नगर निकाय शासन व्यवस्था (Municipal Government System)
नगरीय शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में मूल संविधान में कोई प्रावधान नहीं किया गया था, परन्तु इसे अनुसूची 7 की राज्य सूची में सम्मिलित किया गया तथा सम्बन्ध में क़ानून केवल राज्यों में नगरीय शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में क़ानून का निर्माण किया गया था। इन क़ानूनों के तहत नगरीय शासन व्यवस्था के संचालन के लिए निम्नलिखित निकायों का गठन करने के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया था –
- नगर निगम
- नगर पालिका
- नगर पंचायत
नगर निगम
नगर निगम विभिन्न स्थानीय सरकारों के प्रशासन संगठन का नाम होता है। यह किसी नगर परिषद या ज़िले, ग्राम, बस्ती या अन्य स्थानीय शासकीय निकायों के अंतर्गत काम करता है। कानूनी रूप से नगर निगम की स्थापना तब की जाती है जब किसी नगर, बस्ती या ग्राम को स्वशासन का अधिकार प्रदान किया जाता है। यह एक कानूनी लिखत पारित कर किया जाता है, जो नगरीय अधिकारपत्र (municipal charter) कहलाता है, जिसमें प्रशासन संचालन व उच्चतम नगर अधिकारियों के चुनाव या नियुक्ति की विधि स्पष्ट की जाती है।
नगर निगम के लिए योग्यता :--
- वह भारत का नागरिक हो।
- उम्र 21 साल की हो ।
- उसका नाम वार्ड की निर्वाचक नामावली में पंजीकृत हो।
- नगर निगम के चुनाव को लड़ने के लिए उसे पहले कभी भी अयोग्य घोषित नहीं किया गया हो।
- वह भारत में किसी भी नगर निगम में पदासीन नहीं होना चाहिए।
नगर निगम के सदस्य
नगर निगम में एक समिति का निर्माण किया जाता है जिस समिति में सभासद के साथ-साथ एक नगर अध्यक्ष भी होता है। नगर निगमों का गठन पंचायती राज व्यवस्था के निगम अधिनियम,1835 के अंतर्गत होता है जो शहरों को आवश्यक सामुदायिक सेवाएं प्रदान करते हैं। नगर अध्यक्ष नगर निगम का प्रमुख होता है। निगम प्रभारी नगर आयुक्त के अधीन होता है। निगम के विकास की योजना बनाने के कार्यक्रमों की निगरानी और कार्यान्वयन करने का कार्य नगर अध्यक्ष और सभासद के साथ-साथ कार्यकारी अधिकारी द्वारा भी किया जाता है। सभासदों की संख्या भी शहर के क्षेत्र और आबादी की संख्या पर निर्भर करती है।
भारत के सबसे बड़े निगम चार मेट्रोपॉलिटन शहरः – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई।
महापौर –
महापौर (Mayor) को नगर का प्रशासक भी कहा जाता है। मेयर के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में नगर निगम का चुनाव आयोजित किया जाता है। इस चुनाव में कई पार्षदो का चुनाव किया जाता है, इन्ही पार्षदों में से एक पार्षद का एक वर्ष के लिए मेयर पद के लिए चुनाव किया जाता है। नगर निगम के पार्षदों को आम जनता द्वारा चुना जाता है।
नगर निगम की चुनावी प्रक्रिया :--
नगर निगम के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा किए गए मतदान द्वारा किया जाता है। ये चुनाव शहर के एक विशेष वार्ड में आयोजित होते है। अपने वार्ड के लिए प्रतिनिधि या सभासद का चुनाव एक निजी वार्ड की निर्वाचक नामावली के द्वारा होता है। प्रत्येक वार्ड में निर्वाचक नामावली वार्ड के क्षेत्र के आधार पर एक या कई भागों में विभाजित किया जाता है जिसके प्रत्येक भाग में मतदाता होते हैं। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक भाग में शामिल मतदाता सड़क या मोहल्ले या उस वार्ड के भीतर एक नामित क्षेत्र से जुड़े होते हैं। सभी हिस्सों के मतदाता एक साथ विशेष वार्ड के चुनावी तालिका का निर्माण करते है।
नगर निगम का कार्यकाल:--
नगर निगम का कार्यालय की अवधि पहली बैठक की शुरुआत से पांच साल की अवधि तक होता है। निम्नलिखित परिस्थतियों में इसको विघटित किया जा सकता है –
