सौर मंडल (Solar System)
By:-- Nurool Ain Ahmad
प्राचीन काल मे मिश्र यूनानी खगोलविद क्लाडियस टोलमी द्वारा 140 ई मे यह धारणा प्रस्तुत की कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केंद्र मे स्थित है और सभी ग्रह एवं पिंड इसके चारो ओर चक्कर लगाते है, इसे भू - केंद्रीय सिद्धांत कहा गया, परंतु 1543 मे पौलंड के खगोल शास्त्री कोपरनिकस ने यह स्पष्ट किया कि पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य ब्रह्मांड के केंद्र मे स्थित है और पृथ्वी सहित सभी ग्रह एवं पिंड सूर्य कि परिक्रमा करते है l इसे सूर्य केन्द्रीय सिद्धांत कहा गया l इसके पश्चात 16 वी शताब्दी मे केप्लर ने ग्रहीय कक्षाओं की गति के नियम को प्रतिपादित किया, इसमे भी सूर्य को ब्रह्मांड का केंद्र माना गया परंतु बाद मे 20 वी शताब्दी मे जब हमारी मन्दाकिनी (दुग्धमेखला) की तस्वीर स्पष्ट हुई तो यह पाया गया की सूर्य हमारी मन्दाकिनी के एक कोने मे स्थित है अतः इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया कि सूर्य ब्रह्मांड के केंद्र मे स्थित नहीं है l
ग्रह एवं तारे मे क्या अंतर है ?
सौर मंडल के विषय मे विस्तृत चर्चा करने से पूर्व हम ग्रह एवं तारो के बीच के अंतर को समझ लेते है l क्योकि जब बात सूर्य की आती है तो कई लोग नहीं जानते कि सूर्य क्या है ? कुछ लोगो के मन मे भ्रांति है कि सूर्य एक ग्रह है जबकि सूर्य ग्रह नहीं बल्कि एक तारा है l जो कि सौर मंडल के केंद्र मे स्थित है ओर पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करते है l
तारे एवं ग्रह मे अंतर को समझने से पूर्व हम इनकी परिभाषा को समझ लेते है l
तारे किसे कहते है ?
वे आकाशीय पिंड जो गैसों (हाइड्रोजन, हीलियम) से मिलकर बने होते है ओर उनके पास उनका स्वयं का प्रकाश एवं ऊर्जा होती है, तारे कहलाते है l सूर्य, पृथ्वी के सबसे निकट स्थित तारा है यही कारण है कि सूर्य कि ऊर्जा एवं प्रकाश हम तक पहुँचता है l
ग्रह किसे कहते है ?
ग्रह ठोस पदार्थों और तरल एवं गैसों से मिलकर बने होते हैं ऐसे पिंड जिनके पास अपना स्वयं का प्रकाश एवं ऊर्जा नहीं होती, वे पिंड तारो से ऊर्जा एवं प्रकाश को प्राप्त करते है, ग्रह कहलाते है l पृथ्वी एक ग्रह है जिसकी ऊर्जा एवं प्रकाश का स्त्रोत सूर्य नामक तारा है l
ग्रह व तारे के बीच अंतर -
- तारो का आकार ग्रहो कि तुलना मे अत्यधिक होता है जैसे कि सूर्य, पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है l
- तारे गैसों से मिलकर बने होते है जबकि ग्रह ठोस पदार्थों (धातुओं एवं चट्टानों) तरल एवं गैसों से मिलकर बने होते हैं से मिलकर बने होते है l
- तारों मे स्वयं का प्रकाश होता है जबकि ग्रह तारों कि रोशनी से प्रकाशमान होते है l
- ग्रहो का तापमान सूर्य से उनकी दूरी पर निर्भर करता है l
- ग्रह, तारे का चक्कर लगाते है जैसे पृथ्वी सूर्य का l जबकि तारे किसी के परिक्रमा नहीं करते है l
हमारा सौरमंडल -
सौर मंडल से आप क्या समझते है ? सौर मंडल का सामान्य अर्थ है सूर्य का परिवार जिसमे सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु आदि शामिल है l सूर्य इस सौर परिवार के केंद्र मे स्थित है l तो आइये हमारे सौर परिवार के विषय मे विस्तृत चर्चा करते है l
सूर्य -
सर्वप्रथम तो सूर्य के बारे मे यह जानना आवश्यक है कि सूर्य क्या है ? सूर्य एक तारा है जो कि अत्यधिक विशाल है और हमारे सौर मंडल का 99.99 % द्रव्यमान सूर्य मे ही निहित है l सूर्य गरम गैसों से मिलकर बना हुआ एक विशाल आग का गोला है l सूर्य कि ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हाइड्रोजन एवं हीलियम जैसी गैसे है l यहाँ हाइड्रोजन के चार नाभिक नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया द्वारा एक हीलियम नाभिक मे परिवर्तित हो जाते है और अपार ऊर्जा का निर्माण करते है l नाभिकीय संलयन द्वारा 40 लाख टन ऊर्जा प्रति सेकेंड उत्पन्न होती है l अतः सूर्य ही हमारे सौरमंडल की ऊर्जा एवं प्रकाश का स्त्रोत है l सूर्य का तापमान तो अत्यधिक है परंतु सूर्य के तापमान का बहुत अधिक प्रभाव ग्रहो पर नहीं पड़ता क्योकि सूर्य से दूरी बढ़ने के क्रम मे इसके तापमान मे कमी आते जाती है l सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 150 मिलियन किमी है l
सूर्य का द्रव्यमान - सूर्य का का द्रव्यमान 2 x 10^27 टन है जो की समस्त सौरमंडल का 99.85 % है जबकि अन्य ग्रहो का द्रव्यमान सूर्य की तुलना मे नगण्य है l
सूर्य का व्यास - सूर्य का व्यास 1392000 किमी है जो की पृथ्वी की तुलना मे 110 गुना ज्यादा है अर्थात सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना ज्यादा बड़ा है l
सूर्य से पृथ्वी की दूरी - सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 14,9600000 किमी (149.8 मिलियन किमी) है l यही कारण है की इतना विशालकाय आकार होने की बाद भी सूर्य धरती से देखने पर छोटा दिखाई देता है l सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने मे 8 मिनट 16 सेकेंड का समय लगता है l
सूर्य के अवयव तत्व - सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन एवं हीलियम से बना हुआ है l सूर्य की सतह के निर्माण मे मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियन, लोहा, ऑक्सीजन, निकेल, सल्फर, कार्बन, नियोन, क्रोमियम, केल्सियम आदि तत्वों का योगदान है l हेन्स बेथ के अनुसार 10^7 ॰ सेंटीग्रेट पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर सूर्य के भीतर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करते है l सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने के लिए वायुमंडल की मोटी परत को पार करना पड़ता है l इस कारण सूर्य से पृथ्वी तक आने वाली आधे से अधिक ऊर्जा (लगभग 54 %) रास्ते मे ही नष्ट हो जाती है और केवल 46 % ऊर्जा ही पृथ्वी को प्राप्त होती है l पृथ्वी को सूर्य की ऊर्जा का अरबवाँ हिस्सा प्राप्त होता है l
सूर्य का तापमान कितना है ?
