इतिहास में प्रचलित प्रमुख शब्दावली ( Important Terminology of History ) – जब हम इतिहास का अध्ययन करते हैं, कुछ ऐसे शब्द देखनें को जो केवल जो इतिहास में ही प्रयुक्त होते हैं। इस लेख में ऐसे ही इतिहास में प्रयोग होने वाले शब्दों की शब्दावली ( Terminology ) दी गयी है।
- ख़ुम्स – (लूट का धन) इस्लामिक मान्यता के अनुसार इसका 20% भाग राज्य का और 80% भाग सैनिकों का होगा। लेकिन अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने स्वयं 80% रखा और सैनिकों को 20% दिया।
- इदरार – विद्वानों तथा धार्मिक लोगों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता, वृत्ति।
- खराज – गैर मुस्लिमों से लिया जाने वाला कर।
- खालिसा/इमलाक – सुल्तान की निजी आय।
- खालसा – शासक के प्रत्यक्ष अधीन रहने वाली भूमि जिसकी आय सुल्तान के व्यक्तिगत खर्च हेतु प्रयोग की जाती है।
- ख़िदमती – पराजित भारतीय सरदारों द्वारा देय कर।
- खुदकाश्त – रियायती या उच्च वर्गीय किसान।
- नायब ए ममलिकात – बहरामशाह द्वारा सृजित एक नया पद।
- आमिल – राजस्व की बसूली करने वाला।
- बलाहार – साधारण किसान।
- बारात – मराठा क्षेत्र में प्रचलित राजकीय आदेश।
- भंडारवाद – दक्षिण में प्रचलित भूमि जो उत्तर भारत में खालसा भूमि के समरूप थी।
- अमीर-ए-हाजिब या बारबक – शाही दरबार का सर्वोच्च अधिकारी। सुल्तान बनने से पूर्व बलबन और फिरोज तुगलक ने इस पद पर कार्य किया।
- बंजारा – घुमक्कड़ अनाज व्यापारी।
- फरमान ए सबाती – सूबेदार की नियुक्ति संबंधी आदेशपत्र।
- रैयत – प्रजा।
- मुसद्दी – बंदरगाह का प्रमुख मुग़ल अधिकारी।
- मुक्ताई – लगान निर्धारण की मिश्रित प्रणाली।
- पाए बाकी – जागीर आंवटन करने के लिए आरक्षित भूमि।
- पोलीगर – दक्षिण भारत का छोटा मुखिया।
- बरावर्दी – अनियमित वेतन पर काम करने वाला सैनिक।
- पायगार – शाही घोड़ों का प्रबंध करने वाला विभाग।
- रैयती – वह क्षेत्र जिसका कोई जमींदार न हो या जहाँ से राजस्व बसूलना अधिक आसान व लाभप्रद हो।
- गज ए सवाई – औरंगजेब का बड़ी तोप से सज्जित जलपोत।
- खिलअत – विशिष्ट सूचक एक विशिष्ट प्रकार के वस्त्र।
- तलब – मनसबदार के वेतनमान।
- खानजादा – वे अमीर, जिनके पूर्वज एक पीढ़ी से अधिक मुग़लों की शासकीय सेवा में रहे।
- अमलाक – धर्म संबंधी कार्यों हेतु दी गयी वंशानुगत भूमि।
- वजह – भूराजस्व अनुदानों द्वारा देय वेतन।
- विलायत – चिस्तीयों द्वारा प्रचलित राज्य नियंत्रण से मुक्त आध्यात्मिक क्षेत्र।
- दाखिल – मनसबदारों के नेतृत्व में काम करने वाले राज्य द्वारा नियुक्त सैनिक।
- चौथ – पड़ोसी राज्यों से लिया जाने वाला चौथाई कर जो कि शिवाजी की आय का प्रमुख साधन था।
- करोड़ी/आमिल – अकबर द्वारा नियुक्त राजस्व अधिकारी।
- कोतवाल – नगर व किलों के अधिकारी।
- वकील ए दर – राजपरिवार के प्रबंध हेतु नियुक्त सबसे बड़ा अधिकारी।