- यदि राज्य को निगम के कर्तव्यों में लापरवाही प्रतीत होती हो।
- यदि राज्य को ऐसा लगता है कि निगम अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहा हो।
- राज्य में नगरपालिका चुनाव रद्द करने या नगर निगम के संचालन से वार्ड के पूरे क्षेत्र को वापस लेने की घोषणा।
नगरपालिका
किसी राज्य के स्थानीय शहरी शासन में जनता की भागीदारी को बढ़ने के लिए 74वें संविधान संसोधन के रूप में शहरी स्थानीय शासन को सशक्त बनाया गया जिसे भाग 9 (क) में नगरपालिकाएं कहा गया था और यह ही सामान्य रूप में नगरपालिका कहलाती है
नगरपालिका का गठन –
- अनुच्छेद 243 (थ) के अनुसार नगरपालिका का गठन किया जाता है।
- नगरपालिका क्षेत्र को वार्डो में विभाजित किया जाता है जिसमे से प्रत्येक वार्ड के प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है।
- वार्ड के प्रतिनिधि को पार्षद कहा जाता है जिनका चुनाव प्रत्यक्ष माध्यम से होता है।
- यही वार्ड प्रतिनिधि आपस में सलाह करके अपने में से ही सभा का अध्यक्षता करने हेतु अध्यक्ष को चुनते है, इन्हें चेयरमैन कहा जाता है।
- नगरपालिका के सदस्य के रूप में सभासद और अध्यक्ष द्वारा नगरपालिका का गठन किया जाता है।
- प्रशासक के रूप एक अधिशाषी अधिकार राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होता है।
नगरपालिका का कार्यकाल
अनुच्छेद 243 (प) के अनुसार नगरपालिका का कार्यकाल निर्धारित किया गया। नगरपालिका की अवधि अपने प्रथम अधिवेशन की तारीख से 5 वर्ष तक होती है किंतु समय से पूर्व भी इस का विघटन किया जा सकता है। यदि इसका विघटन किया जाता है तो विघटन की तारीख से 6 माह के अंदर उसका पुनर्गठन किया जाना चाहिए। पुनर्गठित नगरपालिका, विघटित नगरपालिका के शेष कार्यकल तक कार्य करेगी।
नगरपालिका के कार्य एवं शक्तियां (अनुच्छेद 243 ब)
- नगरपालिका को भारतीय संविधान के अनुसूची 12 में वर्णित 18 विषयों पर कार्य करने का अधिकार होता है।
- विविध कार्यों को विविध समितियों के माध्यम से नगरपालिका अपना कार्य संचालित करती है।
- नगरपालिका आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए योजनाएं बनाने का कार्य करती है तथा उन्हें क्रियान्वित करने का भी कार्य नगरपालिका द्वारा किया जाता है।
- नगरपालिका समाज के पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कार्य करती है विकलांगता, मानसिक रूप से विचित्र लोगों के हितों की भी रक्षा करती है।
- नगरीय सुख-सुविधाओं जैसे – सड़क, प्रकाश, पेयजल, सीवरेज एवं जनगणना इत्यादि की भी व्यवस्था करना भी नगरपालिका का कार्य है।
नगर पालिका का संगठन
नगर पालिका परिषद :- नगर पालिका की परिषद को नगर परिषद भी कहा जाता है। इसमें नगर के विभिन्न वार्डों से निर्वाचित सदस्य होते हैं तथा कुछ सदस्य मनोनित भी किये जाते हैं।
पदाधिकारी :- नगर परिषद अपने सदस्यों के बीच से एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष को चुनते है। नगर पालिका अध्यक्ष का पद बहुत ही प्रतिष्ठा का पद होता है। यह परिषद की सभाओं की अध्यक्षता करता है तथा विचार विमर्श में परिषद के सदस्यों का मार्गदर्शन भी करता है। नगर पालिका के प्रशासनिक कार्यों का सीधा नियंत्रण अध्यक्ष के द्वारा होता है। अध्यक्ष की अनुपस्थिती में उपाध्यक्ष परिषद की सभाओं की अध्यक्षता करता है।
अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के अलावा एक कार्यपालक पदाधिकारी भी होता है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है। वह नगर पालिका की परिषद के रुप में कार्य किया जाता है और नगर पालिका कार्यालय का प्रभारी भी होता है। इसकी मदद के लिए एक पदाधिकारी तथा कर्मचारी होते हैं।
