प्रकाश (Light)
* प्रकाश वह ऊर्जा है जिससे दृष्टि संवेदना उत्पन्न होती है ।
* हाइगेन्स ने ' प्रकाश का तरंग सिद्धान्त ' का प्रतिपादन किया ।
* मेक्स प्लांक ने ' प्रकाश का क्वांटम सिद्धान्त ' का प्रतिपादन किया ।
* प्रकाश तरंग अनुप्रस्थ होती है ।
परावर्तन ( Reflection ) - जब प्रकाश की किरण किसी चमकीली सतह से या परावर्तक पृष्ठ से टकराती है तो पुन : उसी माध्यम में लौट जाती है जिस माध्यम से होकर यह आती है इसे प्रकाश का परातर्वन कहते हैं ।
परावर्तन के नियम :
( i ) आपतन कोण एवं परावर्तन कोण का मान बराबर होता है ।
( ii ) आपतित किरण , परावर्तित किरण एवं अभिलम्ब एक ही धरातल में स्थित होते हैं ।
समतल दर्पण : - ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ समतल हो समतल दर्पण कहलाता है । समतल दर्पण के सामने रखी वस्तु का ( i ) प्रतिबिम्ब सीधा व आभासी होता है । ( ii ) प्रतिबिम्व में पार्श्व परिवर्तन होता है । ( iii ) प्रतिबिम्ब एवं वस्तु का आकार बराबर होता है ।
गोलीय दर्पण : - ऐसे दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है , गोलीय दर्पण कहलाता है ।
गोलीय दर्पण के प्रकार :-
( i ) अवतल दर्पण ( Concave ) : - इसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर अर्थात् गोले के केंद्र की ओर वक्रित होता है ।
( ii ) उत्तल दर्पण ( Convex ) : - इसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की तरफ उभरा हुआ ( वक्रित ) होता है ।
अवतल दर्पण के उपयोग :-
( i ) टॉर्च , सर्चलाइट एवं वाहनों के हेडलाइट में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने हेतु ।
( ii ) बड़ा प्रतिबिंब देखने हेतु शेविंग दर्पण , एवं दंत विशेषज्ञ द्वारा उपयोग ।
( iii ) सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केन्द्रित करने हेतु ।
उत्तल दर्पण के उपयोग :-
( i ) वाहनों के पश्च दृश्य दर्पण के रूप में ।
( ii ) टेलिस्कोप में ।
( iii ) स्ट्रीट लाइट रिफ्लेक्टर के रूप में ।
फोकस दूरी ( f ) : - दर्पण के ध्रुव और मुख्य फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं ।
दर्पण सूत्र 1/f = 1/v + 1/u
आवर्धन ( m ) = प्रतिबिंब की ऊँचाई ( h ' )/ बिंब की ऊँचाई ( h )
अपवर्तन ( Refraction ) : - जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती हैं तो वह माध्यम के पृथक्कारी पृष्ठ पर अपने मार्ग से विचलित हो जाती है , इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं ।
* अपवर्तन की घटना प्रकाश के माध्यम के अनुसार वेग परिवर्तन के कारण होती है ।
* प्रकाश का सर्वाधिक वेग- 3x10 8 मीटर / सेकेंड निर्वात में होता है ।
* अपवर्तन के नियम :-
( 1 ) आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं ।
( 2 ) स्नेल का नियम : - आपतन कोण ( i ) की ज्या तथा अपवर्तन कोण ( r ) की ज्या का अनुपात एक +नियतांक होता है ।
( Sin i )/ ( Sin r ) =स्थिरांक ( u )
* अपवर्तन के उदाहरण :-
( 1 ) काँच के गिलास में रखी हुई पेंसिल मुड़ी हुई नजर आना ।
( 2 ) काँच के गिलास में रखा हुआ सिक्का उठा हुआ दिखना ।
( 3 ) रात्रि में तारों का टिमटिमाना ।
( 4 ) सूर्योदय व सूर्यास्त के समय क्षितिज से नीचे होने के बाद भी सूर्य का दिखाई देना ।
लेंस ( Lens ) : - दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हो , लेंस कहलाता है
* उत्तल लैंस ( Convex Lens ) : - लेंस जिसके दोनों गोलीय पृष्ठों का उभार बाहर की ओर हो उसे उत्तल या अभिसारी लेंस भी कहते हैं ।
* अवतल लेंस ( Concave Lens ) : - लेंस जिसके दोनों बाहरी गोलीय पृष्ठ अंदर की ओर वक्रित हो उसे अवतल या अपसारी लेंस कहते हैं ।
* लेंस की क्षमता : - किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसरण और अपसरण करने की मात्रा को लेंस की क्षमता कहते हैं ।
लेंस की क्षमता ( P ) = 1/f
* इसका S. I. मात्रक डाइऑप्टर ( D ) होता है ।
* उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक ( + ) होती है ।
* अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक ( - ) होती है ।
* लेंस की फोकस दूरी ज्ञात करने का सूत्र : 1/f = 1/v + 1/u
f - लेंस की फोकस दूरी
u -वस्तु की लेंस के प्रकाश केन्द्र से दूरी
V - प्रतिबिम्ब की लेंस के प्रकाश केन्द्र से दूरी
प्रकाश का वर्ण विशेषण : - जब सूर्य का श्वेत प्रकाश प्रिज्म से होकर गुजरता है तो वह सात रंगों में विभाजित हो जाता है । इसे वर्ण विक्षेपण कहते हैं ।
* इस वर्णक्रम को VIBGYOR से दर्शाया जाता है ।नियतांक होता है ।
( Sin i )/ ( Sin r ) = स्थिरांक ( u )
* अपवर्तन के उदाहरण :-
( 1 ) काँच के गिलास में रखी हुई पेंसिल मुड़ी हुई नजर आना ।
( 2 ) काँच के गिलास में रखा हुआ सिक्का उठा हुआ दिखना ।
( 3 ) रात्रि में तारों का टिमटिमाना ।
( 4 ) सूर्योदय व सूर्यास्त के समय क्षितिज से नीचे होने के बाद भी सूर्य का दिखाई देना ।
प्रकाश का वर्ण विशेषण : - जब सूर्य का श्वेत प्रकाश प्रिज्म से होकर गुजरता है तो वह सात रंगों में विभाजित हो जाता है । इसे वर्ण विक्षेपण कहते हैं ।
* इस वर्णक्रम को VIBGYOR से दर्शाया जाता है ।बैंगनी ( Violet ) , जामुनी ( Indigo ) , नीला ( Blue ) , हरा ( Green ) , पीला ( Yellow ) , नारंगी ( Orange ) , तथा लाल ( Red )
पूर्ण आंतरिक परावर्तन : - किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर जाती हुई कोई प्रकाश -किरण पृथक्कारी पृष्ठ पर क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतित होती है , तो उसका पुनः उसी माध्यम में परावर्तन होने की घटना पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहलाती है ।
+ पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण :
( 1 ) होरे का चमकना ।
( 2 ) रेगिस्तान में मरीचिका का दिखाई देना ।
( 3 ) पानी में पड़ी परखनली का चमकना ।
( 4 ) पानी में हवा भरे बुलबुलों का चमकना ।
प्रकाश का प्रकीर्णन : - प्रकाश के मार्ग के माध्यम यदि कोलाइडल कण हो तो वे कण प्रकाश को प्रकीर्णित ( फैलाना ) कर देते हैं । इसे ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं । जैसे - आकाश का नीला रंग , गहरे समुद्र का जल का रंग नीला , सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य का रक्ताभ दिखाई देना आदि ।
* महत्त्वपूर्ण तथ्य :
* इंद्रधनुष बननें का मुख्य कारण अपवर्तन , परावर्तन एवं पूर्ण आंतरिक परावर्तन है ।
* प्रकाश का रंग तरंग दैर्ध्य द्वारा निश्चित किया जाता है ।
* प्रकाश तन्तु प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है ।
* प्रकाश ऊर्जा के छोटे - छोटे पैकेटों के रूप में चलता है जिन्हें फोटोन कहते हैं ।
* लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम तथा बैंगनी रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है ।
प्रकाश (Light) किसे कहते है ?
