Thursday, July 7, 2022

बाबर

 

बाबर

                                 बाबर

                     बाबर  


                              By:-- Nurool Ain Ahmad 


मुग़ल राजवंश, जिसे भारत में बाबर ने आरम्भ किया था, जिसने 1526 ई. में लोदी वंश के अन्तिम सुल्तान इब्राहीम लोदी को पानीपत के प्रथम युद्ध में पराजित किया। इस विजय से बाबर का दिल्ली और आगरा पर अधिकार हो गया। 1527 ई. में बाबर ने मेवाड़ के शासक राणा साँगा को खनुआ के युद्ध में पराजित कर राजपूतों के प्रतिरोध का भी अन्त कर दिया।


मुगल साम्राज्य वंशावली 

  • जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर-1526-1530 ई० 
  • फर्रूखशियर-1713-1719 ई० 
  • नासिरूद्दीन मुहम्मद हुमायूँ-1530-1556 ई० 
  • मुहम्मद शाह-1719-1748 ई०
  • जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर-1556-1605 ई० 
  • अहमद शाह-1748-1754 ई० 
  • जहाँगीर-1605-1627 ई०
  • आलमगीर-||-1754-1759 ई० 
  • शाहजहाँ-1627-1658 ई०
  • शाह आलम-||-1759-1806 ई० 
  • औरंगजेब-1658-1707 ई०
  • अकबर-||-1806-1837 ई०
  • बहादुर शाह-1707-1712 ई०
  • बहादुर शाह जफर-1837-1857 ई०। 
  • जहांदार शाह-1712-1713 ई०

बाबर का संक्षिप्त परिचय

  • मुगल वंश के संस्थापक बाबर का शासन काल 1526 ई. से 1530 ई. तक चला बाबर का पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था !
  • बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को फरगना मे हुआ था बाबर चगताई तुर्क था अपने पिता उमर शेख की ओर से बाबर तैमूर का वंशज था और अपनी माँ कुतलग निशा की ओर से चंगेज खाँ का वंशज था !
  • 11 वर्ष की उम्र में 1494 ई. में यह फरगना का शासक बना 1508 में इसने कंधार पर विजय प्राप्त की यही पर इसके पुत्र हुमायूँ का जन्म हुआ

मुगल वंश की स्थापना कैसे हुई ? 

  • 1526 ई. में बाबर और इब्राहिम लोदी की सेना के बीच पानीपत के मैदान में युध्द हुआ इस युध्द को पानीपत का प्रथम युध्द कहा जाता है इस युध्द में इब्राहिम लोदी मारा गया और बाबर ने मुगल सत्ता की स्थापना की पानीपत का युध्द भारतीय इतिहास का प्रमुख युध्द था इसके पश्चात ही भारत में मुगल सत्ता की स्थापना हुई

बाबर कौन सी उपाधि लेना शुरु किया

  • इसने अपनी सेना में तोप शामिल की  और जो पूर्व के सुल्तान हुआ करते थे वो मिर्जा की उपाधि देते थे किंतु इसने ‘पादशाह’ की उपाधि लेना शुरू किया इसने पादशाह की उपाधि ली !
  • बाबर वैसे तो सुन्नी मुसलमान था पर उसने कुछ समय के लिए शिया मत भी स्वीकार किया था (ईरान के शाह से सहायता प्राप्त करने के लिए)

भारत पर आक्रमण करने से पूर्व बाबर ने किन -किन स्थानों पर विजय प्राप्त की

  • भारत पर आक्रमण करने से पूर्व ये काबुल, कंधार व समकंद आदि पर विजय प्राप्त कर चुका था

बाबर की आत्मकथा

  • बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी उसमें उसने लिखा है जब मैंने हिंदुस्तान विजित किया उस समय हिंदुस्तान में पाँच मुसलमान शासकों तथा दो काफिर बादशाहों का शासन था(बाबर के अनुसार पाँच मुसलमान राज्य-दिल्ली, गुजरात, बहमनी, मालवा तथा बंगाल, दो काफिर राज्य- विजय नगर, मेवाड)

पानीपत की लडाई से पहले बाबर ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया

  • पानीपत की लडाई से पहले भारतीय क्षेत्रों पर बाबर ने चार बार आक्रमण किया बाबर भारत खैबर दर्रे से होकर आया था और सबसे पहली बार इसने 1519 ई में भारत पर आक्रमण किया था

बाबर के प्रमुख युध्द

बाबर के चार प्रमुख युध्द हैं – 

पानीपत का युध्द

  • पानीपत का युध्द भारत मे इसे लाहौर के गवर्नर और इब्राहिम लोदी चाचा दौलत खाँ ने अपने पुत्र बिलाबल खाँ और बहलोल लोदी के पुत्र आलम खाँ को बाबर को भारत पर आक्रमण करने हेतु आमंत्रित करने के लिए भेजा गया कहीं कहीं उल्लेख मिलता है कि राणा ने भी बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा था !
  • पानीपत का प्रथम युध्द बाबर ने अपने 12,000 सैनिकों के सहायोग से इब्राहिम लोदी की सेना को बहुत बुरी तरह परास्त किया इस युध्द में उसने अपनी प्रसिध्द तुलगुमा युध्द नीति का और तोप खाने का प्रयोग किया इस युध्द की खुशी में बाबर ने काबुल वासियों को एक-एक का सिक्का उपहार में दिया अपनी इस उदारता के कारण बाबर को कलंदर कहा गया !
  • अपनी विजय के बाद बाबर ने 27 अप्रैल 1526 को दिल्ली में मुगल वंश के संस्थापक के रूप में अपना राज्यभिषेक कराया !
  • पानीपत के युध्द के समय भारत की राजनैतिक शक्ति अफगानों और राजपूतों में बँटी थी इस राजनीतिक शक्ति पर अधिकार के उद्देश्य से बाबर ने खानवा और घाघरा का युध्द लडा

