासुर ने भगवान शंकर को ही भस्म करने की कोशिश की, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अपने मोहक सौंदर्य नृत्य से उसे मार दिया ।

मोहिनीअट्टम महिला नर्तकियों द्वारा प्रस्तुत केरल का एकल नृत्य रूप है। मोहिनीअट्टम नृत्य की उत्पत्ति केरल के मंदिरों में हुई। भरतनाट्यम, और ओडिसी के समान, मोहिनीअट्टम नृत्य की उत्पत्ति मंदिरों में देवदासियों के द्वारा हुई ।

मोहिनीअट्टम कलाकार: स्मिता राजन, कलामंडलम कल्याणिकुट्टी अम्मा, हेमामालिनी, भारती शिवाजी, कनक रेले, सुनंदा नायर, कलामंडलम राधिका, रेमा श्रीकांत, पल्लवी कृष्णन ,लाइन अविन सिवनील्ली, कलामंडलम हिमायती, राधा दत्तापति, राधा दत्तापति

ओडिसी नृत्य

ओडिसी नृत्य सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है। ओडिसी पूर्वी राज्य, ओडिशा का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है।

ओडिसी नृत्य मुख्य रूप से इतिहास में महिलाओं द्वारा किया गया था। ओडिसी नृत्य की उत्पत्ति देवदासी के नृत्य से हुई, जो ओडिशा के हिंदू मंदिर में नृत्य किया करती थी ।

ब्रह्मेश्वर मंदिर के शिलालेख में ओडिसी नृत्य का भी उल्लेख किया गया है। ओडिसी नृत्य के बहुत से ऐतिहासिक प्रमाण गुफाओं और भुवनेश्वर, कोणार्क और पुरी की मंदिर नक्काशी जैसे पुरातात्विक स्थलों में पाए जाते हैं।

ओडिसी नृत्य में कृष्ण अर्थात भगवान विष्णु के आठवें अवतार के बारे में कहानियाँ हैं।

ओडिसी नृत्य के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि यह एकमात्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य है जिसे 1991 में माइकल जैक्सन ने सिंगल ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ में प्रदर्शित किया था।

ओडिसी कलाकार: संजुक्ता पाणिग्रही, सोनल मानसिंह, झेलम परांजपे, माधवी मुद्गल केलुचरण मोहपात्रा, अनीता बाबू, अर्पिता वेंकटेश, चित्रा कृष्णमूर्ति, शर्मिला बिस्वास, माधवी मुद्गल, शर्मिला मुखर्जी, मधुमिता राउत, मधुमिता राउत प्रियंवदा मोहनती।

मणिपुरी नृत्य

मणिपुरी नृत्य पूर्वोत्तर राज्य, मणिपुर का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है। अपने जन्मस्थान मणिपुर के नाम पर इस नृत्य रूप को इसका नाम मिला।

मणिपुरी नृत्य को 'जागोई' के नाम से भी जाना जाता है।

मणिपुर नृत्य मुख्य रूप से राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग पर आधारित है। इस नृत्य रूप में विष्णु के जीवन की घटना को दर्शाया जाता है और इसे सबसे कोमल और शक्तिशाली रूप में व्यक्त किया जाता है।

मणिपुरी नृत्य भारत के अन्य शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) से अलग है। इस नृत्य रूप में, शरीर धीमी गति से चलता है। जब मणिपुरी नृत्य नर्तकियों द्वारा किया जाता है, तो वे तेजी से नहीं अपितु कोमलता के साथ अपने पैरों को जमीन पर रखते हैं।

लोकप्रिय धारणा यह है कि कृष्ण अपनी प्रिय राधा के साथ मणिपुरी नृत्य के प्रवर्तक थे।

मणिपुरी नर्तक कढ़ाई वाले घाघरा, हल्के मलमल के कपड़े, सिर पर सफेद घूंघट और पारंपरिक मणिपुरी गहने पहनकर इस नृत्य को करते हैं।

मणिपुरी कलाकार - हंजबा गुरु बिपिन सिंहा (मणिपुरी नृत्य और शैली के पिता के रूप में जाने जाते हैं), गुरु चंद्रकांता सिंहा - नारायणाचार्य, गुरु निलामधब मुखर्जी, गुरु हरिचरण सिंह, बिभोती देवी, कलाबती देवी, गुरु अमली सिंह, अम्बात सिंह, झवेरी बेहन , रीता देवी, गोपाल सिंह।

सत्त्रिया नृत्य

सत्त्रिया नृत्य आठ भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपराओं में से एक है। यह नृत्य असम का एक शास्त्रीय नृत्य (Shastriya Nritya) है। इस नृत्य के संस्थापक महान संत श्रीमंत शंकरदेव थे।

यह नृत्य असम के वैष्णव मठों में किया जाता था, जिसे सत्त्रा के नाम से जाना जाता है, इसलिए इस नृत्य को सत्त्रिया नृत्य कहा जाने लगा।

प्रारंभ में, यह नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था, लेकिन अब यह महिला नर्तकियों द्वारा भी किया जाता है। 15 नवंबर 2000 को, संगीत नाटक अकादमी ने सत्त्रिया नृत्य को भारत के शास्त्रीय नृत्य के रूप में मान्यता दी।

सत्त्रिया कलाकार: सुनील कोठारी, रंजुमोनी और रिंजुमोनी सैकिया, और उपासना महंत, रेखा तालुकदार, रूपरानी दास बोरा, अंजना मोई सैयकंद बॉबी चक्रवर्ती, मोनिराम दत्ता मुख्तियार बारबिकार, बारिकेश्वर बारिकिया, बारिकारिया बारिकारिया आनंद मोहन भगवती, गुरु इंदिरा पीपी बोरा, स्वर्गीय प्रदीप चालीहा, जतिन गोस्वामी।