समितियाँ :- नगर पालिका अपने विभिन्न कार्यों को कुशलतापूर्वक पूरा करने के लिए कुछ समितियों का गठन करती है जिसमें परिषद के अनुभवी तथा कर्मठ सदस्यों को शामिल करती है। इन समितियों में शिक्षा समिति, जल समिति, लोक निर्माण समिति, नागरिक स्वास्थ्य समिति आदि प्रमुख हैं।
नगरपालिकाएं का महत्व
- हमारे भारतीय संविधान में स्थानीय निकाय में भी विकेन्द्रीकरण सुधार माध्यम से ग्रामीण व शहरी स्तर पर नागरिको के सहयोग से अच्छा वातावरण बनाने का कार्य किया गया है। 73वें और 74वें संविधान संसोधन के बाद असलियत में लोकल बॉडी को अधिकार दिए गए है जो पहले कभी नहीं दिए गए थे।
- क्षेत्र को छोटे छोटे वार्ड में विभाजित करने के बाद से किसी भी भाग में विकास और सम्बंधित कार्य करना बहुत आसान हो गया है।
- नगरपालिकाएं गठन से स्थानीय स्तर पर शासन की जवाबदेही भी तय की गयी है, जिससे लोगो की हिस्सेदारी में सुधार हुआ है
- स्थानीय निकाय के विकसित होने से लोकल स्तर पर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य संबधित चिंताए भी दूर हुई है।
- स्थानीयस्तर पर अब मूलभूत सुविधाए बहुत सरलता से उपलब्ध करायी जा सकती है।
नगर पंचायत
नगर पंचायत सरकार की स्थाई इकाई होती है यह सभी गांवों पर समान रूप से कार्य करती हैं अतःइसे प्रशासनिक ब्लॉक भी कहा जाता हैं। ग्राम पंचायत और जिला परिषद के बीच की मजबूत कड़ी होती है और अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद और गुजरात में तालुका पंचायत तथा कर्नाटक में मंडल पंचायत कहलाती है। किसी भी ग्राम सभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है क्योंकि हर गांव में एक प्रधान होता है। इस आधार पर एक हजार आबादी वाले गांवों में 10 पंचायत सदस्य और 3000 की आबादी वाले गांव में 15 सदस्य होते हैं।
साल में लगभग 2 बार ग्राम सभा की बैठक होना आवश्यक होता है जिसकी सूचना 15 दिन पहले दी जानी चाहिए है। ग्राम प्रधान को ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार प्राप्त होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति आवश्यक होती है।
ग्राम पंचायत द्वारा बनाये किए गए सभी भावी योजनाओं को इकट्ठा करके पंचायत समिति उनका वित्तीय प्रबंध का समाज कल्याण और और क्षेत्र विकास को ध्यान में रखते हुये लागू करवाती है तथा वित्त पोषण के लिए उनका क्रियान्वयन किया जाता है।
योग्यताएं –
- प्रत्याशी को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- नगर निगम, निकाय क्षेत्र का मतदाता होना जरूरी है।
- नामांकन के समय प्रत्याशी के साथ दो समर्थक व दो प्रस्तावक संबंधित वार्ड का होना जरूरी है।
नगर पंचायत का गठन व चुनाव प्रक्रिया
- नगर पंचायत का चुनाव नगरपालिका के निर्वाचन क्षेत्रो से प्रत्यक्ष रूप से होता है और सीटो का आवंटन चुने हुए प्रतिनिधियों को किया जाता है।
- नगरपंचायत का चुनाव 5 वर्ष के लिए किया जाता है और अवधि समाप्त होने पर अथवा बीच में विधानमंडल द्वारा कार्यकाल बीच में भंग होने पर 6 महीने के भीतर ही चुनाव करने का प्रावधान है।
- नगरपालिका में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिये सीटें आरक्षित किये जाने का भी प्रावधान किया गया है।
- महिलाओ के लिए एक तिहाई सीटो को आरक्षित किया गया है।
- सभासदों द्वारा इसमें भी अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है जो 5 varsho के लिए शासन करता है तथा क्षेत्र में विकास कार्य कराता है।
- प्रशासन के कार्यअधिशाषी अधिकारी द्वारा किये जाते है।
नगर पंचायत के कार्य –
- जलापूर्ति, मलजल पद्धति आदि जैसी नागरिक सेवाओं और सुविधाओं के संचालन एवं रखरखाव को सुनिश्चित करना।
- दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए लाइसेंस / परमिट जारी करना।