प्रकाश (Light) ऊर्जा का एक रूप है, जिससे देखने की संवेदना प्राप्त होती है यह विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के रूप में चलती है। प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है। निर्वात तथा वायु में प्रकाश की चाल 3×10⁸m/sec होती है। जल में यह 2.25×10⁸m/sec होती है।
प्रकाश की प्रकृति के बारे में सर्वप्रथम न्यूटन ने कणिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार प्रकाश छोटे-छोटे हल्के कणों से मिलकर बना है।
इस सिद्धांत के आधार पर परावर्तन-अपवर्तन आदि की व्याख्या की जा सकती है। लेकिन प्रकाश के व्यतिकरण, विवर्तन और ध्रुवण की व्याख्या नहीं हो सकतकी है।
प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 3900A से 7800A के बीच होता है। प्रकाश-विद्युत प्रभाव एवं क्रॉम्पटन सिद्धान्त की व्याख्या आइन्सटीन द्वारा प्रतिपादित प्रकाश के फोटॉन सिद्धान्त द्वारा की जाती है। वास्तव में यह दोनों प्रभाव प्रकाश की कण प्रकृति को प्रकट करते हैं। कुछ घटनाओं में प्रकाश तरंग की तरह तथा कुछ घटनाओं में कण की तरह व्यवहार करता है। इसे प्रकाश की दोहरी प्रकृति (Dual nature of light) कहते हैं।
प्रकाश के प्रति व्यवहार के आधार पर वस्तुओं को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-
1. प्रतिदीप्त वस्तुएँ (Luminous objects)
जिन वस्तुओं का अपना प्रकाश होता है उन्हें दीप्त वस्तुएँ कहते हैं; जैसे-सूर्य, तारे, जलती मोमबत्ती, जलता बल्व आदि।
2. अप्रदीप्त वस्तुएँ (Non-luminous objects)
जिन वस्तुओं का अपना प्रकाश नहीं होता है, उन्हें अप्रदीप्त वस्तुएँ कहते हैं; जैसे-कुर्सी, टेबुल, मनुष्य आदि।
3. पारदर्शी वस्तुएँ (Transparent Objects)
जिन पदार्थों से प्रकाश गमन कर सकता है, उन्हें पारदर्शी कहते हैं; जैसे-काँच, हवा तथा पानी आदि।
4. अर्द्ध-पारदर्शी पदार्थ (Translucent objects)
कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन पर प्रकाश की किरणें पड़ने से उनका कुछ भाग तो अवशोषित हो जाता है तथा कुछ भाग बाहर निकल जाता है। ऐसी वस्तुओं को अर्द्ध-पारदर्शक वस्तुएँ कहते हैं; जैस-तेल लगा हुआ कागज।
5. अपारदर्शक वस्तुएँ (Opaque objects)
जिन पदार्थों से होकर प्रकाश गमन नहीं कर सकता, उन्हें अपारदर्शी पदार्थ कहते हैं। जैसे-पत्थर, लकड़ी, लोहा आदि
प्रकाश का वेग (Velocity of light)-
1667 ई० में गैलीलियो ने प्रकाश का वेग ज्ञात करने को असफल प्रयोग किया। 1675 ई० में रोमर (डेनमार्क) ने प्रकाश के वेग की गणना करने में सफलता पायी।बाद में फीजो ने 1849 ई० में तथा फोको (Foucault) ने 1862 ई० में तथा माइकेल्सन (अमेरिका) ने 1926 ई० में प्रकाश का वेग ज्ञात करने में सफलता हासिल की।
• वायु तथा निर्वात में प्रकाश की चाल सर्वाधिक (3×10⁸ m/sec.) होती है।
• सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश 8 मिनट 18 सेकेंड (499 से०) में पहुँचता है।
• चंद्रमा से परावर्तित प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1.3 सेकेण्ड का समय लगता है।
• जिस माध्यम का अपवर्तनांक (u) जितना अधिक होगा, प्रकाश की चाल उतनी ही कम होगी-
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल
1. नाइलन = 1.96×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
2. जल = 2.25×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
3. काँच = 2×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
4. रॉक साल्ट = 1.96×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
5. तारपीन = 2.04×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
6. निर्वात = 3×10⁸ मीटर/सेकेण्ड
सूची-छिद्र कैमरा (Pin-hole camera)-
• इसमें लकड़ी का बना एक आयातकार बॉक्स होता है, जिसकी भीतरी दीवारें काले रंग से रंगी होती है।
• सामने वाली दीवार के ठीक मध्य में सुई के नोक के बराबर एक छिद्र/रहता है और पीछे वाली दीवार घिसे शीशे अथवा तेल लगी कागज की बनी होती है।
• जब हम कैमरे के सामने कोई वस्तु (Object) रखते हैं, तो इस वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब (Image) कैमरे के पीछे वाली दीवार पर बनता है।
• वस्तु के ऊपरी भाग से निकलने वाली किरणें सीधी रेखा में चलकर पीछे वाली दीवार के निचले भाग में आती हैं और वस्तु के निचले भाग से निकलने वाली किरणें पीछे वाली दीवार के ऊपरी भाग में आती हैं।यही कारण है कि किसी वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब इस कैमरे में दिखाई देता है।
इससे भी सिद्ध होता है कि प्रकाश किरणें सीधे रेखाओं में गमन करती है।
• यदि कैमरे की सामने वाली दीवार पर एक से अधिक छिद्र कर दिया जाए, तो पीछे वाली दीवार पर छिद्रों की संख्या के बराबर ही प्रतिबिम्बों की संख्या होगी।
• यदि अनेक छिद्रों के बदले एक ही बड़ा छिद्र कर दिया जाये तब भी उसी तरह का प्रतिबिम्ब बनेगा, क्योंकि बड़े छिद्र को हम छोटे छिद्रों का समूह मान सकते हैं।
• प्रतिबिम्ब का आकार छिद्र से परदे की दूरी और बिम्ब से छिद्र की दूरी पर निर्भर करता है।
• बड़े आवर्धन के लिए छिद्र से बिम्ब की दूरी कम होनी चाहिए।
• यदि परदे की जगह एक फोटोग्राफिक प्लेट लगा दिया जाए, तो इससे बहुत ही संतोषजनक चित्र प्राप्त किए जा सकते हैं।
प्रच्छाया एवं उपच्छाया (Umbra and Penumbra)-
जब प्रकाश किरणों के रास्ते में कोई अपारदर्शी वस्तु आ जाती है, तो प्रकाश की किरणें आगे नहीं जा पाती है वस्तु के आगे परदा रहने पर परदे के प्रकाशित भाग के बीच कुछ भाग ऐसा होता है, जो काला दिखता है, क्योंकि वहाँ अंधकार रहता है।इस भाग को छाया कहते हैं।
छाया की लम्बाई तथा आकार-
(i) प्रकाश के उद्गम
(ii) अपारदर्शी वस्तु के आकार तथा
(iii) प्रकाश के उद्गम तथा वस्तु के बीच की दूरी पर निर्भर करता है।
जब प्रकाश का उद्गम बिन्दुवत् हो तो उससे बनने वाली छाया में एक जैसा अंधकार रहता है। जब प्रकाश के उद्गम का विस्तार रुकावट की अपेक्षाब ड़ा हो, तो छाया के मध्य भाग में प्रकाश एकदम नहीं पहुँचने के कारण पूर्ण अंधकार रहता है, यह प्रच्छाया (Umbra) कहलाता है और जिस भाग में अंशतः प्रकाश पहुँचता है, उसे उपच्छाया (Penumbra) कहते हैं।
ग्रहण (Eclipse)
1. सूर्यग्रहण (Solar Eclipse)
जब सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है, तो चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और उस भाग में सूर्य नहीं दिखाई पड़ता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसी स्थिति अमावस्या (New moon) के दिन होती है।
2. चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse)-