- मौल्लिम – मुग़ल जहाजों पर नियुक्त कर्मचारी जो दिशाबोध कराता था।
- लाल वस्त्र – न्याय की माँग का प्रतीक।
- महाल – भूराजस्व संग्रह करने हेतु निर्मित एक इकाई।
- दादनी – व्यापारियों द्वारा कारीगरों को दिया जाने वाला अग्रिम धन।
- टंका – इल्तुतमिश द्वारा जारी चाँदी का सिक्का।
- कूरियत – गांव या देह।
- नवरोज – 19 दिन तक चलने वाला ईरानी/फारसियों का एक त्यौहार। बलबन और अकबर ने मानना शुरू किया और ओरंगजेब ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
- सदका – एक प्रकार का दान।
- समयाचार्य – विजयनगर राज्य में न्यायाधीशों को समयाचार्य कहा जाता था।
- वजीफा – राजस्व मुक्त जमीन।
- वकील ए दर – शाही महल और सुल्तान के विशेष कर्मचारियों का प्रबंध करने वाला सबसे बड़ा अधिकारी। यही पद मुगलकाल में सामाकहलाया।
- दस्तूर – नियम, राजस्व निर्धारण की आर्थिक इकाइयाँ।
- हजरत ए आला – सुल्तान का व्यक्तिगत कोष।
- तरफ़दार – बहमनी राज्य के तरफ(प्रांत) का प्रमुख।
- मावास – किले बंद गाँव या उपद्रवी क्षेत्र।
- शशगानी – 6 जीतल के मूल्य की मुद्रा।
- हरम – यह राज्यमहल का वह वर्जित स्थान होता था जहाँ केवल स्त्रियाँ रहती थीं। ये फ़ारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है “पवित्र स्थान”।
- मुजद्दीद – इस्लाम का सुधारक।
- हुकमनामा – नये उत्तराधिकारी से राजपूतों द्वारा बसूला जाने वाला कर।
- वालाशाही – बादशाह के निजी अंगरक्षक।
- दीवान ए सादात – धार्मिक मामलों का विभाग।
- मोहतसिब – लोक आचरण का अधिकारी और वाट-माप का भी नियंत्रक।
- जबाबित – राज्य द्वारा निर्मित कानून।
- मुकद्दम – ग्राम अधिकारी या जमींदार/चौधरी या देशमुख भी कहा जाता था। सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने जमींदार शब्द का प्रयोग किया।
- माल – मुगलकाल में भूराजस्व से सम्बंधित शब्दावली।
- फ़वाजिल – इक्तादारों द्वारा सरकारी खजाने में जमा की जाने वाली अतिरिक्त राशि।
- टप्पा – छोटी भूसंपदा या गांवों का समूह।
- पत्तला – पाल व प्रतिहार प्रशासन में विषय से नीचे की इकाई।
- नादिर उल अस्त्र – ये एक प्रकार की उपाधि थी जिसका अर्थ – ‘युग में दुर्लभ’ था।
- कुफ्र – इस्लामी मान्यताओं में विश्वास न रखना।
- तुरुष्कदंड – तुर्कों से बसूला जाने वाला कर।
- जिहात – निर्धारित करों के अतिरिक्त एक देय।
- दार उल हर्ब – इस्लामी शासन को स्वीकार न करने वाला राज्य। इससे युद्ध करना न्याय संगत माना जाता था।
- चलनी – पिछले वर्षों में प्रचलित सिक्के
- जिम्मी/धिम्मी – इस्लामिक राज्य में रहने वाली संरक्षित गैर मुस्लिम प्रजा
- शाहबंदर – बंदरगाह का प्रभारी अधिकारी।
- शिष्ट – विजयनगर साम्राज्य में भू-कर।
- वजीर ए मुतकल – सर्वप्रमुख वजीर जो सम्राट के हस्तक्षेप के बगैर कार्य कर सकता था।
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