भारत के नृत्य रूपों की राज्यवार सूची (Different Dance Forms of India with States) : –

राज्यनृत्य रूप
आंध्र प्रदेशविलासिनी नाट्यम, आंध्र नाट्यम, भमाकल्पम्, बुर्राकाठा, वीरनाट्यम, बुट्टा बोम्मलु, थोलू बोम्मालता, दप्पू, टप्पेटा गुल्लू, लम्बाडी, धीम्सा, कोलातम
अरुणाचल प्रदेशअजी लामू, चलो, शेर और मोर नृत्य, पासी कोंगकी, पोपिर, बुइया, वांचो, बारदो छम
असमबिहू, बागुरुम्बा, भोरताल नृत्य, बैदिमा, गोलिनी, झुमुर, बोहुआ नृत्य, ओजापाली, देवधानी
बिहारबिदेसिया, डोमकच, जट-जटिन, झिझिया, लवंडा नाच, फगुआ
छत्तीसगढगौर मारिया, पंथी, राऊत नाचा, गोंडी, करमा, झूमर, पंडवानी, वेदमती, कापालिक, चंदैनी
गुजरातडांडिया रास, भवई, गरबा, टिपपनी जुरीऊं
गोवाफुगड़ी, समयी नृत्य, धालो, कुनबी, धनगर, मांडी, झागोर, खोल, दकनी, तरंगमेल
हरयाणाझूमर, फाग नृत्य, घूमर, डाफ, धमाल, लूर, गुग्गा, खोर, गगोर
हिमाचल प्रदेशकिन्नौरी, ठोडा, झोड़ा, झाली, छरही, धामण, छपेली, महासू, डांगी, झैंता, छड़ी नृत्य
जम्मू और कश्मीरडोगरी भांगड़ा, कुड नृत्य, डुम्हाल, छज्जा नृत्य, क्रो डांस
झारखंडझूमर, जननी झूमर, मर्दाना झूमर, पाइका, फगुआ, फिरकाल, सरहुल, डांगा, डोमकच, घोड़ा नाच
कर्नाटकयक्षगान, हुत्तारी, सुग्गी, कुनिथा, करगा, लांबी, डोल्लू कुनिथा
केरलओट्टम थुलाल, कैकोट्टिकली, तप्प्तिकली, काली औत्तम, पडायनी, डफमुट्टू, थितंबु नृथम, थेय्यम
महाराष्ट्रलावनी, पावरी नाच, लेज़िम, गफ़ा, दहीकला दशावतार या बोहड़ा, तमाशा, मौनी, पोवारा, गौरीचा
मध्य प्रदेशतरताली, मटकी नृत्य, गौर मारिया, अहिराई, भदाम, खड़ा नाच, फूलपति नृत्य, ग्रिडा नृत्य, सेलाभदोनी, जवारा
मणिपुरथांग ता, लाई हराओबा, पुंग चोलोम, राखल, नट रैश, महा रैश, रौखत, डोल चोलम, खंबा थाइबी, नुपा डांस, रासलीला
मेघालयलाहो, बाला, का शाद सुक माइन्सिएम, नोंगक्रेम
मिजोरमचेराव नृत्य, खुआल्लम, चैलम, सावलकिन, सोलकिया, तलांग्लम, खानतम, पखुपिला, चेरोकन
नागालैंडचोंग, खैवा, लिम, नूरालिम, चांग लो / सुआ लुआ, बांस नृत्य, रंगमा, ज़ेलियांग, गेथिंगलिम
ओडिशाघुमरा, रणप्पा, कर्मा नृत्य, सावरी, पैंका, मुनारी, छाऊ, चाड्या दंडनता, लौड़ी खेला, बाघा नाचा, कैसाबादी, झूमर
पंजाबभांगड़ा, गिद्धा, डफ, किक्कली, धमन, भांड, नक़ल
राजस्थानघूमर, सुइसिनी, कालबेलिया, चकरी, गणगोर, झूलन लीला, झूमा, सुइसिनी, घपाल, पनिहारी, कच्छी घोड़ी नृत्य
सिक्किमचू फाट, मारुनी नृत्य, याक चाम सिकमारी, सिंघी चाम, याक चाम, खुकुरी नाच, चुटकी नाच
तमिलनाडुकरागम, कुमी, कोलट्टम, कवाडी, दप्पनकुथु, पराई अट्टम, मयिलाट्टम, कराकाट्टम, ओयिलट्टम, पुलियाट्टम, थेरु कुथु, बोम्मालट्टम
त्रिपुराहोजागिरी, संग्रिंग नृत्य
उत्तर प्रदेशनौटंकी, रासलीला, छपेली, जैता, कजरी, झोड़ा
उत्तराखंडकुमायुनी, चैपेली, कजरी, गढ़वाली, झोड़ा, रासलीला
पश्चिम बंगालपुरुलिया छाऊ, गंभीर, धुनुची नृत्य, जात्रा, डोमनी, कीर्तन, संथाली नृत्य, मुंडारी नृत्य, गजन, चैबारी नृत्य
तेलंगानापेरिनी शिवतांडवम, कैसाबादी
पुदुचेरीगराडी

इस लेख में, आपने भारत के शास्त्रीय नृत्य (Bharat ke Shastriya Nritya) के बारे में विस्तार से जाना। आशा है कि इस लेख के माध्यम से, आपने शास्त्रीय नृत्यों (Shastriya Nritya) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की होगी ।

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