जब सूर्य एवं चन्द्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है और पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, तो चन्द्रमा का वह भाग दिखलाई नहीं पड़ता है।, इसे ही चन्द्रग्रहण कहते हैं। ऐसी स्थिति पूर्णिमा (Full moon) के दिन होती है।
समतल सतहों पर परावर्तन एवं अपवर्तन
(Reflection and Refraction at plane surfaces)
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light)
जब प्रकाश किसी चमकदार तल जैसे दर्पण पर पड़ता है, तो वह उसी माध्यम में लौट जाता है। इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
परावर्तन के नियम (Law of reflection)
प्रथम नियम : आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब ये तीनो एक ही तल में होते है।
द्वितीय नियम : आपतन कोण और परावर्तन कोण दोनों आपस में बराबर होते हैं।
समतल दर्पण के उपयोग
समतल दर्पण का उपयोग बहुरूपदर्शी (Kaleidoscope), परिदर्शी (Periscope), आईना (Looking glass) आदि में करते हैं।
1. बहुरूपदर्शी (Kaleidoscope)-
इसमें समान लम्बाई तथा समान चौड़ाई के तीन आयताकार समतल दर्पण इस प्रकार लगे रहते हैं कि दो दर्पण के बीच 60° का कोण बनता है। तीनों दर्पणों के परावर्तक तल भीतर की ओर रहते हैं और दर्पणों द्वारा घिरे स्थान में रंगीन काँच के कुछ टुकड़े रहते हैं।ये तीनों दर्पण एक मोटी नली के अन्दर लगे रहते हैं। नली के एक सिरे पर शीशे वाले सिरे से नली में देखते हैं, तो नली को घुमाने से नई-नई रंगीन आकृतियाँ दिखाई देती है। ये आकृतियाँ रंगीन काँच की प्रतिबिम्ब हैं, जो समतल दर्पणों से बार-बार परावर्तित होने के कारण बनते हैं। नली को घुमाने से रंगीन काँच के टुकड़ों की स्थितियाँ बदल जाती हैं और इसलिए आकृतियों के रंग बदल जाते हैं।
2. परिदर्शी (Periscope)-
इसमें दो समतल दर्पण एक-दूसरे से 45° कोण पर स्थित होते हैं। इन दर्पणों की परावर्तक सतहें आमने-सामने रहती हैं। अतः ऊपर वाले सिरे से होकर प्रवेश करने वाली किरणें दर्पण द्वारा परावर्तित होकर नीचे की ओर आती हैं और दूसरे दर्पण द्वारा परावर्तित होकर आँखों में प्रवेश करती हैं। इसी कारण युद्ध के समय बंकर में छिपे सैनिक जमीन पर चल रहे दुश्मनों की गतिविधियों को देखने के लिए इस उपकरण का उपयोग करते हैं।पनडुब्बी जहाज में भी इस उपकरण का प्रयोग करते हैं।पेरिस्कोप के द्वारा समुद्र के अन्दर से बाहर की वस्तुओं को देखने में उपयोग किया जाता है।
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)-
किसी गोलाकार तल से बनाए गए दर्पण को गोलीय दर्पण कहते हैं। गोलीय खंड के एक तल पर पारे की कलई एवं रेड ऑक्साइड का लेप किया जाता है तथा दूसरा तल परावर्तक की तरह कार्य करता है।
गोलीय दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
(i) अवतल दर्पण
(ii) उत्तल दर्पण।
(i) अवतल दर्पण (Concave mirror)-
जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक तल धंसा रहता है, उसे अवतल दर्पण कहते हैं। अवतल दर्पण को अपसारी दर्पण (Diverging Miror) भी कहा जाताहै क्योंकि यह अनंत से आने वाली किरणों को एक बिन्दुवत कर देती है।
(ii) उत्तल दर्पण (Convex mirror)-
जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक सतह उभरा रहता है, उसे उत्तल दर्पण कहा जाता है। उत्तल दर्पण को अभिसारी दर्पण (Converging miror) भी कहा जाता है क्योंकि यह अनंत से आने वाली किरणों को फैला देती है।) अवतल एवं उत्तल दोनों ही दर्पण किसी गोले के कटे भाग होते हैं अतः उस गोले का केन्द्र दर्पण का वक्रता केन्द्र (Centre of curvature) कहलाता है। दर्पण का मध्य बिन्दु (Pole) कहलाता है।
उत्तल दर्पण के उपयोग–
• उत्तल दर्पण द्वारा काफी बड़े क्षेत्र की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब एक छोटे से क्षेत्र में बन जाता है।
• इस प्रकार उत्तल दर्पण का दृष्टि-क्षेत्र (Field view) अधिक होता है।इसलिए इसे ट्रक-चालकों या मोटरकारों में चाल के बगल में पृष्ठ-दृश्य दर्पण (Rear-viewMirror) लगाया जाता है।
• सड़क में लगे परावर्तक लैम्पों में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, विस्तार-क्षेत्र अधिक होने के कारण ये प्रकाश को अधिक क्षेत्र में फैलाते हैं।
अवतल दर्पण के उपयोग–
(I) बड़ी फोकस दूरी वाला अवतल दर्पण दाढ़ी बनाने में काम आता है।
(ii) आँख, कान एवं नाक के डॉक्टर के द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला दर्पण
(iii) गाड़ी के हेडलाइट (Head-light) एवं सर्चलाइट (Search-light)
(iv) सोलर कुकर (Solar Cooker) में।
* प्रकाशु का फोटॉन सिद्धांत
इसके अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डलों या पैकिटों के रूप में चलता है, जिन्हें फोटॉन कहते हैं। प्रकाश की कुछ घटनाओं में तरंग और कुछ कण माना जाता है। इसी का प्रकाश की दोहरी प्रकृति कहते हैं। प्रकाश के वेग की गणना सबसे पहले रोमर ने की। प्रकाश की चाल माध्यम के अपवर्तनांक (u) पर निर्भर करता है। जिस माध्यम का अपवर्तनांक जितना अधिक होता है
प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light)
प्रकाश को अवरोध के किनारे पर थोड़ा मुड़कर उसकी छाया में प्रवेश करने की घटना को विवर्तन कहते हैं।
प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of light)
जब सूर्य का प्रकाश वायुमण्डल में उपस्थित वाष्प, वायु के अणु तथा धूल के ऐसे कणों पर आपतित होता है जिनका आकार प्रकाश की तरंगदैर्य से छोटा हो तो प्रकाश विभिन्न दिशाओं में बिखर जाता है। प्रकाश के इस प्रकार बिखरने को प्रकीर्णन कहते हैं।
आकाश का रंग नीला, प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।
यदि वायुमण्डल नहीं हो तो प्रकीर्णन नहीं होगा और आकाश काला दिखाई देगा। खतरे के सिग्नल के लिए लाल रंग का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि लाल रंग के प्रकाश के लिए प्रकीर्णन सबसे कम होता है तथा बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
किरण पुंज (Beam of Light)
साथ-साथ चलती प्रकाश किरणों के समूह को प्रकाश पुंज कहते हैं।
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light)
जब प्रकाश की किरणे एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं। इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
* पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal reflection)
यदि सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती हुई किसी प्रकाश किरण का आपतन कोण, क्रांतिक कोण से अधिक होता है तो अपवर्तन नहीं होता है। ‘ आपतित किरण सघन माध्यम में परावर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया को
पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए अनिवार्य शर्ते (Essential Conditions for total Internal reflection)