- दुकानो एवं बाज़ारों के खुलने/बंद करने की प्रक्रिया का नियंत्रण करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन करना।
प्रश्न-73वाँ संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायतों का कार्यकाल कितने वर्ष निश्चित किया गया? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-पंचायती राज संस्था की सबसे छोटी इकाई क्या कहलाती है? उत्तर➔ ग्राम पंचायत
प्रश्न-कितने वर्ष की आयु का गाँव का प्रत्येक नागरिक ग्राम सभा का सदस्य माना जाता है? उत्तर➔ 18 वर्ष
प्रश्न-ग्राम प्रधान का चुनाव किसके द्वारा होता है? उत्तर➔ ग्राम सभा
प्रश्न-ग्राम प्रधान का कार्यकाल कितने वर्ष है? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-ग्राम पंचायत की अवधि कितनी होती है? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-प्रत्येक माह ग्राम पंचायत की कितनी बैठक आवश्यक होती? उत्तर➔ 1
प्रश्न-बैठक की अध्यक्षता कौन करता है? उत्तर➔ सरपंच
प्रश्न-ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या कितनी होती है? उत्तर➔ 5 से 31 के बीच
प्रश्न-एकस्तरीय पंचायती राजव्यवस्था में कौन शामिल है? उत्तर➔ ग्राम पंचायत
प्रश्न-पंचायती राज व्यवस्था लागू करने वाला प्रथम राज्य कौन-सा था? उत्तर➔ राजस्थान
प्रश्न-राजस्थान विधान सभा ने पंचायती राज अधिनियम कब पारित किया? उत्तर➔ सितंबर 1959
प्रश्न-2 अक्टूबर, 1959 को नागौर जिले में पंचायती राजव्यवस्था का उद्घाटन किसने किया? उत्तर➔ पं. जवाहरलाल नेहरू
प्रश्न-पंचायत समिति को अन्य किस नाम से जाना जाता है? उत्तर➔ जनपद पंचायत
प्रश्न-अशोक मेहता की अध्यक्षता में समिति कब गठित की गई? उत्तर➔ 12 सितंबर, 1977
प्रश्न-ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए डॉ. जी.वी.के. राव समिति कब गठित की गई? उत्तर➔ 1985
प्रश्न-गाँवों के पुनर्गठन और पंचायतों को पर्याप्त वित्तीय साधन सुलभ कराने की सिफारिश किस समिति ने की? उत्तर➔ डॉ. एल.एम. सिंघवी समिति
प्रश्न-"राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने के योग्य बनाने के लिए आवश्यक हों" किस अनुच्छेद में निर्देशित है? उत्तर➔ अनुच्छेद 40
प्रश्न-73वाँ संशोधन अधिनियम कब लागू किया गया? उत्तर➔ 24 अप्रैल, 1993
प्रश्न-नगरों और ग्रामों में निवास करने वाली जनता किसके द्वारा शासन करती है? उत्तर➔ निर्वाचित संस्थाओं
प्रश्न-ग्राम राज्य के पक्षधर कौन थे? उत्तर➔ गाँधीजी
प्रश्न-73वाँ संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में कौन-सा नया भाग जोड़ा गया? उत्तर➔ भाग 9
प्रश्न-किस अनुच्छेद में पंचायतों का उल्लेख किया गया है? उत्तर➔ अनुच्छेद 40
प्रश्न-त्रिस्तरीय व्यवस्था में कौन शामिल हैं? उत्तर➔ ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद
प्रश्न-चार स्तरीय व्यवस्था में कौन शामिल हैं? उत्तर➔ ग्राम पंचायत, अंचल पंचायत, आँचलिक परिषद, जिला परिषद
प्रश्न-केरल, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, मणिपुर में कौन-सी व्यवस्था है? उत्तर➔ एकस्तरीय
प्रश्न-असम, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा में कौन-सी व्यवस्था है? उत्तर➔ द्विस्तरीय
प्रश्न-उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात में कौन-सी व्यवस्था है? उत्तर➔ त्रिस्तरीय
प्रश्न-पश्चिम बंगाल में कौन-सी व्यवस्था है ? उत्तर➔ चार स्तरीय
प्रश्न-मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में कौन-सी व्यवस्था है? उत्तर➔ एक स्तरीय जनजातीय परिषद
प्रश्न-ग्राम पंचायत, तालुका परिषद, जिला परिषद व्यवस्था कहाँ विद्यमान है? उत्तर➔ गोवा
प्रश्न-ग्राम स्तर से ऊपर कौन-सा स्तर आता है? उत्तर➔ खण्ड तथा क्षेत्रीय स्तर
प्रश्न-खण्ड स्तर में आने वाली ग्राम पंचायतों के सरपंच किसके सदस्य होते हैं? उत्तर➔ पंचायत समिति