सूर्य का तापमान लगभग 15 मिलियन ॰ सेल्सियस है l यह सूर्य के क्रोड का तापमान है जबकि सूर्य की बाहरी सतह का तापमान 6000॰ सेल्सियस है l अतः सूर्य के केंद्र की ओर बढ्ने पर तापमान बढ़ता जाता है और केंद्र पर तापमान अत्यधिक हो जाता है l सूर्य के इस तापमान का प्रभाव ग्रहो पर भी पड़ता है अर्थात जो ग्रह सूर्य के नजदीक स्थित है उनका तापमान अधिक एवं जो सूर्य से दूर स्थित है उनका तापमान कम होता है l सूर्य के इस तापमान का कारण सूर्य के भीतर होने वाली नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया है जिससे अत्यधिक मात्रा मे ऊर्जा का निर्माण होता है और इस अभिक्रिया के परिणाम स्वरूप ही सूर्य का तापमान हमेशा ही बना रहता है l
सूर्य की परिभ्रमण एवं परिक्रमण अवधि - सूर्य मन्दाकिनी के एक कोने मे स्थित है और सूर्य अपनी मन्दाकिनी का एक चक्कर 250 मिलियन वर्षो (25 करोड़) मे पूरा करता है इसे सौर वर्ष (निहारिका वर्ष) कहते है मन्दाकिनी के परिक्रमा सूर्य 220 किमी / घंटा की चाल से पूरी करता है, जबकि सूर्य अपनी अक्ष पर भी परिक्रमा करता है और एक परिक्रमा करने मे 25.8 दिनो का समय लेता है l इसे सौलर रोटेशन कहते है l सूर्य अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम दिशा मे चक्कर लगाता है l सूर्य अपने अक्ष पर 7 डिग्री का कोण बनाता है।
सूर्य से इलेक्ट्रॉन व प्रोटोन के कण बाहर निकलते रहते है ये कण सौर पवनो के रूप मे दिखाई देते है l इसके प्रभाव से पृथ्वी के वायुमंडल मे आयनीकृत गैसों का ह्वास होता है l जिसके कारण ध्रुवो पर चमक (एरोरा) दिखाई देती है l यह चमक आयन मंडल मे आर्कटिक व अंटार्कटिक क्षेत्र मे दिखाई देती है l इस चमक को उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव मे क्रमशः अरोरा बोरियालिस व अरोरा आस्ट्रालिस कहा जाता है l
सूर्य के पश्चात पृथ्वी का दूसरा सबसे नजदीक तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है जिसका प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने मे 4.5 वर्ष का समय लगता है l 22 जुलाई 2009 को 21 वीं सदी का सबसे बड़ा ज्ञात सूर्य ग्रहण था l
सूर्य का महत्व - सूर्य का हमारे जीवन मे अत्यंत महत्व है l सूर्य से ही हमे प्रकाश एवं ऊर्जा प्राप्त होती है l यदि सूर्य का अस्तित्व नहीं होता तो धरती का भी अस्तित्व असंभव था क्योंकि बिना सूर्य की रोशनी के मनुष्य, पेड़ - पौधे, जीव जन्तु आदि जीवित नहीं रह सकते है l पेड़ पौधे सूर्य के प्रकाश मे ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा स्वंम के लिए भोजन का निर्माण करते है और इन पेड़-पौधो (अनाज) को खाकर ही जीव जन्तु आदि जीवित रहते है l सूर्य से ही हमारी पृथ्वी की जलवायु एवं मौसम परिवर्तित होते है (क्योंकि हमारी पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है) l
सौरमंडल के ग्रह / ग्रहीय मंडल -
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाये तो ग्रहों की संख्या नौ है जिसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, ब्रहस्पति, शनि, राहू एवं केतू आदि सम्मिलित है l परंतु खगोल शास्त्र के अनुसार ग्रहो की संख्या 8 है जिसमे बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण सम्मिलित है l
2006 से पूर्व प्लूटो (यम) हमारे सौर मंडल मे सम्मिलित नौवां ग्रह था परंतु 24 अगस्त 2006 को इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन ने प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से निकाल कर बौने ग्रह की श्रेणी मे डाल दिया l
सौर मंडल का ग्रह होने के लिए मानक तय किए गए थे जिसके अनुसार प्रत्येक ग्रह की अपनी एक स्वतंत्र कक्षा होनी चाहिए परंतु प्लूटो इस मानक पर खरा नहीं उतरता है वह जब सूर्य की परिक्रमा करता है तो उसकी कक्षा वरुण की कक्षा से टकराती है l यही कारण है की प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से हटा दिया गया एवं उसे सौर मंडल के बाहर स्थित क्यूपर बेल्ट का हिस्सा माना गया और उसे अन्य बौने ग्रहो की तरह ही माना गया l अतः सौर मंडल मे ग्रहों की संख्या कितनी है यह आप जान गए होंगे।
