Thursday, September 29, 2022

भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code)


             भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code)

                             By:-- Nurool Ain Ahmad

         हिंदी भाषा में पत्रकारिता का इतिहास बहुत बड़ा रहा है जिसका हिंदी भाषा और साहित्य में बहुत महत्व है। इस कारण यह परीक्षा के दृष्टिकोण से भी अति महत्वपूर्ण है, बहुत से बड़े स्तर के प्रतियोगी परीक्षाओं में पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े हुए प्रश्न पूछे जाते हैं।


             भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) किसे कहते है?

          भारतीय दंड संहिता (IPC) भारत का आधिकारिक आपराधिक कोड है। यह एक व्यापक कोड है भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लॉर्ड थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में चार्टर एक्ट 1833 के तहत भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी। और यह 1862 की शुरुआत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश भारत में लागू हुआ। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) भारत की मुख्य आपराधिक कोड है। इस संहिता में भारतीय संविधान की विभिन्न आपराधिक धाराओं और उनकी सजा का उल्लेख किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर (जम्मू एवं कश्मीर को छोडकर) भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता लागू होती है। इसमें कुल मिला कर 511 धाराएं हैं। हालाँकि, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के राज्यसभा और लोकसभा में क्रमशः पारित होने के बाद, रणबीर दंड संहिता 31 अक्टूबर 2019 को निरस्त कर दिया जाएगा आइये जाने भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की कौन सी धारा किस अपराध के लिए लगाई जाती है और उसमें क्या सजा दी जाती है. धारा कितनी होती है यहाँ हम आपको कानूनी धारा लिस्ट दे रहें हैं। :-

   भारतीय दण्ड संहिता की महत्वपूर्ण धाराएं और सजा की सूची:--

धाराओं के नामअपराधसजा
13जुआ खेलना/सट्टा लगाना1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना
34सामान आशय-
99  से 106व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार-
110दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता हैतीन वर्ष
120षडयंत्र रचना -
141विधिविरुद्ध जमाव -
147बलवा करना2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
156 (3)स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना।आर्थिक दंड
156स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना।आर्थिक दंड
161रिश्वत लेना/देना3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
171चुनाव में घूस लेना/देना1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना
177सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना
186सरकारी काम में बाधा पहुँचाना3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना
191झूठे सबूत देना7 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
193न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही3/ 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
201सबूत मिटाना-
217लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना2 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
216लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंड-
224/25विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना-2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
231/32जाली सिक्के बनाना-7 वर्ष की सजा और जुर्माना
255सरकारी स्टाम्प का कूटकरण10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा
264गलत तौल के बांटों का प्रयोग1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
267औषधि में मिलावट करना-
272खाने/पीने की चीजों में मिलावट6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना
274 /75मिलावट की हुई औषधियां बेचना-
279सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना
292अश्लील पुस्तकों का बेचना2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना
294किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान2 वर्ष की सजा
297कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना1 साल की सजा और जुर्माना दोनो
298किसी दूसरे इंसान की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना1 साल की सजा या जुर्माना या दोनों
302हत्या/कत्लआजीवन कारावास/मौत की सजा
306आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण10 वर्ष की सजा और जुर्माना
308गैर-इरादतन हत्या की कोशिश7 वर्ष की सजा और जुर्माना
309आत्महत्या करने की चेष्टा करना1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
310ठगी करनाआजीवन कारावास और जुर्माना
312गर्भपात करना-
323जानबूझ कर चोट पहुँचाना-
326चोट पहुँचाना-
351हमला करना
354किसी स्त्री का शील भंग करना2 वर्ष का कारावास/जुर्माना/दोनों
362अपहरण-
363किसी स्त्री को ले भागना7 वर्ष का कारावास और जुर्माना
366नाबालिग लड़की को ले भागना-
376बलात्कार करना10 वर्ष/आजीवन कारावास
377अप्राकृतिक कृत्य अपराध5 वर्ष की सजा और जुर्माना
379चोरी (सम्पत्ति) करना3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों
392लूट10 वर्ष की सजा
395डकैती10 वर्ष या आजीवन कारावास
396डकैती के दौरान हत्या-
406विश्वास का आपराधिक हनन3 वर्ष कारावास/जुर्माना/दोनों
415छल करना-
417छल/दगा करना1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
420छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना7 वर्ष की सजा और जुर्माना
445गृहभेदंन-
446रात में नकबजनी करना-
426किसी से शरारत करना3 माह की सजा/जुर्माना/दोनों
463कूट-रचना/जालसाजी-
477(क)झूठा हिसाब करना-
489जाली नोट बनाना/चलाना10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास
493धोखे से शादी करना10 वर्षों की सजा और जुर्माना
494पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना7 वर्ष की सजा और जुर्माना
495पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना10 साल की सजा और जुर्माना
496बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना07 साल की सजा और जुर्माना
497जारकर्म करना5 वर्ष की सजा और जुर्माना
498विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना2 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों
499मानहानि-
500मान हानि2 वर्ष की सजा और जुर्माना
506आपराधिक धमकी देना-
509स्त्री को  अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करनासादा कारावास या जुर्माना
511आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड-