(i) प्रकाश की किरणों को सघन से विरल माध्यम में जाना चाहिए।
(ii) आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से बड़ा होना चाहिए।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कुछ उदाहरण:--
1. हीरे की चमक-
हीरे से वायु में आने वाली किरण के लिए क्रान्तिक कोण बहुत ही कम (24°) होता है। अतः जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुए हीरे में प्रवेश करता है, तो वह उसके भीतर विभिन्न तलों बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। जब किसी तल पर आपतन कोण 24 से कम हो जाता है, तब ही प्रकाश हीरे से बाहर आ पाता है। इन प्रकार हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करने वाला प्रकाश केवल कुछ ही दिशाओं में होरे से बाहर निकलता है।
2. रेगिस्तान में मरीचिका (Mirrage)-
कभी कभी रेगिस्तान में यात्रियों को दूर से पेड़ के साथ साथ उसका उल्य प्रतिबिम्ब भी दिखायी देता है। इससे यात्रियों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि वहाँ जल का तालाब है, जिसमें पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा है। परन्तु वास्तव में वहाँ तालाब नहीं होता है।
गर्मी के मौसम में रेगिस्तान की रेत गरम होती है, तो उसे छूकर पृथ्वी के पास की वायु अधिक गरम हो जाती है, जिससे वायु का घनत्व कम हो जाता है। ऊपर की वायु-परत ठंडी और सघन होती है। अतः जैसे-जैसे हम ऊपर से नीचे आते हैं, वायु की परतु विरल होती जाती है।जब पेड़ से प्रकाश की किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं, तो उन्हें अधिकाधिक विरल परतों से होकर जाना पड़ता है, इसलिए प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलंब से दूर हटती जाती है।
प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर कातिक कोण से बड़ा हो जाता है। इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर उठने लगती है। चूँकि ऊपर वाले परतें अधिक सघन हैं, अतः ऊपर उठती हुई किरण अभिलंब की ओर झुकती जाती है। जब यह किरण यात्री की आँख में प्रवेश करती है, तो उसे पृथ्वी के नीचे से आती हुई प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखायी देता है। यात्री को उल्टा प्रतिबिम्ब दिखलायी पड़ने के कारण उसे जल का भ्रम होने लगता है।
3. काँच का चटका हुआ भाग चमकीला दिखाई देता है–
काँच के चटके हुए भाग में हवा भर जाती है, जोकि काँच की अपेक्षा विरल होती है।जब प्रकाश काँच से हवा में प्रवेश करता है, तो उसका सघन माध्यम से विरल माध्यम में अपवर्तन होता है। काँच से हवा में प्रवेश करते समय आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है, तो पूर्ण आंतरिक परावर्तन होने लगता है। इसी कारण चटका हुआ काँच चमकीला प्रतीत होता है।
4. पानी में पड़ी हुई परखनली चमकीली दिखाई पड़ती है-
जब पानी से अंशतः भरी हुई परखनली को पानी से भरे बीकर में डुबाते हैं, तो परखनली के जिस भाग में पानी नहीं होता अर्थात् परखनली का खाली भाग चाँदी की तरह चमकने लगता है। इसका कारण भी प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन है।सिनेमाघर में पोलराइड के चश्मे पहन कर तीन विमाओं वाले चित्रों को देखा जाता है। इसी प्रकार फोटोग्राफी करने में, किसी विलयन में शर्करा की सान्द्रता ज्ञात करने में, धातुओं के प्रकाशीय गुणों के अध्ययन करने में भी पोलराइडों का प्रयोग किया जाता है।
अपवर्तनांक (Refractive Index)
निर्वात् में प्रकाश के वेग और किसी माध्यम में प्रकाश के वेग के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक या अपवर्तनांक कहते हैं।
* एक माध्यम का दूसरे माध्यम की अपेक्षा अपवर्तनांक (Refractive Index of one medium with respect to another medium)
पहले माध्यम में आपतन कोण की ज्या और दूसरे माध्यम में अपवर्तन कोण की ज्या के अनुपात को पहले माध्यम की अपेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं।
पार्श्व विस्थापन (Lateral displacement)
किसी आयताकार सिल्ली से अपवर्तन की स्थिति में निर्गत किरण और आपतित किरण के बीच की लम्बवत् दूरी को पार्श्व विस्थापन कहते हैं।
वास्तविक प्रतिबिम्ब (Real Image)
जब प्रकाश की किरण-पुंज किसी बिन्दु से फैलती हुई तथा परावर्तन अथवा अपवर्तन के बाद किसी दूसरे बिन्दु की ओर सिमटती है, तो दूसरे बिन्दु को पहले बिन्दु का वास्तविक पर्दे पर बनाया जा सकता है। वास्तविक प्रतिबिम्ब पर्दे पर बनाया जा सकता है।
काल्पनिक प्रतिबिम्ब (Virtual Image)
जब किसी बिन्दु से फैलता कोई किरण-पुंज परावर्तन अथवा अपवर्तन के बाद एक अन्य बिन्दु से फैलता हुआ प्रतीत होता है, तो दूसरे बिन्दु को पहले बिन्दु का काल्पनिक प्रतिबिम्ब कहते हैं। काल्पनिक प्रतिबिम्ब को पर्दे पर नहीं बनाया जा सकता है।
प्रकाशिक तन्तु (Optical Fibres)
प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है, लेकिन पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का उपयोग करके प्रकाश को एक वक्रीय मार्ग में चलाया जा सकता है। प्रकाशिक तन्तु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रकाश सिग्नल को, इसकी तीव्रता में बिना क्षय के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित किया जा सकता है, चाहे मार्ग कितना भी टेढ़ा-मेढ़ा हो।
प्रकाशिक तन्तु का उपयोग-
(i) प्रकाश सिग्नल के दूरसंचार में।
(ii) विद्युत् सिग्नल को प्रकाश सिग्नल में बदलकर प्रेषित करने तथा अभिग्रहण
(iii) मनुष्य के शरीर के आंतरिक भागों का परीक्षण करने में।
(iv) शरीर के अन्दर लेसर किरणों को भेजने में।
Important Facts
1. सर्वप्रथम न्यूटन (Newton) ने बताया कि श्वेत प्रकाश सभी रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। न्यूटन ने ही बताया कि प्रकाश अत्यन्त सूक्ष्म कणों का बना होता है और वह सीधी रेखा में गमन करता है।
2. भौतिकशास्त्री हाइजेन (Huygens) ने प्रकाश का तरंग सिद्धान्त (wave theory) दिया। इसने बताया कि प्रकाश तरंगों से बना होता है।
3. सन् 1800 ई० में अंग्रेज भौतिकीवेत्ता थॉमस यंग (Thomas Young) ने प्रकाश के व्यतिकरण (Interference of light) का सिद्धान्त दिया। उसने दिखाया कि दो प्रकाश किरण पुंज कुछ निश्चित परिस्थिति में एक-दूसरे को समाप्त कर देते हैं। अधिकांश वैज्ञानिकों ने यंग के प्रयोग को प्रकाश के तरंग सिद्धान्त की सत्यता का प्रमाण मान लिया।