सूर्य के सबसे नज़दीक स्थित ग्रह अर्थात बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह को स्थलीय ग्रह कहते है क्योकि इन ग्रहो मे कठोर चट्टानी सतह (सिलिकेट शेल एवं धातु) पायी जाती है l इन ग्रहो को आंतरिक ग्रह या पृथ्वी तुल्य ग्रह भी कहते है l जबकि अन्य चार ग्रहो बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण गैस जायट कहते है क्योकि ये ग्रह आकार मे बहुत बड़े है और इनकी सतह गैसीय तत्वों से मिलकर बनी हुई है l इन ग्रहों को बाहरी ग्रह या बृहस्पति तुल्य ग्रह भी कहते है l
ग्रहो का परिक्रमा पथ - सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण सभी ग्रह सूर्य के चारो ओर एक निश्चित कक्षा मे चक्कर लगाते है l सभी ग्रह सूर्य के चारो ओर दीर्घव्रत्ताकार कक्षा मे चक्कर लगाते है l बुध सूर्य के सबसे निकट एवं वरुण सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है l इसलिए सूर्य की परिक्रमा मे सबसे कम समय बुध (88 दिन) और सबसे अधिक समय वरुण (165 वर्ष) को लगता है l
आइये सौरमंडल के नौ ग्रहो के बारे मे जानकारी प्राप्त करते है और इनकी विस्तृत चर्चा करते है -
बुध ग्रह -
- बुध आकार मे सबसे छोटा ग्रह एवं सूर्य के सबसे नजदीक स्थित ग्रह है l
- बुध पृथ्वी के पश्चात सर्वाधिक सघन वातावरण वाला ग्रह है l
- बुध को सूर्य की परिक्रमा करने मे 88 (50 किलोमीटर प्रति सेकंड) दिनो का समय लगता है l
- बुध के घूर्णन की गति सबसे कम है l
- बुध का तापांतर सभी ग्रहों मे सबसे अधिक 600 ॰C है l इसका तापमान रात के समय -173॰C एवं दिन के समय 427॰ C हो जाता है l
- बुध पर वातावरण न होने के कारण यहाँ पर पलायन वेग अत्यधिक कम होता है l
- बुध ग्रह का कोई भी उपग्रह नहीं है l
- बुध चंद्रमा के सदृश्य दिखने वाला ग्रह है ।
- बुध को वाणिज्य का देवता भी कहा जाता है l
- कभी- कभी बुध सूर्य की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब यह एक छोटे से धब्बे की तरह दिखाई देता है l 7 मई 2003 को यह स्थिति बनी थी अगली बार यह घटना संभवतः 13 नवम्बर 2032 को घटेगी l
- बुध ग्रह का व्यास - 4880 किमी
- बुध ग्रह की सूर्य से दूरी - 5.8 करोड़ किमी
- बुध ग्रह का घनत्व - 5.4 ग्राम / सेमी^3
- बुध ग्रह का एक दिन - पृथ्वी के 58 दिन 15 घंटे
- परिक्रमण काल - 88 दिन
शुक्र ग्रह -
- शुक्र ग्रह सूर्य के दूसरा सबसे निकट का ग्रह एवं पृथ्वी के सबसे निकट स्थित ग्रह है l
- यह सौर मंडल का सबसे अधिक तापमान (गर्म) वाला ग्रह है l इसका तापमान लगभग 457 ॰C है l सघन वातावरण एवं ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण यह ग्रह अत्यधिक गरम ग्रह है l
- शुक्र ग्रह सूर्य के प्रकाश का लगभग 70% तक परवर्तित कर देता है अतः शुक्र ग्रह चंद्रमा के बाद सौरमंडल मे सबसे चमकीला पिंड है l यही कारण है की शुक्र ग्रह को 'भोर का तारा' भी कहा जाता है l शुक्र ग्रह को 'प्यार एवं सुंदरता की देवी' भी कहा जाता है l
- शुक्र ग्रह आकार एवं द्रव्यमान मे पृथ्वी के समान ही है अतः इसे 'पृथ्वी की जुड़वा बहन' भी कहा जाता है l
- शुक्र के वातावरण मे लगभग 96% कार्बनडाईऑक्साइड है जबकि 34% नाइट्रोजन, 0.015% सल्फर डाई ऑक्साइड विदमान है l
- शुक्र ग्रह की कक्षीय गति लगभग 32 किमी/से है l
- शुक्र ग्रह सूर्य का एक चक्कर 225 दिनो मे लगाता है जबकि अपने अक्ष पर एक चक्कर 243 दिनो मे लगाता है अर्थात शुक्र पर एक दिन 243 दिनो का एवं एक वर्ष 225 दिनो का होता है l जो कि एक आश्चर्य की बात है l
- शुक्र ग्रह पर दिन एवं रात का तापमान लगभग एक समान होता है l
- शुक्र अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम कि ओर घूमता है जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व दिशा मे घूमते है l
- शुक्र सूर्य और पृथ्वी के बीच से 10-11 दिसंबर 2017 को गुजरा था l
- 2006 मे वीनस एक्सप्रेस नामक उपग्रह शुक्र कि कक्षा मे भेजा गया था l
- शुक्र ग्रह का व्यास - 12104 किमी
- शुक्र ग्रह का द्रव्यमान - 7.87 x 10^24 किग्रा
- शुक्र ग्रह कि त्रिज्या - 6052 किमी
- शुक्र ग्रह का घनत्व - 5.25 ग्राम/सेमी^3
- शुक्र ग्रह पर एक दिन - पृथ्वी के 117 दिन
- शुक्र ग्रह की सूर्य से दूरी - 108100000 किलोमीटर
- परिक्रमण काल - 243 दिन
- परिभ्रमण काल - 225 दिन
पृथ्वी -
- पृथ्वी सौर मंडल का पाँचवाँ सबसे बड़ा एवं सूर्य से दूरी के क्रम मे तीसरा ग्रह है l
- हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसका नाम किसी ग्रीक/रोमन देवी देवता के नहीं रखा गया है l
- पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5॰ झुकी हुई है l
- पृथ्वी का समस्त क्षेत्रफल 51 करोड़ वर्ग किमी है l जिसमे से 36 करोड़ वर्ग किमी पर जल मंडल एवं 15 करोड़ वर्ग किमी पर स्थल मंडल है अर्थात 71% पर जलमंडल एवं 29% पर स्थलमंडल है l पृथ्वी के स्थलमंडल को 7 महद्वीपों मे बांटा गया है l स्थल मंडल के 29% पर एशिया, 20% पर अफ्रीका, 16% पर उत्तरी अमेरिका, 11.8% पर दक्षिणी अमेरिका, 9.6% पर आन्टार्कटिका, 6.5% यूरोप, एवं 5.3% पर ऑस्ट्रेलिया है l
- जलमंडल के 46% पर प्रशांत महासागर, 24% पर अटलांटिका महासागर, 20% पर हिन्द महासागर, 4% पर आर्कटिक महासागर व शेष 6% पर अन्य सागर एवं खाड़ी है l
- पृथ्वी का एकमात्र प्रकृतिक उपग्रह चंद्रमा है l
- पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने मे 23 घंटे 56 मिनट 4.9 सेकेंड मे पूरा करती है l इसे परिभ्रमण काल भी कहते है l पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण ही दिन एवं रात होती है l
- पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिन 6 घंटे 16 मिनट मे पूरा करती है l इसे पृथ्वी की वार्षिक गति (परिक्रमण काल) भी कहते है और परिक्रमण के कारण ही पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है l
- जर्मन एवं अँग्रेजी शब्द से पृथ्वी को Earth नाम मिला l Earth का अर्थ धरती होता है l
- पृथ्वी अपने ध्रुवो पर थोड़ी सी चपटी है पृथ्वी के इस आकार को जियोड (Geoid) कहते है l
- पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास 12756 किमी एवं ध्रुवीय व्यास 12714 किमी है l
पृथ्वी को अद्भुत ग्रह क्यो कहा जाता है ?
हमारी पृथ्वी की तुलना यदि अन्य ग्रहो से की जाये तो हम देखते है कि हमारी पृथ्वी अन्य ग्रहो से बिलकुल अलग है l पृथ्वी सौरमंडल का ऐसा ग्रह जो मनुष्य एवं जीव जन्तुओ के जीवन के लिए अनुकूल है l पृथ्वी पर जीवन कि संभावना के लिए सभी प्राकृतिक संसाधन उपस्थित है जैसे खनिज, पेड़-पौधे, जल, हवा आदि l
वैज्ञानिको द्वारा अन्य ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाओ के लिए लगातार खोज की जा रही है परंतु अभी तक ऐसा कोई ग्रह नहीं है जो पृथ्वी के समान जीवन के लिए अनुकूल हो l
हमारी पृथ्वी न तो अत्यधिक गरम है न ही अत्यधिक ठंडी l यहाँ जीने के लिए आवश्यक गैसे ऑक्सीजन आदि उपस्थित है l यह परिस्थितियाँ ही पृथ्वी को अन्य ग्रहों से अनोखा बनाती है l अतः इसलिए पृथ्वी को अद्भुत ग्रह कहा जाता है l
पृथ्वी पर जल की अधिकता है l इसमे 71% पर जल ओर 29% पर स्थल है अर्थात पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से ढका हुआ है l यही कारण है की पृथ्वी अंतरिक्ष से देखने मे नीली दिखाई देती है और इस कारण पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहा जाता है l
- पृथ्वी की आयु - 4.6 बिलियन वर्ष
- पृथ्वी की त्रिज्या - 6391
- पृथ्वी का द्रव्यमान - 5.97 x 10^24 टन
- पृथ्वी का घनत्व - 5.5 ग्राम/सेमी^3
- पृथ्वी के घूर्णन की गति - 1610 किमी/घंटा
- पृथ्वी के परिभ्रमण की गति - 107160 किमी/घंटा
- पृथ्वी और सूर्य के बीच की अधिकतम दूरी - 15.21 करोड़ किमी (अपहीलियन)
- पृथ्वी और सूर्य के बीच की न्यूनतम दूरी - 14.70 करोड़ किमी (पेरीहीलियन)
- पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी - 3,84,365 किमी
मंगल ग्रह -
- मंगल, सूर्य से दूरी के आधार पर चौथा सबसे निकट ग्रह है l
- सौरमंडल मे पृथ्वी के अलावा मंगल एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन एवं पानी की संभावना है और इसके लिए लगातार खोज की जा रही है l
- मंगल ग्रह अपने अक्ष पर 25 ॰ झुकी हुई है और इसका परिभ्रमण काल लगभग पृथ्वी के समान 24 घंटे 37 मिनट 23 सेकेंड है l
- निक्स ओलंपिया मंगल ग्रह पर स्थित सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत (21 किमी) है जो की एवरेस्ट की तुलना मे तीन गुना ज्यदा ऊंचा है l
- नासा ने 2009 मे मंगल मे मिथेन की खोज की थी l
- आइरन ऑक्साइड की उपस्थिती के कारण मंगल ग्रह का रंग लाल दिखाई देता है l
- ‘वाइकिंग 1’ मंगल की सतह पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान था।