बाबर की तुलगुमा नीति क्या थी – तुलगुमा नीति- तुलगुमा के अंतर्गत सेनायें तीन ओर से आक्रमण करती है

खानवा का युध्द

  • खानवा का युध्द 16 मार्च 1527 मे बाबर और मेवाड के राजा राणा सांगा के बीच हुआ इस युध्द में विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की !

चंदेरी का युध्द

  • चंदेरी का युध्द 29 जनवरी 1528 को बाबर और चंदेरी के शासक मेधनीय राय के बीच हुआ युध्द में बाबर विजयी रहा

घाघरा का युध्द

  • घाघरा का युध्द में घघर, बिहार नदी के तट पर बाबर ने अफगानों को पराजित किया मध्यकाल का यह पहला युध्द था जल और थल दोनो में लडा गया था ये बाबर द्वारा लडी गई अंतिम लडाई थी

बाबर की अन्य रचना कौन सी थी ?

  • बाबर की एक और रचना तुजुक-ए-बाबरी है बाबर ने इसकी तुर्की में रचना की थी बाबर की इस रचना को अकबर ने अब्दुर्रहीम खानेखाना के द्वारा तुर्की से फारसी भाषा में रुपांतरित कराया

बाबर की संतानें

  • बाबर के चार पुत्र हुमायुँ, अस्करी, कामरान, हिंदाल थे व एक पुत्री गुलबदन बेगम थी !

गुलबदन बेगम

  • गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री थी उसने हुमायूँनामा की रचना की जिसमे आधे मे हुमायूँ का व आधे में बाबर का वर्णन मिलता है !

“लेनपूल के अनुसार बाबर एक सैनिक था, साम्राज्य का निर्माता नहीं”

 बाबर की मृत्यु

  • 26 दिसम्बर 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई और उसे काबुल में दफनाया गया बाबर ने हुमायूँ को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया !

Quick Facts

  • बाबर द्वारा 1526 ई० में मुगल साम्राज्य की स्थापना की गई।
  • बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 को फरगना में हुआ। 
  • बाबर पिता उमर शेख मिर्जा की ओर से ‘तैमूरलंग’ एवं माता कुतालुनीगार की ओर से मंगोल नेता चंगेज खाँ का वंशज था। 
  • बाबर का कुटुम्ब तुर्की जाति के चुगताई वर्ग के अंतर्गत आता था।
  • 11 वर्ष की उम्र में फरगना का शासक बनने के बाद बाबर ने समरकंद पर 6 बार चढाई की जिसमें सिर्फ दो बार विजय प्राप्त हुई। 
  • बाबर ने कंधार (1508), पेशावर (1519) तथा दिल्ली (1526) पर अपना शासन कायम किया। 
  • बाबर ने पानीपत-I (1526 ई०), खनवा (1527 ई०), चंदेरी (1527 ई०) एवं घाघरा (1529 ई०.) के युद्धों में क्रमशः इब्राहिम लोधी, राणा सांगा, मेदनी राय एवं अफगानों को परास्त किया। 
  • बाबर ने अपनी सेना में 1514-19 ई० के दौरान तोप को शामिल किया। 
  • बाबर ने तुर्की भाषा में तुजूक-ए-बाबरी (आत्मकथा) की रचना की जिसका फारसी अनुवाद बाद में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने किया। बाबर मुबड्यान नामक पद्य-शैली का जन्मदाता है।
  • बाबर का भारत के विरुद्ध पहला आक्रमण युसूफजाईयों के खिलाफ 1519 ई० में हुआ।
  • बाबर ने 1507 ई० में अपने पूर्वजों द्वारा धारित उपाधि मिर्जा को छोड़कर पादशाह की उपाधि धारण की। बाबर द्वारा सड़कों की माप हेतु गज-ए-बाबरी चलाई गई। 
  • बाबर ने विस्फोटकों का प्रयोग कुस्तुनतुनियाँ से एवं बंदूक का प्रयोग करने की कला ईरानियों से सीखी। बाबर ने युद्ध की तुलगुमा (सेना छिपाकर रखने की) पद्धति उज्बेगों से सीखी। बाबर को उसकी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि दी गई तथा उसने खनंवा युद्ध में विजय के पश्चात गाजी की उपाधि धारण की। 
  • बाबर ने तुर्की छंद-शास्त्र पर एक निबंध की रचना की। 
  • 26 दिसंबर 1530 ई० को बाबर की मृत्यु आगरा में हुई। आरंभ में आगरा के आरामबाग में एवं बाद में काबुल में उसकी ख्वाहिश के अनुसार उसे दफनाया गया। 
  • बाबर के चार पुत्रों हुमायूँ, कामरान, अस्करी एवं हिन्दाल में, अपनी मृत्यु के समय हुमायूँ को बाबर ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।

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