4. सन् 1864 ई० में ब्रिटिश भौतिकशास्त्री मैक्सवेल (Maxwell) ने विद्युत-चुम्बक (Electromagnetism) का गणितीय सिद्धान्त दिया। इस सिद्धान्त के अनुसार, “विद्युतीय क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र के बदलते स्वरूप के कारण जो प्रभाव उत्पन्न होता है, वही तरंगों की गति के लिए उत्तरदायी होता है। मैक्सवेल तरंग संबंधी इस सिद्धांत के गणितीय गुण प्रकाश के लिए आकलित गुणों से मिलते थे। कंपन कर रहे विद्युतीय आवेशों द्वारा जो प्रकाश उत्पन्न होता है, वह परमाणु में उपस्थित विद्युत आवेश ही है। मैक्सवेल के इस कार्य से प्रकाश के तरंग स्वरूप की ओर भी मान्यता मिली।
5. क्वाण्टम यांत्रिकी (Quantum mechanics)–सन् 1900 ई० में जर्मन भौतिकविद् मैक्स प्लांक (Max Planck) ने एक समीकरण दिया जो किसी गर्म सतह से उत्सर्जित होने वाले प्रकाश के प्रायोगिक आँकड़ों से मेल खाता था। उन्होंने अनुभव किया कि सतह के प्रकाश उत्सर्जक में ऊर्जा की छोटी मात्रा होती है। जब ऊर्जा की मात्रा एक निश्चित मात्रा में होती है, तो उसे क्वाण्टम कहा जाता है।
6. सन् 1905 ई० में आइंस्टीन (Einstein) ने इस तथ्य का उद्घाटन किया कि प्रकाश भी क्वांटाइज्ड होता है। प्रकाश छोटे-छोटे ऊर्जा समूहों में आता है, जिसे क्वाण्टा कहते हैं। प्रकाश की ऊर्जा-समूह (क्वांटाइज्ड ऊर्जा) की परिकल्पना से उसके कण होने का प्रमाण प्राप्त होता है। प्रकाश के इन कणों को फोटॉन (Photon) कहा गया
क्या आपको पता है, की हमारे संसार में कुछ ऐसी भी प्रकाशित वस्तु है जो खुद light देती है। और कुछ दूसरे के प्रकाश होने पर दिखती है। आइये जानते है, की कौन सी वस्तुये light उत्पन करती है और कौन सी नही इन्हें हम क्या कहते है।
1. प्रदीप्त वस्तुएँ – Luminous Bodies
जो वस्तुए अपने प्रकाश को बाहर प्रकाशित या उत्पन करती है, उन्हें प्रदीप्त वस्तुये कहतें है। जैसे- सूर्य, मोमबत्ती, लालटेन, जलता हुवा कोयला और विघुत बल्ब आदि।
2. अदीप्त वस्तुएँ – Non- Luminous Bodies
जो वस्तुए अपने light को उत्पन नही करती या स्वयं प्रकाशित नही होती। बल्कि दूसरे के प्रकाश के होने पे दिखती है, उन्हें अदीप्त वस्तुये कहते है। जैसे- चंद्रमा, पृथ्वी, मेज, कुर्सी आदि।
प्रकाश के प्रकार – Types of light
हमे पता है, की light क्या है। लेकिन ये नही मालूम है, की प्रकाश से तीन प्रकार की किरणे निकलती है। जो की नीचे निम्नवत है।
1. पराबैंगनी किरणें – Ultraviolet rays
ये किरणे एक प्रकार का विघुत चुम्बकीय विकिरण है। पराबैंगनी विकिरण, पराबैंगनी प्रकाश का दूसरा नाम है। जिनकी तरंग दैर्ध्य प्रत्यक्ष प्रकाश से कम और कोमल एक्स किरण से ज्यादा होती है। सूर्य के light से 10% पराबैंगनी किरणें निकलती है।
2. अवरक्त किरणें – Infrared rays
विघुत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण के नीचे (कम) होता है। इसी लिए इसका नाम अधोरक्त पड़ा या अवरक्त किरण भी कह सकते है। इसका तरंग दैर्ध्य 700 nm (नैनोमीटर) और 1 mm (मिलीमीटर) के बीच होता है। सूर्य के प्रकाश से 50% अवरक्त किरणे निकलती है।
3. दृश्य किरणें – Visible rays
दृश्यमान स्पेक्ट्रम, विघुतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम का वह भाग है, जो हमारे आँख को दिखाई देता है। तंरग दैर्ध्य की इस क्रम या श्रेणी में विघुतचुम्बकीय विकिरण को ही दृश्य किरणे कहते है। सूर्य के प्रकाश से 40% दृश्य किरणे निकलती है।
प्रकाश के गुण यानी विशेषताएं -Characteristics of Light
- लाइट सीधी रेखा में गति करता है।
- यह विघुत चुम्बकीय तरंगों के रूप में चलता है।
- इसकी किरणे स्त्रोत से एक साथ सभी दिशाओं में निकलता है।
- अवरोक्त प्रकाश का तरंग दैर्ध्य 700 nm और 1 mm के बीच होता है।
- Light की गति 299, 792, 458 मीटर प्रति सेकंड है।
प्रकाश से लाभ और हानि – Gain and loss from light
क्या आप ने कभी सोचा है, की हमे सूर्य के light से लाभ के साथ हानि भी होता है। light हमारे शरीर लिए फायदेमंद के साथ-साथ नुकसान भी करता है। तो चलिए जानते है, की क्या नुकसान और फायदा होता है।
लाभ – Gain
प्रकाश का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही उपयोगी है। light के सहारे हम किसी बस्तु को देख पाते है। और किसी वस्तु को ढूढने में सहायता मिलती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से पेड़-पौधे कार्बनडाई आक्साइड (Co2) को ग्रहण करते है। और आक्सीजन को छोड़ते है। जो समस्त जीव-जन्तु और मनुष्य इसे ग्रहण करते है।
सूर्य के light से विटामिन ‘D‘ निकलता है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है।
हानि – Loss
लंम्बे समय तक धूप में रहने पर त्वचा पर झुर्रिया पड़ जाती है।
आँखो को सूरज की पैराबैगनी किरणें के सम्पर्क में आने से रेटिना को नुकसान पहुचता है। जिससे मोतियाबिंद होने की सम्भावना हो जाती है।
रात के समय कृत्रिम light सेे मनुष्य स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है। और इससे नींद की बीमारी, स्तन, मधुमेह आदि बीमारी हो सकती है।
प्रकाश के स्रोत – Light source
कुछ ऐसी भी स्त्रोत है, जो की प्राकृतिक तो कुछ मनुष्यो के द्वारा बनाई गयी है। भले ही इनको दो वर्गों में बाटा गया हो, लेकिन इनके स्रोत light के स्त्रोत है। सूर्य का light, लालटेन, दीपक और विघुत बल्ब ये स्वयं light उतपन्न करती है। लेकिन जब लालटेन और दीपक को हम जलायेगे तभी ये प्रकाश देगी। और विघुत बल्ब को जलाने के लिए विजली का होना जरूरी है। लेकिन सूर्य को न जलाने की जरूरत पडती है न उत्पन्न करने की। ये प्रकृतिक की देन है। तो चलिए जानते है, इन स्त्रोत बारे में।
1. प्राकृतिक प्रकाश के स्रोत – Natural light source
कुछ light प्राकृतिक प्रकाश है, जो इस पूरे बृह्मांड में प्राकृतिक रूप से विघमान है। light के स्रोत है, जैसे सूर्य, जुगनू, तारे आदि।
2. कृतिम प्रकाश के स्रोत – Source of artificial light
कुछ ऐसी light है, जो मनुष्यों ने इसका निर्माण किया है। जिन्हें हम कृतिम प्रकाश कहते है। जैसे विघुत, बल्ब, मोमबत्ती, आदि।
प्रकाश के माध्यम – Medium of light
Light जिस पदार्थ से होकर जाता या गमन करता है, उस अवस्था को प्रकाशिक माध्यम कहते है।
जब सूर्य का light निकलता है तो ये तीन माध्यमों से होकर जाता है। तो चलिए जानते है, की किस अवस्था में ये कैसे गुजरता है।
1. पारदर्शक माध्यम – Translucent Medium
जिस माध्यम से light का आधा भाग आर-पार चला जाता है, उसे पारदर्शक माध्यम कहते है। जैसे जल, वायु, काँच इत्यादि।
जब सूर्य का प्रकाश किसी वस्तु में इस तरह जैसे कोई एक काँच ले जिसमे देखने पर उस पार का दृश्य हमे साफ दिखता हो। उसमे light इस पार से उस पार चला जाएगा। सरल भाषा में कह सकते है, की जिस पदार्थ में हमे साफ तरीके से उस पार का दृश्य दिखे उसमे सूर्य का light आसानी से उस पार चला जाता है।
2. पारभासक माध्यम – Transmitting Medium