- भारत द्वारा मंगल ग्रह पर अपना पहला अन्तरिक्ष यान 'मंगल यान' 5 नवंबर 2013 को श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय अन्तरिक्ष प्रक्षेपण यान PSLV - C - 25 द्वारा प्रक्षेपित किया गया और यह यान 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा मे पहुंचा l इस प्रकार ISRO चौथी अंतरिक्ष एजेंसी है जिसने मंगल हेतु अपना मिशन भेजा l
- मंगल ग्रह की सूर्य से दूरी - 23 करोड़ किमी
- मंगल का विषुवतीय व्यास - 6792 किमी
- मंगल का ध्रुवीय व्यास - 6752 किमी
- मंगल ग्रह का तापमान - -150 ॰ किमी
- मंगल ग्रह का परिभ्रमण काल - 687 दिन
- मंगल ग्रह का घनत्व - 3.94 ग्राम/सेमी^3
- मंगल के उपग्रह - फोबोस एवं डिमोस
बृहस्पति ग्रह -
- बृहस्पति सूर्य से दूरी के क्रम मे पांचवा ग्रह है और यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है l
- सूर्य के बाद बृहस्पति ही सौरमण्डल का सबसे बड़ा पिंड है l इसका द्रव्यमान सौरमंडल के सभी ग्रहों के द्रव्यमान का लगभग 2.5 गुना है l
- बृहस्पति अपने अक्ष पर सभी ग्रहों से सबसे तेज़ गति से घूर्णन करता है l
- अपने विशाल आकार के कारण ब्रहस्पति को 'तारा सद्रस्य ग्रह' भी कहते है l
- ब्रहस्पति को 'देवताओ का गुरु' भी कहा जाता है l
- NASA ने 5 अगस्त 2011 को बृहस्पति के अध्ययन के लिए 'जूनों' नामक उपग्रह भेजा जो 2016 मे इसके वातावरण मे प्रवेश कर गया एवं 2017 मे इससे टकरा कर नष्ट हो गया l
- ब्रहस्पति के ज्ञात ग्रहो की संख्या 67 है और गेनीमेड बृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह है यह सौर मंडल का भी सबसे बड़ा उपग्रह है l
- बृहस्पति ग्रह की सूर्य से दूरी - 77.011 करोड़ किमी
- बृहस्पति ग्रह की त्रिज्या - 1,42,800 किमी
- ब्रहस्पति ग्रह का द्रव्यमान - 1.898 x 10^27 किग्रा
- ब्रहस्पति ग्रह का तापमान - -150 ॰ सेल्सियस
- बृहस्पति ग्रह का परिभ्रमन काल - पृथ्वी के 9 घंटे 50 मिनट
- बृहस्पति ग्रह का परिक्रमण काल - 12 वर्ष
- ब्रहस्पति ग्रह का पलायन वेग - 59.2 किमी/सेकेंड
- ब्रहस्पति ग्रह का घनत्व - 1.33 ग्राम/सेमी^3
शनि ग्रह -
- यह सूर्य से दूरी के क्रम मे छठवाँ ग्रह है एवं आकार मे दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।
- शनि ग्रह के वातावरण मे पीला अमोनिया और मिथेन पाया जाता है इसी कारण इस ग्रह का रंग हल्का भूरा होता है ।
- शनि ग्रह की खोज गेलीलियो ने 1610 ई मे की थी ।
- शनि ग्रह अपने अक्ष पर 26.7॰ झुका हुआ है ।
- इस ग्रह की आंतरिक संरचना बृहस्पति के समान है व इसकी प्रमुख विशेषता इसके चारो ओर पाये जाने वाले हजारो छल्ले है जिसमे से 7 प्रमुख है ।
- शनि ग्रह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसका अपना स्वयं का वायुमंडल है ।
- शनि ग्रह का घनत्व सभी ग्रहो मे सबसे कम (0.7 ग्राम/सेमी^3) है ।
- शनि के उपग्रहो की संख्या लगभग 17 है जिनमे से टाइटन सबसे बड़ा ग्रह है जिसकी खोज 1665 मे क्रिश्चियन हायजोन ने की थी ।
- NASA ने 1998 मे इसके अध्ययन के लिए केसरी नामक अन्तरिक्ष यान भेजा ।
- शनि ग्रह की सूर्य से दूरी - 105134 बिलियन किमी
- शनि ग्रह का द्रव्यमान - 5.68 x 10^26 किग्रा
- शनि ग्रह का व्यास - 1,20,000 किमी
- शनि ग्रह का तापमान - -180॰
- शनि ग्रह का परिक्रमण काल - 29.46 वर्ष
- शनि ग्रह का परिभ्रमण काल - पृथ्वी के 10 घंटे 14 मिनट
- शनि ग्रह का घनत्व - 0.7 ग्राम/सेमी^3
- शनि ग्रह का पलायन वेग - 32 किमी/सेकंड
अरुण ग्रह -
- सूर्य से दूरी के क्रम मे अरुण सातवाँ ग्रह है और यह तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।
- अरुण ग्रह अपने अक्ष के चारो ओर पूर्व से पश्चिम दिशा मे घूर्णन करता है ।
- अरुण का सबसे बड़ा उपग्रह टिटेनिया है जिसकी खोज 1781 मे विलियम हर्शेल ने की थी ।
- दूरबीन से देखने पर यह हरे रंग का दिखाई देता है l यह दूरबीन से देखा जाने वाला प्रथम ग्रह था ।
- अरुण ग्रह की खोज वायेजर - 1 द्वारा की गयी थी ।
- अरुण ग्रह अपने अक्ष पर लगभग 82॰ झुका हुआ है इसलिए इसे 'लेटा हुआ ग्रह' भी कहते है ।
- अरुण का व्यास - 50724 किमी
- अरुण ग्रह का द्रव्यमान - 8.68 x 10 ^25 किग्रा
- अरुण ग्रह का परिक्रमण काल - 84 वर्ष
- अरुण ग्रह का परिभ्रमण काल - 17 घंटे
- अरुण ग्रह का घनत्व - 1.3 ग्राम /सेमी^3