प्रश्न-पंचायत समिति अंतर्गत कितने ग्राम शामिल होते हैं? उत्तर➔ 20 से 60
प्रश्न-पंचायत समिति का प्रशासनिक अधिकारी कौन होता है? उत्तर➔ खण्ड विकास अधिकारी
प्रश्न-पंचायत समिति अपना अध्यक्ष कैसे चुनती है? उत्तर➔ स्वयं
प्रश्न-पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था का सर्वोपरि स्तर कौन-सा है? उत्तर➔ जिला परिषद
प्रश्न-ग्रामीण संस्थाओं तथा राज्य सरकार के मध्य कड़ी का कार्य कौन करता है? उत्तर➔ जिला परिषद
प्रश्न-जिला परिषद के सदस्य कौन होते हैं? उत्तर➔ जिले की सभी पंचायत समितियों के प्रधान
प्रश्न-जिला परिषद की कालावधि कितनी होती है? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान पंचायत समितियों में कौन वितरित करता है? उत्तर➔ जिला परिषद
प्रश्न-73वें संशोधन अधिनियम में क्या व्यवस्था दी गई है? उत्तर➔ राज्य वित्त आयोग का गठन
प्रश्न-73वें संशोधन अधिनियम द्वारा स्थापित अनुच्छेद 243(ट) में क्या व्यवस्था है? उत्तर➔ राज्य निर्वाचन आयोग
प्रश्न-सर्वप्रथम अंग्रेजों ने किस शहर के लिए नगर निगम स्थानीय संस्था की स्थापना की? उत्तर➔ मद्रास
प्रश्न-1793 के चार्टर एक्ट द्वारा किन शहरों में आधिकारिक रूप से नगर निगम की व्यवस्था की गई? उत्तर➔ मद्रास, कलकत्ता, बंबई
प्रश्न-1882 में भारत में नगर प्रशासन का दूसरा चरण किस प्रस्ताव से आरंभ हुआ? उत्तर➔ लॉर्ड रिपन
प्रश्न-संविधान का 74वाँ संशोधन अधिनियम कब से प्रभावी हुआ? उत्तर➔ 1 जून, 1993
प्रश्न-नगर निगम, नगर पालिकाएं, नगर पंचायत की व्यवस्था किस संशोधन अधिनियम द्वारा की गई? उत्तर➔ 74वाँ, भाग-9(क)
प्रश्न-नगर निगम के सदस्य कितने वर्ष के लिए चुने जाते हैं? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-परिषद के सदस्य क्या कहलाते हैं? उत्तर➔ सभासद
प्रश्न-नगर निगम में महिलाओं के लिए कितनी सीट आरक्षित हैं? उत्तर➔ 1/3
प्रश्न-नगर निगम का अध्यक्ष क्या कहलाता है? उत्तर➔ महापौर
प्रश्न-उपमहापौर का चुनाव कौन करते हैं? उत्तर➔ नगर निगम के सदस्य
प्रश्न-उपमहापौर का कार्यकाल कितना होता है? उत्तर➔ एक वर्ष
प्रश्न-नगर निगम का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी क्या कहलाता है? उत्तर➔ निगम आयुक्त
प्रश्न-निगम आयुक्त की नियुक्ति किसके द्वारा होती है? उत्तर➔ राज्य सरकार
प्रश्न-निगम आयुक्त का वेतन किस निधि से दिया जाता है? उत्तर➔ नगर निगम कोष
प्रश्न-नगरपालिका की अवधि कितनी होती है? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-नगरपालिका के सदस्य बनने की आयु कितनी है? उत्तर➔ 21 वर्ष
प्रश्न-राज्य वित्त आयोग की स्थापना का उल्लेख किस संशोधित अधिनियम में है? उत्तर➔ 74वें, अनुच्छेद 243 (झ)
प्रश्न-निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या स्थानों के आवंटन से संबंधित प्रावधान किस अनुच्छेद में है? उत्तर➔ अनुच्छेद 243 (य)(क)
प्रश्न-जिला योजना समिति/महानगर योजना समिति का गठन किस संशोधन अधिनियम में है? उत्तर➔ 74वें
प्रश्न-नगर पंचायत का कार्यकाल कितना होता है? उत्तर➔ 5 वर्ष
प्रश्न-संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीके लगवाना किसका कार्य है? उत्तर➔ नगर पंचायत
प्रश्न-1950 में स्थापित पंचायती राज एवं सामुदायिक विकास मंत्रालय का मंत्री किसे बनाया गया? उत्तर➔ एस.के. डे
प्रश्न-पंचायती राज से संबंधित बलवंत राय मेहता समिति कब गठित की गई? उत्तर➔ 1957
प्रश्न-सामुदायिक विकास कार्यक्रम कब प्रारंभ किया गया? उत्तर➔ 1952
प्रश्न-द्विस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में कौन शामिल हैं? उत्तर➔ ग्राम पंचायत, पंचायत समिति
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