जिस माध्यम से प्रकाश का कुछ ही भाग आर-पार चला जाता है, उसे पारभासक माध्यम कहते है। जैसे कागज में लगा तेल और घिसा हुवा काँच इत्यादि।
एक कागज में लगा तेल ले, और उसमे देखे light स्पष्ट रूप से नही बलकि धुँधला दिखाई देता है। यानी सूर्य का light का कुछ ही भाग कागज के इस पार आ पायेएगा। क्योंकि कागज में या घिसा हुवा काँच में सही तरीके से उस पार का दृश्य दिखता नही है।
3. अपारदर्शक माध्यम – Opaque Medium
जिस पदार्थ से प्रकाश आर-पार नही निकल पाता है, उसे अपारदर्शक माध्यम कहते है। जैसे लकड़ी, मेज, कुर्सी आदि।
लकड़ी या मेज इसमें सूर्य का light इस पार से उस पार नही जा पायेगा क्योंकि ये ठोस पदार्थ है।
प्रकाश किरण क्या है – What is ray of light
Light की किरणे सीधी रेखा में होती है। जब किसी समांग माध्यम में light एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जिस ऋजु लाइन के रास्ते से होकर जाता है, उसे light की किरणे कहते है। जब light की किरणे एक ही साथ दिशा में जाती है, तो उस समूह को प्रकाश पुंज कहते है।
प्रकाश पुंज के प्रकार – Types of light beam
अब आप सोच रहे होंगे की प्रकाश किरण और प्रकाश-पुंज में क्या अंतर है। सिर्फ एक अच्छर का अंतर है। light की किरणें के समूह को हम light पुंज कहते है। इन दोनों के जो प्रकार है, वो एक ही है। तो चलिए इनके प्रकार के बारे में जानते है। इनको तीन वर्गो में बाटा गया है।
1. अभिसारी प्रकाश पुंज – Convergent Light
जब light की किरणे एक बिंदु पर आकर मिलती है, तो उसे अभिसारी प्रकाश पुंज कहते है।
जब एक अंधरे कमरे में टार्च जलाते है, तो टार्च की light जा कर एक बिन्दु पर दिखती है। या किसी कुवे में जब टार्च जलायेगे तो light एक जगह गोल के आकर में दिखेगा।
2. अपसारी प्रकाश पुंज – Divergent Light
जब light की किरणे एक बिंदु स्रोत से निकलकर फैलती है, तो उसे अपसारी किरणे कहते है।
सूर्य की किरणे एक साथ सभी दिशाओं में निकलती है। और पूरे विश्व में जाकर फैल जाती है। जब घर में कोई दीपक जलाते है, तो प्रकाश की किरणे एक साथ पूरे घर में फैल जाती है।
3. समांतर प्रकाश पुंज – Parallel Light
इसमें सभी प्रकाश की किरणे एक दूसरे के बराबर होती है, उसे समांतर किरणे कहते है।
जहा तक मेरा अनुमान है, की समांतर किरणे जब अपने स्त्रोत से एक साथ निकलती है, तो उनकी किरणे एक दूसरे के समांतर होती है। ऐसा नही है की वे टेड़े मेंडे निकलती है या कुछ दूर बाये चलती है तो कुछ देर दाये मुड़ जाती है। हमेशा किरणे सीधी रेखा में चलती है।
प्रकाश की कई अनोखे गुण – Characteristics Of Light In Hindi :-
मित्रों ! मेँ यहाँ पर प्रकाश के कई मौलिक व महत्वपूर्ण गुणों के बारे में जिक्र करने जा रहा हूँ , तो लेख के इस भाग को अच्छे से पढ़ें |
प्रतिबिंब – Reflection :-
प्रकाश की सबसे बड़ी और सबसे आम गुण है , यह एक वस्तु पर पड पर प्रतिफलित होता हैं | पृथ्वी पर मौजूद हर एक चीज़ प्रकाश को कुछ हदों तक प्रतिफलित करता हैं | मुख्य रूप से प्रतिफलन एक नियम पर होता हैं जिसे की आप “Law of Reflection” भी कह सकते हैं |
प्रतिफलन के नियमानुसार ” प्रकाश के आने वाले (incidence) तरंगों का कोण प्रतिफलित होने वाले कोण के साथ एक समान ही होता हैं ” |
अपवर्तन – Refraction :-
प्रकाश की दूसरी प्रमुख गुण (characteristics of light in hindi) है अपवर्तन (refraction) | जी हाँ ! मित्रों आपने प्रकाश के इस गुण के बारे मेँ अपने स्कूल में अवश्य ही पढ़ा होगा | खैर यहाँ पर मेँ इसे आपके लिए आसान भाषा में समझाऊंगा |
तो , जब भी प्रकाश के तरंग एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ के अंदर गति करता है तब यह उस पदार्थ के अंदर मौजूद मौलिक कणिकायों के हिसाब से अपना गति बढ़ा व घटा देता हैं | इसी वजह से प्रकाश के तरंगों की अपवर्तन कोण मूल अपवर्तन के रेखा से दूर व पास नजर आती हैं |
3.फैलाव – Dispersion :-
आपने कभी प्रिज्म देखा है ? देखा ही होगा ! खैर जब भी प्रकाश की तरंग प्रिज्म से हो कर गुजरती है , तब एक अनोखा करिश्मा होता हैं जिसे की आप प्रकाश के तरंगों का फैलाव (dispersion) कहते हैं |
दरअसल बात यह है की , जब भी प्रकाश की तरंग प्रिज्म के अंदर से हो कर गुजरती हैं , तब यह सात रंगों के तरंगों में विभाजित हो जाती हैं | इस प्रक्रिया से आप इंद्रधनुष के जैसा एक रंगीन प्रकाश के किरण को देख सकते हैं |
आइन्सटाइन के द्वारा किया गया प्रकाश के ऊपर शोध – Einstein’s View and Study on Light :-
दुनिया की सबसे बड़े वैज्ञानिक आइन्सटाइन जी ने प्रकाश को ले कर कई अद्भुत खोज किए हैं | 1905 मे आइन्सटाइन जी ने सबसे पहले ” क्वांटम थिओरी ऑफ लाइट ” (quantum theory of light) के बारे में जिक्र किया था | उनके द्वारा दिए गए इस थिओरी के मुताबिक प्रकाश कई सारे छोटे-छोटे कणिकायों से बनी हुई होती है , जिसे की हम फोटोन (Photon) कहते हैं |
आइन्सटाइन जी ने अपने सापेक्षता के सिद्धान्त में प्रकाश के रूप को तरंग और कणिका दोनों ही बताया हैं | परंतु दोस्तों आमतौर पर प्रकाश को तरंग के रूप में देखा जाता हैं | आइन्सटाइन जी की इस खोज के कारण ही ब्रह्मांड में प्रकाश के गति को लगभग सटीक तरीके से मापा गया , जो की लगभग 3 लाख किलोमिटर प्रति सेकंड है (299792458 m / s)|
पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश से तेज गति करने वाला और कोई दूसरा वस्तु अभी तक खोजा नहीं गया हैं | इसलिए कई वैज्ञानिकों का यह भी मानना है की , अगर किसी तरह किसी भी वस्तु को प्रकाश के गति से भी ज्यादा तेजी से गति करवा दिया जाए तो वह वस्तु समय में यात्रा कर सकता है |
प्रकाश से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
प्रश्न- गोलीय दर्पण जिस खोखले गोले का भाग होता है उसका केन्द्र दर्पण का क्या कहलाता है?
उत्तर- वक्रता केन्द्र
प्रश्न- दर्पण के परावर्तित तल के मध्य बिन्दु को क्या कहते हैं?
उत्तर- दर्पण का ध्रुव
प्रश्न- दर्पण पर स्थित किसी बिन्दु व वक्रता केन्द्र के बीच की दूरी उस दर्पण की क्या कहलाती है?
उत्तर- वक्रता त्रिज्या
प्रश्न- दर्पण के ध्रुव व वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली रेखा को क्या कहते हैं?
उत्तर- दर्पण का मुख्य अक्ष
प्रश्न- फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की कितनी होती है?
उत्तर- आधी
प्रश्न- उत्तल दर्पण में किसी वस्तु का बना प्रतिबिंब सदैव कैसा होता है?
उत्तर- आभासी
प्रश्न- सड़क मे लगे परावर्तक लैंपों में किस दर्पण का प्रयोग होता है?
उत्तर- उत्तल
प्रश्न- एक बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब दूसरे बिन्दु पर बने तो ऐसे दो बिंदु क्या कहलाते हैं?
उत्तर- संयुग्मी फोकस
प्रश्न- प्रकाश केन्द्र, मुख्य अक्ष तथा फोकस किसके पारिभाषिक शब्द है?
