महाभियोग और इसके नियम (Impeachment and its rules)
By:-- Nurool Ain Ahmad
महाभियोग (इम्पीचमेंट) क्या है?
महाभियोग एक प्रकार की संवैधानिक प्रक्रिया है जिसके तहत देश के कुछ विशेष पदों पर आसीन अधिकारियों को अपराध का दोषारोपण होने पर इसके तहत हटाया जाता है। विशेष पदों में राष्ट्रपति पद, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों व मुख्य चुनाव आयुक्त आते हैं आते हैं, जिन को पद से हटाने के लिए संविधान में महाभियोग का प्रावधान किया गया है। महाभियोग को अंग्रेजी में Impeachment (इम्पीचमेंट) भी कहा जाता है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 61 में इसका पूरा वर्णन है।
हम इम्पीचमेंट / महाभियोग को सरल भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि जब राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर किसी अपराध से जुड़ा आरोप लगता है तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जाता है। इस महाभियोग की प्रक्रिया के तहत उन पर लगे गए आरोपों की जांच की जाती है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं और सदन में बहुमत मिल जाता है तो व्यक्ति को संबंधित पद से हटा दिया जाता है। इसकी पूरी प्रक्रिया आप विस्तार से आगे लेख में पढ़ सकते हैं
हमारे संविधान में महभियोग की प्रक्रिया को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है। हमारे देश के अतिरिक्त भी इस प्रक्रिया को अन्य राष्ट्रों के संविधान में अपनाया गया है। जैसे कि – संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, आयरलैंड गणराज्य और रूस। इन देशों में भी राष्ट्रपति और जजों को उनके पद से हटाने के लिए महाभियोग का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है।
Highlights
Of Impeachment
आर्टिकल का नाम |
महाभियोग- प्रक्रिया और इसके नियम |
महाभियोग को लिया गया |
अमेरिका के संविधान से |
इन देशों में अपनाया गया |
दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फिलीपींस, आयरलैंड गणराज्य और रूस |
भारत में महाभियोग |
अभी तक किसी को भी महाभियोग के माध्यम से हटाया नहीं गया। |
संविधान में महाभियोग का वर्णन |
अनुच्छेद – 61 में |
चीफ जस्टिस को हटाने का अधिकार |
राष्ट्रपति के पास |
वर्तमान चीफ जस्टिस |
न्यायमूर्ति श्री [उदय उमेश] यू. यू. ललित |
भारतीय संविधान में महाभियोग का वर्णन
भारतीय संविधान में दिए गए अनुच्छेद 61 में
महाभियोग के बारे में वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त Impeachment (महाभियोग) के संबंध में अनुच्छेद 124 (4), (5), 217 और
218 में भी विस्तार से बताया गया है। ध्यान देने योग्य मुख्य बात ये है कि ‘महाभियोग’ शब्द का प्रयोग केवल राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया के लिए किया जाता है। हालाँकि आम बोलचाल की भाषा में राष्ट्रपति के अलावा अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को उनके पद से हटाने के लिए भी किया जाता है। जैसे कि – सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज व मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए भी इसी शब्द महाभियोग / Impeachment का
इस्तेमाल किया जाता है। आइये अब समझते हैं इन अनुच्छेदों में दी गयी जानकारी को –
- भारतीय संविधान – अनुच्छेद 124 (4) और अनुच्छेद 217 (1) के अंतरगत क्रमशः सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाया जा सकता है।
- अनुच्छेद 324 (5) के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग की चर्चा है।
- अनुच्छेद 148 (1) के अंतर्गत कैग पर महाभियोग का ज़िक्र किया गया है।
- वहीँ अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति पर महाभियोग के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी है।
जैसे की आप ने जाना कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के
अनुसार महाभियोग की प्रक्रिया राष्ट्रपति को हटाने के लिए उपयोग की जाती है। वहीँ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज / न्यायाधीशों पर महाभियोग का विस्तृत वर्णन संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में
मिलता है। ये अनुच्छेद बताता है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के किसी न्यायाधीश पर अनाचार और अक्षमता के लिए महाभियोग का प्रस्ताव इसके तहत चलाया जा सकता है।
यहाँ जानिए महाभियोग (Impeachment) के नियम
जैसे कि अभी तक आप ने पढ़ा कि महाभियोग / इम्पीचमेंट क्या होता है ? आगे हम समझेंगे इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम। जैसे की कब लगाया जाता है महाभियोग और किन कारणों से ?
- किसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास है।
- नियमों के अनुसार, यदि कोई महाभियोग का प्रस्ताव संसद में लाना हो तो वो किसी भी संसद में पेश किया जा सकता है।
- अगर इसे लोकसभा में पेश करना हो तो कम से कम 100 सांसदों के दस्तखत और अगर ये राजसभा में पेश होना हो तो कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने आवश्यक होंगे।
- संसद के किसी भी सदन में पेश होने के बाद ये सदन के स्पीकर या अध्यक्ष के ऊपर निर्भर करता है की वो इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं या खारिज करते हैं।
- स्वीकार होने पर एक तीन सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। जो महाभियोग प्रस्ताव में लगाए गए आरोपों की जांच करेगी।
- समिति में तीन सदस्य होते हैं – सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के ने कोई जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़जस्टिस या जज और एक ऐसा प्रख्यात व्यक्ति जिसे स्पीकर या अध्यक्ष संबंधित मामले के लिए उचित या सही समझें (कोई प्रतिष्ठित न्यायवादी )।
- अनुच्छेद 61 के अनुसार, यदि महाभियोग राष्ट्रपति पर चलाये जाने के लिए प्रस्ताव पेश करना है तो ये भी दोनों ही सदनों में से किसी में भी हो सकता है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि इसे स्पीकर या अध्यक्ष को सौंपने से पहले सदन की कुल संख्या के कम से कम एक चौथाई सदस्यों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने होंगे। जबकि अन्य किसी के केस में राज्य सभा से 50 और लोकसभा से 100 सदस्यों के हस्ताक्षर ही चाहिए होते हैं।
- साथ ही राष्ट्रपति को 14 दिनों का नोटिस भी देना आवश्यक है।
- राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव दोनों ही सदनों में कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई सदस्यों की संख्या द्वारा पारित किया जाना जरुरी है।
कब लगता है महाभियोग और किन कारणों पर ?
आप की जानकारी के लिए बता दें की भारत के संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपत्ति पर महाभियोग सिर्फ ‘भारतीय संविधान के उल्लंघन करने’ की स्थिति के आधार पर ही लगाया जाता है। जो भी व्यक्ति ऐसा करने का दोषी पाया जाता है उस पर संवैधानिक प्रक्रिया के आधार पर जांच बैठायी जाती है और दोष सिद्ध होने पर महाभियोग के तहत पद से मुक्त कर दिया जाता है।
वहीँ बात करें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की तो उन्हें भी उनके निर्धारित कार्यकाल से पूर्व नहीं हटाया जा सकता जब तक की उन पर दुर्व्यवहार या अक्षमता जैसे आरोप न लगें। इन्ही आरोपों के आधार पर उन पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। और जांच के पश्चात आरोप सिद्ध होने पर उन्हें पद से हटा दिया जाता है।
महाभियोग की प्रक्रिया: कैसे लगता है महाभियोग ?
यहाँ जानिए राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया (Procedure for Impeachment of the President)
- राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 में जानकारी दी गयी है। जिसमें महाभियोग की पूरी प्रक्रिया बतायी गयी है।
- संविधान के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति के खिलाफ संसद के किसी भी सदन में महाभियोग की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है।
- इसके लिए सदन के सदस्यों की कुल संख्या के एक चौथाई सदस्यों द्वारा लिखित रूप में राष्ट्रपति के खिलाफ निर्धारित किये गए आरोप के पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं।
- साथ ही एक नोटिस 14 दिन पूर्व राष्ट्रपति को भी भेजी जाती है।
- इसके 14 दिन बाद संबंधित सदन द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है। और सदन द्वारा कम से कम दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा राष्ट्रपति को हटाने के प्रस्ताव को पारित करना होता है। और फिर दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
- जहाँ राष्ट्रपति पर लगे सभी आरोपों की जांच की जाती है। साथ ही राष्ट्रपति द्वारा भी वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखने का विकल्प उपलब्ध होता है।
- इसके बाद भी यदि दुसरे सदन में भी राष्ट्रपति को आरोपों का दोषी पाया जाता है और साथ ही इसके लिए सदन का दो तिहाई सदस्यों का बहुमत भी मिल जाता है तो ऐसे में राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
- वहीँ यदि दोनों सदनों में से किसी भी सदन के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन नहीं मिलता है तो ऐसे में राष्ट्रपति चलाई जा रही महाभियोग की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाता है। और राष्ट्रपति को पद से नहीं हटाया जा सकता है।
राष्ट्रपति को हटाने के बाद उनके पद को उप राष्ट्रपति द्वारा संभाला जाता है जब तक की अगले राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाए।
मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया (Process Of Impeachment)