- अरुण ग्रह का तापमान - -218॰ सेल्सियस
- अरुण ग्रह का पलायन वेग - 22 किमी/सेकेंड
वरुण ग्रह -
- वरुण ग्रह सूर्य से दूरी के क्रम मे आठवाँ और सौरमंडल का अंतिम ग्रह है ।
- वरुण का सबसे बड़ा ग्रह ट्रीटन है ।
- अरुण व वरुण को 'जुड़वा ग्रह' कहते है ।
- वरुण को पहली बार 1846 मे देखा गया था इसकी खोज जोहान गाले ने की ।
- वरुण ऐसा पहला ग्रह है जिसका पता गणितीय गणना के आधार पर लगाया गया था ।
- मिथेन गैस की उपस्थिती के कारण वरुण ग्रह हरे रंग का दिखाई देता है ।
- वरुण ग्रह की सूर्य से दूरी - 4.4764 बिलियन किमी
- वरुण का व्यास - 49528 किमी
- वरुण ग्रह का द्रव्यमान - 1.02 x 10^26 किग्रा
- वरुण ग्रह का परिक्रमण काल - 165 वर्ष
- वरुण ग्रह का परिभ्रमण काल - 17 घंटे
- वरुण ग्रह का घनत्व - 1.6 ग्राम/सेमी^3
- वरुण ग्रह का तापमान - - 278 (सभी ग्रहो मे सबसे कम तापमान)
- वरुण ग्रह का पलायन वेग - 23.5 km/s
इसके अलावा बुध, शुक्र, शनि, बृहस्पति, एवं मंगल ग्रह को खुली आँखो से देखा जा सकता है ।
ग्रहो के अलावा हमारे सौरमंडल मे उपग्रह भी उपस्थित है जिसमे प्रमुख उपग्रह चंद्रमा है जो की पृथ्वी का उपग्रह है । तो चलिये जानते है हमारे सौरमंडल के अनोखे उपग्रह चंद्रमा के विषय मे ।
चंद्रमा क्या है ?
- चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्रकृतिक उपग्रह है ।
- चंद्रमा की सतह के अध्ययन को 'सेलेनोलोजी' कहते है ।
- चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण का मान पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के मान का 1/6 है अर्थात यदि किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर 60 किग्रा है तो चंद्रमा पर उसका भार 10 किग्रा होगा ।
- चंद्रमा पर दिन का तापमान 100॰C एवं रात का तापमान -180॰ C होता है ।
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'माउंट लिबनिट्ज़' नामक पर्वत पाया जाता है , इसकी ऊंचाई 11660 मीटर है ।
- चंद्रमा का प्रकाश पृथ्वी पर 1.25 सेकेंड मे पहुंचता है ।
- चन्द्रमा को 'जीवाश्म ग्रह' भी कहते है ।
- जब चंद्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है तो उसे अपोजी (4,06,699 किमी) जबकि यह पृथ्वी से न्यूनतम दूरी पर होता है तो इसे पेरोजी (3,56,399) कहा जाता है ।
- जब चंद्रमा पृथ्वी से निकटतम दूरी पर होता है तो इसे सुपर मून भी कहा जाता है क्योकि इस समय चंद्रमा 14% बड़ा एवं 30% अधिक चमकदार दिखाई देता है । यह नाम 1979 मे वैज्ञानिक रेचर्ड डेल्लों ने दिया था । 1 वर्ष 1 माह 18 दिन बाद यह स्थिति बनती है । जब चंद्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है तो यह 12% छोटा दिखाई देता है ।
- चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार का 1/4 गुना है ।
- चन्द्रमा पर पर पहला मानव रहित मिशन 1959 मे भेजा गया ।
- चंद्रमा पर पहला मानव मिशन 1969 मे अपोलो - 11 द्वारा भेजा गया । जिसके द्वारा नील आर्मस्ट्रॉंग व उनके साथी एडविन एल्ड्रिन ने सर्वप्रथम चंद्रमा की धरती पर कदम रखा । उस स्थान को 'शांति का सागर' (Sea of Tranquility) नाम दिया गया ।
- 1998 मे NASA ने अपने Lunar Prospector द्वारा पता लगता कि चंद्रमा पर जल एवं हिम का आवरण है ।
- चंद्रमा का पलायन वेग बहुत कम (2.38 किमी/सेकेंड) है इसलिए ही यहाँ भारी गैसे नहीं रहती ।
- चंद्रमा कि ऊपरी परत मे हीलियम पायी जाती है जिसे दूसरी पीढ़ी का ईधन कहते है ।
- चंद्रमा सौरमंडल का 5 वाँ सबसे बड़ा उपग्रह है ।
- चंद्रमा सौरमंडल का सबसे चमकीला पिंड है ।
- चंद्रमा की आयु - 4.6 बिलियन वर्ष
- चंद्रमा का व्यास - 3478 किमी
- चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी - 3,84,365 किमी
- चंद्रमा का परिक्रमण काल - 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट 11 सेकेंड
- चंद्रमा का परिभ्रमण काल - 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट 11 सेकेंड
- चंद्रमा की सतह का तापमान - 100॰ से -180॰ C
- चंद्रमा का द्रव्यमान - 7.35 x 10^19 (पृथ्वी की तुलना मे 1/81 भाग)
- चंद्रमा का घनत्व - 3.3464 ग्राम/सेमी^3
- चंद्रमा का पलायन वेग - 2.4 किमी/सेकेंड
- चंद्रमा का आयतन - 2.1958 किमी^3 (पृथ्वी की तुलना मे 1/50)
पृथ्वी से चंद्रमा का केवल एक ही भाग क्यों दिखाई देता है?
चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है जो की पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाता है । चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर एक चक्कर लगाने मे 27 दिन 7 घंटे का समय लेता है । जबकि चंद्रमा अपने अक्ष पर भी एक चक्कर लगभग 27 दिन 7 घंटे मे ही लगाता है । यही कारण है की हम चंद्रमा का केवल एक भाग ही देख पाते है और चंद्रमा का केवल 59% भाग ही हम पृथ्वी से देख पाते है ।
क्या आपको पता है की चंद्रमा पर वातावरण नहीं पाया जाता अर्थात वहाँ निर्वात पाया जाता है इसलिए वहाँ बात कर पाना संभव नहीं है क्योकि ध्वनि को चलने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है ।
क्षुद्रग्रह (Asteroid) -
हमारे सौरमंडल मे सूर्य, ग्रह, उपग्रह के अलावा अन्य छोटे-छोटे पिंड पाये जाते है जो की सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाते है इन छोटे-छोटे पिण्डो को क्षुद्रग्रह कहते है । खगोलशास्त्रियों के अनुसार क्षुद्रग्रहो का निर्माण ग्रहो के विस्फोट के स्वरूप टूटे हुए टुकड़ो से हुआ है (सभवतः बृहस्पति जैसे विशाल ग्रह के अवशेष से)। क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से मंगल एवं बृहस्पति की कक्षा के बीच मे पाये जाते है ।
- क्षुद्रग्रह सूर्य के चारो ओर पश्चिम से पूर्व दिशा मे चक्कर लगाते है ।
- सीरस नमक क्षुद्रग्रह की खोज सबसे पहले हुई थी । जिसे 1809 मे ग्युसेप पियाजी नामक खगोलविद ने खोजा था ।
- प्रेक्षणों से पता चला है कि क्षुद्रग्रह Ni, Fe, Co, Pt आदि धातुओ के भंडार से भरपूर है । इसलिए इन्हे Mining In the Sky भी कहते है ।
- सभी ज्ञात क्षुद्रग्रहों का आकार अनियमित व अनिश्चित है जबकि सीरस का आकार गोल है ।
धूमकेतु / पुच्छल तारा (Comet) -
यह बर्फ, धूल एवं हिमानी गैसों से भरी चट्टानों और धातुओं के पिंड होते है । ये पिंड सूर्य के चारो ओर परावलीय पथ पर परिक्रमा करते है । जब कभी ये पिंड पृथ्वी के निकट होते है तब इन्हे नग्न आंखो से देखा जा सकता है । ये पिंड हमारे सौरमंडल के स्थायी सदस्य है । सर्वप्रथम राइको ब्राहमे ने इनकी खोज की थी । हैली नमक धूमकेतु पृथ्वी से प्रत्येक 76 वर्ष बाद देखा जा सकता है । जबकि वेचमन 16 वर्ष एवं ओटेरमा 8 वर्ष बाद देखा जा सकता है ।
धूमकेतु के निर्माण मे मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व अमोनिया आदि गैसे मुख्य रूप से पायी जाती है । धूमकेतु को दो भागो मे बांटा जा सकता है सिर एवं पूंछ । इसके सिर को नाभिक कहा जाता है , पुच्छल तारे के मध्य मे एक नाभिक होता है जब कभी कोई पुच्छल तारा सूर्य के पास से गुजरता है तब इसके अंदर उपस्थित हिम गैसे जलने लगती है और सूर्य की विपरीत दिशा मे ये गैसे जलते हुए धुए व रोशनी के रूप मे इसके पूंछ की तरह दिखाई देती है । इसी कारण ही इन्हे पुच्छल तारा कहा जाता है । सूर्य से दूर जाने पर यह पुनः इसके नाभिक मे बर्फ एवं धूल आदि जम जाता है ।
हैली नामक धूमकेतु 1986 मे दिखा था अगली बार यह 2062 मे दिखाई देगा । हैली का नाम खगोल शास्त्री एडमंड हैली के नाम पर रखा गया है ।
उल्का (Meteor) व उल्कापिंड (Meteorite) -
ये पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर पाये जाने वाले पत्थर व धातु के ठोस पिंड है । जब कभी ये पिंड पृथ्वी के समीप होते है तो यह पृथ्वी के आकर्षण के कारण पृथ्वी के वायुमंडल मे खीचे चले आते है और प्रवेश करते ही पृथ्वी के घर्षण के कारण गर्म होकर जलने लगते है । अतः इन्हे उल्का या 'टूटता तारा' कहते है । अधिकतर उलकाए पृथ्वी के वायुमंडल मे जलते हुए ही समाप्त हो जाते है परंतु उल्का जो हिस्सा पृथ्वी के धरातल तक पहुँचते है तो इन्हे उल्का पिंड कहते है ।
वास्तव मे उलकाए सौर मंडल के सदस्य होते है , इनकी उत्पत्ति भी सौरमंडल के भीतर ही होती है । उल्काओ का 93% भाग तक पत्थर से बना होता है।
- विश्व मे सबसे अधिक उल्कापाथ से प्रभावित स्थान USA का एरिज़ोना है यहाँ पर एक बड़े उल्का पिंड से बेरिंगर क्रेटर का निर्माण हुआ ।
- भारत के महाराष्ट्र के बोल्टाना जिले मे उल्का पिंड से बनी झील लोनार झील स्थित है । इसका व्यास 1.5 किमी तथा गहराई 100 मीटर है ।
- पृथ्वी कि सतह पर पाया गया अब तक का सबसे बड़ा उल्का पिंड होवावेस्ट है । जो कि नामीबिया के पास पाया गया था ।
सभी ग्रहो के नाम Hindi व English मे -
- Earth- पृथ्वी
- Jupiter- ब्रह्स्पति
- Mars- मंगल
- Mercury- बुध
- Neptune-वरुण
- Saturn- शनि
- Uranus- अरुण
- Venus- शुक्र
सौरमंडल के ग्रहों के बारे मे कुछ अन्य जानकारी -