उत्तर- लेंस
प्रश्न- किसी लेंस की फोकस दूरी का व्युत्क्रम उसका क्या कहलाता है?
उत्तर- क्षमता
प्रश्न- 1 मीटर फोकस दूरी वाले लेंस की क्षमता कितनी होती है?
उत्तर- 1 डायोप्टर
प्रश्न- किसी कैमरे में प्रकाश को फिल्म पर फोकस करने हेतु किस लेंस का प्रयोग करते हैं?
उत्तर- उत्तल
प्रश्न- कैमरे में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा का नियंत्रण किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर- डायाफ्राम
प्रश्न- मानत नेत्र का लेंस किससे बना होता है?
उत्तर- प्रोटीन से बना पारदर्शी पदार्थ का
प्रश्न- प्रतिबिंब लेंस के पीछे एक पर्दे पर बनता है, इसे क्या कहते हैं?
उत्तर- रेटिना
प्रश्न- रेटिना किसके द्वारा हमारे मस्तिष्क में विद्युत संकेत भेजता है?
उत्तर- दृक तंत्रिकाओं
प्रश्न- आँख में प्रकाश का अपवर्तन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर- कॉर्निया
प्रश्न- आँख की पुतली का आकार किसके द्वारा नियंत्रित किया जाता है?
उत्तर- परितारिका
प्रश्न- मांस पेशियों का एक गहरे रंग का समूह क्या होता है?
उत्तर- परितारिका
प्रश्न- आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा किसे द्वारा नियंत्रित होती है?
उत्तर- पुतली
प्रश्न- कॉर्निया तथा पुतली में से होता हुआ प्रकाश किस पर पड़ता है?
उत्तर- लेंस
प्रश्न- लेंस प्रकाश को किस पर फोकस कर देता है?
उत्तर- रेटिना
प्रश्न- रेटिना का प्रतिबिंब स्थायी न होकर कितने समय में लुप्त हो जाता है?
उत्तर- 1/20 सेकेंड
प्रश्न- लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन होने के गुण को क्या कहते हैं?
उत्तर- समंजन क्षमता
प्रश्न- पुस्तक को सुविधापूर्वक पढ़ने हेतु उसे आँख से कितनी दूर रखना पड़ता है?
उत्तर- 25 सेमी
प्रश्न- दूर स्थित वस्तुएँ स्पष्ट न दिखना कैसा दृष्टिदोष होता है?
उत्तर- निकट दृष्टिदोष/मायोपिया
प्रश्न- निकट की वस्तुएँ स्पष्ट न दिखना कैसा दृष्टिदोष होता है?
उत्तर- दूर दृष्टिदोष/हाइपरमेट्रोपिया
प्रश्न- आँख के तीसरे प्रकार के दोष को क्या कहते हैं?
उत्तर- अबिंदुकता
प्रश्न- अबिंदुकता दोष का निवारण किस प्रकार के लेंस द्वारा किया जाता है?
उत्तर- बेलनाकार
प्रश्न- सूक्ष्मदर्शी में लगे लेंस को क्या कहते हैं?
उत्तर- आवर्धक लेंस
प्रश्न- सरल सूक्ष्मदर्शी से हम वस्तुओं के आकार को कितना गुना करके देख सकते है?
उत्तर- दस गुना
प्रश्न- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में कितने उत्तल लेंस होते हैं?
उत्तर- 2
प्रश्न- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में लगे 2 उत्तल लेंस क्या कहलाते हैं?
उत्तर- अभिदृश्यक व नेत्रिका
प्रश्न- खून, बलगम आदि की जाँच किससे की जाती है?
उत्तर- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी
प्रश्न- चन्द्रमा, तारे व पृथ्वी की सतह पर दूर स्थित वस्तुओं को देखने में क्या उपयोग होता है?
उत्तर- दूरदर्शी
प्रश्न- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल रंगों का समूह किस शब्द से दर्शाया जाता है?
उत्तर- विबग्योर
प्रश्न- किस रंग के प्रकाश को प्राथमिक अथवा मूल रंग का प्रकाश कहते हैं?
उत्तर- लाल, हरा, नीला
प्रश्न- लाल और नीला रंग मिलकर कैसा रंग बनता है?
उत्तर- बैंगनी
प्रश्न- नीला और हरा रंग मिलकर कैसा रंग बनता है?
उत्तर- पर्शियन ब्लू
प्रश्न- लाल और हरा रंग मिलकर कैसा रंग बनता है?
उत्तर- पीला
प्रश्न- जब दो रंग परस्पर मिलने से सफेद प्रकाश उत्पन्न करते हैं, उन्हें क्या कहते है?
उत्तर- पूरक रंग
प्रश्न- हरा और नीला रंग मिलकर कैसा रंग बनता है?
उत्तर- पीकॉक ब्लू
प्रश्न- हरा और मजेंटा, लाल और पीकॉक ब्लू, नीला और पीला अलग-अलग मिलकर कैसा रंग बनाते हैं?
उत्तर- सफेद
प्रश्न- रंगीन टेलीविजन में किन प्राथमिक रंगों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर- लाल, हरा, नीला
प्रश्न- किसी गुलाब के फूल को सफेद प्रकाश में देखने पर इसकी पंखुड़ियाँ व पत्तियाँ क्रमशः कैसी दिखेंगी?
उत्तर- लाल, हरी
प्रश्न- यदि गुलाब का फूल हरे प्रकाश में देखा जाये तो उसकी पत्तियों व पंखुड़ियाँ क्रमशः कैसी दिखेंगी?
उत्तर- हरी, काली
प्रश्न- यदि गुलाब का फूल पीले प्रकाश में देखा जाये तो उसकी पंखुड़ियाँ व पत्तियाँ कैसी दिखेंगी?
उत्तर- काली
प्रश्न- श्वेत प्रकाश से लेंस द्वारा किसी वस्तु का बनने वाला प्रतिबिंब कैसा दिखाई?
उत्तर- रंगीन व अस्पष्ट
प्रश्न- लेंस द्वारा उत्पन्न प्रतिबिंब के इस दोष को क्या कहते हैं?
उत्तर- वर्ण विपथन
प्रश्न- हमारी आँख की रेटिना में कौन-सी कोशिकाएं होती हैं?
उत्तर- शंकु तथा छड़
प्रश्न- सर्वप्रथम 1802 ई. में किसने प्रकाश के व्यतिकरण को प्रयोगात्मक रूप में दर्शाया?
उत्तर- थामस यंग
प्रश्न- प्रकाश तरंगों के व्यतिकरण का सिद्धांत किसकी पुष्टि करता है?
उत्तर- तरंग-प्रकृति
प्रश्न- प्रकाश का विवर्तन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर- अवरोध के आकार
प्रश्न- माध्यम के कणों द्वारा प्रकाश का सभी दिशाओं में होने वाला प्रसारण क्या कहलाता है?
उत्तर- प्रकाश का प्रकीर्णन
प्रश्न- चन्द्रमा पर वायुमंडल न होने के कारण वहाँ से आकाश कैसा दिखाई पड़ता है?
उत्तर- काला
प्रश्न- प्रकाश की प्रकृति कैसी है?
उत्तर- तरंग प्रकृति
प्रश्न- किसके स्पष्ट प्रयोग हमें प्रकाश के विवर्तन तथा व्यतिकरण में मिलते हैं?
उत्तर- तरंग-प्रकृति
प्रश्न- प्रकाश के संचरण के लिए मुख्य रूप से कौन उत्तरदायी है?
उत्तर- विद्युत कम्पन
प्रश्न- तरंगों के दो प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर- ध्रुवित, अध्रुवित
प्रश्न- आजकल समतल ध्रुवित प्रकाश उत्पन्न करने के लिए किसका प्रयोग करते है?
उत्तर- पोलेराइड
प्रश्न- पोलेराइड क्या है?
उत्तर- बड़े आकार की फिल्म
प्रश्न- पोलेराइड को किस प्रकार की दो प्लेटों के बीच रखा जाता है?
उत्तर- काँच की
प्रश्न- पोलेराइड (फिल्म) किस प्रकार के मिश्रण की बनी होती है?