- हमारे भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4) के आधार पर, हमारे देश के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश को हटाने का अधिकार सिर्फ भारत के राष्ट्रपति के पास ही होता है
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया को भी महाभियोग कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत को उन्हें इस पद से हटाया जाने का प्रावधान है।
- भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जज को सिर्फ दो आधारों पर ही पद से हटाया जा सकता है। पहला है – दुर्व्यवहार और दूसरा आधार है – अक्षमता। यदि इन दोनों में से कोई आरोप न्यायालय के न्यायधीशों पर लगते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति द्वारा संबंधित जज के खिलाफ ‘मोशन आफ इम्पीचमेंट’ का सम्बोधन किया जाने का प्रावधान है।
- किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है।
- यदि लोकसभा में ये प्रस्ताव पेश किया जाता है तो यहाँ इस सदन में कम से कम 100 सदस्यों का इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना आवश्यक होता है। जिसेक बाद ही ये प्रस्ताव लोकसभा के स्पीकर को सौंपा जा सकता है।
- इसके अतिरक्त यदि यह प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जा रहा है तो राजयसभा के कम से कम 50 सदस्यों को जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है। और इसके बाद संबंधित प्रस्ताव को राज्यसभा के अध्यक्ष को सौंपा जाएगा।
- अब ये स्पीकर या राज्यसभा के अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वो इसे स्वीकार करते हैं या फिर अस्वीकार। इससे पहले वो इस संबंध में पूरा अध्ध्य्यन करते हैं और अपनी नामंजूरी देते हैं।
- प्रस्ताव के सदन में मंजूर होने के बाद जज के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने के लिए समिति का गतहन किया जाता है। जिसमें कुल तीन सदस्य होते हैं।
- ये तीन सदस्य – सुप्रीम कोर्ट के जज और एक हाई कोर्ट के जज और इन दोनों के साथ ही एक प्रतिष्ठित न्यायवादी (distinguished jurist) को भी इस मामले की जांच करने हेतु शामिल किया जाता है।
- संबंधित समिति सभी आरोपण की जाँच के बाद एक रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ यदि जज को दोषी पाया जाता है तो ऐसे में रिपोर्ट को दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है।
- इसके बाद दोनों ही सदनों में संबंधित प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जाती है। जिसके आधार पर ही आगे का फैसला होता है।
- यदि इन दोनों सदनों के दो तिहाई (2/3) सदस्यों का बहुमत प्रस्ताव को मिलता है तो इसके बाद संबंधित प्रस्ताव को फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
- राष्ट्रपति का फैसल ही अंतिम और मान्य होता है। जिसे कोई आगे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकता।
- इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश पर जज को हटाया जा सकता है।
नोट : कृपया ध्यान दें कि सर्वोच्च न्यायलय और उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के न्यायाधीशों को उनके पद से महाभियोग द्वारा हटाने प्रक्रिया एक ही होती है। जिनका वर्णन भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4), (5), 217 और 218 में विस्तृत रूप से किया गया है।
भारत में महाभियोग (Impeachment) के मामले
अभी तक हमारे देश में महाभियोग के तहत किसी भी राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज को नहीं हटाया गया है। ऐसा इसलिए क्यूंकि अभी तक के सभी मामलों में होने वाली कार्यवाही कभी भी पूरी नहीं हो सकी। इन मामलों में या तो महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही संबंधित जजों ने इस्तीफ़ा दे दिया या फिर महभियोग के प्रस्ताव को ही बहुमत नहीं मिला।
महाभियोग / Impeachment से संबंधित प्रश्न उत्तर
महाभियोग एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसे कुछ विशेष सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों पर संविधान के उललंघन करने के आरोप होने पर लगाया जाता है।
हमारे देश भारत में अभी तक महाभियोग के तहत किसी भी सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति को नहीं हटाया गया है।
Impeachment यानी महाभियोग देश के राष्ट्रपति,सुप्रीम कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के जज, मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे पदों पर आसीन व्यक्तियों को संविधान का उल्लंघन करने पर चलाया जाता है।
संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के महाभियोग में शामिल होते हैं।
देश के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘भारतीय संविधान के उल्लंघन करने’ की स्थिति में ही लगाया जाता है।
जज (इन्क्वॉयरी) एक्ट 1968 के अनुसार मुख्य न्यायाधीश या अन्य किसी जज को केवल अनाचार या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। इसमें आपराधिक गतिविधियाँ या अन्य न्यायिक अनैतिकताएँ शामिल हैं।
आज इस लेख में आप ने महाभियोग (Impeachment) के बारे में पढ़ा। उम्मीद है ये जानकारी आप को उपयोगी लगी होगी।
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