सूर्य से बढ़ती हुई दूरी के क्रम मे ग्रहों का क्रम - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण
आकार के बढ़ते क्रम मे ग्रहो का क्रम - बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, वरुण, अरुण, शनि, बृहस्पति
परिक्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम मे ग्रहों का क्रम - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण
परिक्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम मे ग्रहों का क्रम - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध, शुक्र
द्रव्यमान के अनुसार बढ़ते क्रम मे ग्रहों का क्रम - बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि, बृहस्पति
घनत्व के अनुसार बढ़ते क्रम मे ग्रहो का क्रम - शनि, अरुण, बृहस्पति, वरुण, मंगल, शुक्र, बुध, पृथ्वी
तापमान के अनुसार बढ़ते क्रम मे ग्रहो का क्रम - वरुण, अरुण, शनि, बृहस्पति, मंगल, पृथ्वी, शुक्र, बुध
कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य -
- सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है - बृहस्पति
- सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है - बुध
- सूर्य से सबसे निकट स्थित ग्रह है - बुध
- सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है - वरुण
- सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है - गेनीमेड
- सौरमंडल का सबसे छोटा उपग्रह है - डीमोस
- सौरमंडल का का सबसे अधिक चमकीला ग्रह है - शुक्र
- सौरमंडल का सबसे अधिक उपग्रहों वाला ग्रह है - बृहस्पति
- सौरमंडल का का सबसे भारी ग्रह है - बृहस्पति
- सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है - वरुण
- पृथ्वी के सबसे निकट स्थित ग्रह है - शुक्र
- सौरप्रणाली की खोज की - कोपरनिकस ने
- वह वैज्ञानिक जिन्होने सर्वप्रथम बताया की पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है - कॉपर निकस
- खगोलीय इकाई कहा जाता है - पृथ्वी व सूर्य के बीच की दूरी को
- सूर्य के पृष्ठ का तापमान है - 6000॰ C
- सौरमंडल का वह ग्रह जो पृथ्वी के समान बड़ा है - शुक्र
- पृथ्वी स्थित है - शुक्र एवं मगल ग्रह के बीच
- पृथ्वी सूर्य से सबसे निकट होती है - 3 जनवरी को
- पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है - 4 जुलाई को
- सबसे पहले पृथ्वी की परधि को मापा था - इरेटोस्थीनीज़ ने
- पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास विषुवतीय व्यास से कितना कम है - लगभग 43 किमी
- पृथ्वी अपनी कक्षा मे घूमती है - पश्चिम से पूर्व की ओर
- पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन का कारण है - पृथ्वी का सूर्य के चारो ओर परिक्रमण
- पृथ्वी गोल है पहली बार कहा - अरिस्टोटल
- वह ग्रह जो हरे रंग के प्रकाश को उत्सर्जित करता है - वरुण ग्रह
- सूर्य की सबसे बाहरी परत को कहा जाता है - कोरोना
- सूर्य के मध्य भाग को कहा जाता है - प्रकाशमण्डल
- ग्रहण के समय सूर्य का दिखाई देने वाला भाग - कोरोना
- पृथ्वी पर समुद्र तल से सबसे गहराई वाला स्थान कौन-सा है - मारियाना ट्रेंच
- सूर्य के केंद्र मे पदार्थ जिस अवस्था मे रहते है - प्लाज्मा
- सौरमंडल का सबसे अधिक घनत्व वाला ग्रह है - पृथ्वी
- शुमेकर लेवी-9 धूमकेतु टकराया था - ब्रहस्पति से
- सौरमण्डल का जन्मदाता कहा जाता है - सूर्य को
- नॉर्वे र्में अर्द्धरात्रि के समय सूर्य दिखायी देता है - 21 जून को
- वह आकाशीय पिण्ड जिसे ‘पृथ्वी-पुत्र’ कहा जाता है - चंद्रमा
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने जिस ग्रह की खोज के लिए गैलीलियो नामक अंतरिक्ष यान भेजा था - बृहस्पति
- 'सी ऑफ़ ट्रंक्विलिटी' स्थित है - चंद्रमा पर
- बृहस्पति का द्रव्यमान है - सूर्य के द्रव्यमान का 1000वां भाग
- सबसे चमकदार तारा कौन सा है - सीरियस
- मंगल की परिक्रमा कक्षा में जाने वाले प्रथम एशियाई देश का नाम है - भारत
- ग्रहों की गति का नियम प्रतिपादित किया - केप्लर
- सौरमण्डल की खोज की - कोपरनिकस ने
- वह ग्रह जिनके उपग्रह नहीं है - बुध, शुक्र
- ब्रहस्पति के वलय बने हुए है - सिलिकेट
कैसे हैं आप सब ?????
आपसे गुज़ारिश करता हूँ कि यह पोस्ट पसंद आने पर Like,Comments और Share ज़रूर करें ताकि यह महत्वपूर्ण Data दूसरो तक पहुंच सके और मैं इससे और ज़्यादा Knowledgeable Data आप तक पहुंचा सकू जैसा आप इस Blogger के ज़रिए चाहते हैं ।
आपके उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ ....
नुरूल ऐन अहमद
Hell lot of Thnxxxxxx
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