उत्तर- नाइट्रो सेलुलोज, हरपेथाइट
प्रश्न- सिनेमाघरों में थ्री डी (तीन विमा) वाले चित्र देखने हेतु किसका उपयोग किया जाता है?
उत्तर- पोलेराइड चश्मा
प्रश्न- कारों में लाइटों की चकाचौंध से बचाव हेतु किसका प्रयोग होता है?
उत्तर- पोलेराइडों
प्रश्न- पानी से भीगी सड़कों, अत्यधिक श्वेत प्रकाश, चमकीले तलों, परावर्तित प्रकाश की चकाचौंध से बचने हेतु किसका प्रयोग होता है?
उत्तर- पोलेराइड
प्रश्न- कैमरे तथा दूरबीन की तरह कौन-प्रकाशीय उपकरण है?
उत्तर- आँख
प्रश्न- प्रकाश का कणों सम्बन्धी सिद्धांत किस वैज्ञानिक ने दिया था?
उत्तर- न्यूटन
प्रश्न- प्रकाश तरंगों के रूप में गमन करता है, यह सिद्धांत किसने दिया?
उत्तर- हाइगेन्स
प्रश्न- हाइगेन्स के प्रकाश तरंग सिद्धांत की पुष्टि किन वैज्ञानिकों ने दी?
उत्तर- यंग, फोकाल्ट
प्रश्न- प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलों के रूप में चलता है, इन बंडलों का फोटॉन कहा जाता है, किसने कहा?
उत्तर- आइंस्टीन
प्रश्न- आइंस्टीन के प्रकाश सिद्धांत की पुष्टि 1921 में किसके द्वारा की गई?
उत्तर- कॉम्पटन
प्रश्न- प्रकाश के प्राकृतिक स्रोत कौन-से है?
उत्तर- सूर्य, तारों व अंतरिक्ष के अन्य प्रकाश
प्रश्न- तारों के अंदर होने वाली प्रक्रिया में हाइड्रोजन परमाणु लगातार किस परमाणु में बदलते रहते हैं?
उत्तर- हीलियम
प्रश्न- एक अनुमान के अनुसार सूर्य इसी दर से कितने वर्षों तक ऊर्जा देता रहेगा?
उत्तर- 1000 करोड़ वर्षों तक
प्रश्न- उल्कापात या टूटा हुआ तारा जब वायुमंडल से गुजरता है तो किस कारण गर्म होकर प्रकाश देता है?
उत्तर- घर्षण
प्रश्न- जीव-जंतुओं (जुगनू) से प्राप्त होने वाला प्रकाश क्या कहलाता है?
उत्तर- जैव प्रकाश
प्रश्न- जो वस्तुएँ अपने स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होती हैं, क्या कहलाती हैं?
उत्तर- प्रदीप्त वस्तुएँ
प्रश्न- प्रदीप्त वस्तुएँ कौन-सी हैं?
उत्तर- सूर्य, विद्युत बल्ब
प्रश्न- जिन वस्तुओं का अपना स्वयं का प्रकाश नहीं होता, वे क्या कहलाती हैं?
उत्तर- अप्रदीप्त वस्तुएँ
प्रश्न- जिन वस्तुओं से होकर प्रकाश किरणें निकल जाती हैं, क्या कहलाती हैं?
उत्तर- पारदर्शक वस्तुएँ
प्रश्न- पारदर्शक वस्तु कौन-सी है?
उत्तर- काँच
प्रश्न- अर्द्धपारदर्शक वस्तु कौन-सी है?
उत्तर- तेल लगा हुआ कागज़
प्रश्न- अपारदर्शक वस्तु कौन-सी है?
उत्तर- धातुएँ
प्रश्न- प्रकाश की चाल सर्वाधिक कहाँ होती है?
उत्तर- वायु तथा निर्वात में
प्रश्न- निर्वात में प्रकाश की चाल मीटर प्रति सेकेंड कितनी होती है?
उत्तर- 3.00 x 108
प्रश्न- पानी में प्रकाश की चाल मीटर प्रति सेकेंड कितनी होती है?
उत्तर- 2.25x108
प्रश्न- कांच में प्रकाश की चाल मीटर प्रति सेकेंड कितनी होती है?
उत्तर- 2.00x108
प्रश्न- तारपीन तेल में प्रकाश की चाल मीटर प्रति सेकेंड कितनी होता है?
उत्तर- 2.04x108
प्रश्न- नाइलोन में प्रकाश की चाल मीटर प्रति सेकेंड कितनी होती है?
उत्तर- 1.96X108
प्रश्न- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में कितना समय लगता है?
उत्तर- 500 सेकेंड (8 मिनट)
प्रश्न- जब चन्द्रमा, सूर्य तथा पृथ्वी के बीच आ जाता है तो क्या स्थिति होती है?
उत्तर- सूर्यग्रहण
प्रश्न- जब पृथ्वी, सूर्य तथा चन्द्रमा के बीच आ जाती है तो क्या स्थिति होती है?
उत्तर- चन्द्रग्रहण
प्रश्न- प्रकाश के चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को क्या कहते है?
उत्तर- प्रकाश का परावर्तन
प्रश्न- कौन-सा दर्पण प्रकाश का सबसे अच्छा परावर्तक माना जाता है?
उत्तर- समतल दर्पण
प्रश्न- परावर्तक पृष्ठ के लम्बवत सीधी रेखा क्या कहलाती है?
उत्तर- अभिलम्ब
प्रश्न- जो किरण परावर्तक तल पर आकर गिरती है, क्या कहलाती है?
उत्तर- आपाती किरण
प्रश्न- जो किरण परावर्तन के पश्चात् वापस उसी माध्यम में लौट जाती है, क्या कहलाती है?
उत्तर- परावर्तित किरण
प्रश्न- आपाती किरण व अभिलम्ब के बीच का कोण क्या कहलाता है?
उत्तर- आपतन कोण
प्रश्न- अभिलम्ब व परावर्तित किरण के बीच का कोण क्या कहलाता है?
उत्तर- परावर्तन कोण
प्रश्न- एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करते समय प्रकाश की किरण का अपने पथ से थोड़ा मुह जाना, कैसी घटना है?
उत्तर- प्रकाश का अपवर्तन
प्रश्न- ताप बढ़ने के साथ अपवर्तनांक के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- कम होता जाता है
प्रश्न- आपतन कोण के एक विशेष मान पर अपवर्तन कोण का मान 90° होता है, इस विशेष मान के कोण को क्या कहते हैं?
उत्तर- क्रांतिक कोण
प्रश्न- गर्मियों के मौसम में रेगिस्तान में मरीचिका का कारण क्या है?
उत्तर- पूर्ण आंतरिक परावर्तन
प्रश्न- गर्मियों की दोपहर में रेगिस्तान में यात्रियों को कुछ दूरी पर पानी होने का भ्रम क्या कहलाता है?
उत्तर- मृग मरीचिका
प्रश्न- जब कभी प्रकाश को अधिक दूर तक भेजना होता हो तो किसका प्रयोग करते है?
उत्तर- ऑप्टिकल फाइबर
प्रश्न- प्रतिबिंब मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- वास्तविक, आभासी
प्रश्न- वस्तु के प्रतिबिंब की लम्बाई तथा उस वस्तु की लम्बाई का अनुपात प्रतिबिंब का क्या कहलाता है?
उत्तर- रेखीय आवर्धन
प्रश्न- दर्पण के कौन से प्रकार हैं?
उत्तर- समतल, गोलीय
प्रश्न- गोलीय दर्पण के कौन से प्रकार हैं?
उत्तर- अवतल, उत्तल
Hiii Frndzzzz!!!!!
आपसे गुज़ारिश है की हमारे डाटा पसंद आने पर लाइक, कमेंट और शेयर करें ताकि यह डाटा दूसरों तक भी पहुंच सके और हम आगे और भी ज़्यादा जानकारी वाले डाटा आप तक पहुँचा सकें, जैसा आप हमसे चाहते हैं.....
Hell
Lot of Thanxxx
No comments:
Post a Comment