        देश के कानून के अंतर्गत आने वाले 5 महत्वपूर्ण तथ्य:-- ये वो महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जो हमारे देश के कानून में आते तो हैं पर हम इनसे अंजान हैं। हमारी कोशिश होगी कि हम आगे भी ऐसी बहुत सी रोचक बातें  आपके सामने रखे, जो आपके ज़िन्दगी के लिए फ़ायदेमंद  हो।

 1. शाम के वक्त महिलाओं की गिरफ्तारी नहीं हो सकती:-- कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर, सेक्शन 46 के तहत शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 के पहले भारतीय पुलिस किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती, फिर चाहे गुनाह कितना भी संगीन क्यों ना हो। अगर पुलिस ऐसा करते हुए पाई जाती है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत (मामला) दर्ज की जा सकती है। इससे उस पुलिस अधिकारी की नौकरी खतरे में आ सकती है।

 2. सिलेंडर फटने से जान-माल के नुकसान पर 40 लाख रूपये तक का बीमा कवर क्लेम कर सकते है:-- पब्लिक लायबिलिटी पॉलिसी के तहत अगर किसी कारण आपके घर में सिलेंडर फट जाता है और आपको जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है तो आप तुरंत गैस कंपनी से बीमा कवर क्लेम कर सकते है। आपको बता दे कि गैस कंपनी से 40 लाख रूपये तक का बीमा क्लेम कराया जा सकता है। अगर कंपनी आपका क्लेम देने से मना करती है या टालती है तो इसकी शिकायत की जा सकती है। दोषी पाये जाने पर गैस कंपनी का लायसेंस रद्द हो सकता है।

 3. आप किसी भी हॉटेल में फ्री में पानी पी सकते है और वाश रूम इस्तमाल कर सकते है:-- इंडियन सीरीज एक्ट, 1887 के अनुसार आप देश के किसी भी होटल में जाकर पानी मांगकर पी सकते है और उस होटल का वाश रूम भी इस्तमाल कर सकते है। होटल छोटा हो या 5 स्टार, वो आपको रोक नही सकते। अगर होटल का मालिक या कोई कर्मचारी आपको पानी पिलाने से या वाश रूम इस्तमाल करने से रोकता है तो आप उन पर कारवाई कर सकते है। आपकी शिकायत से उस होटल का लायसेंस रद्द हो सकता है।

 4. गर्भवती महिलाओं को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता:-- मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट 1961 के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं को अचानक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता। मालिक को पहले तीन महीने की नोटिस देनी होगी और प्रेगनेंसी के दौरान लगने वाले खर्चे का कुछ हिस्सा देना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ सरकारी रोज़गार संघटना में शिकायत कराई जा सकती है। इस शिकायत से कंपनी बंद हो सकती है या कंपनी को जुर्माना भरना पड़ सकता है।

 5. पुलिस अफसर आपकी शिकायत लिखने से मना नहीं कर सकता:-- आईपीसी के सेक्शन 166ए के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी आपकी कोई भी शिकायत दर्ज करने से इंकार नही कर सकता। अगर वो ऐसा करता है तो उसके खिलाफ वरिष्ठ पुलिस दफ्तर में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। अगर वो पुलिस अफसर दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 6 महीने से लेकर 1 साल तक की जेल हो सकती है या फिर उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ सकती है। 


         Hiii Frndzzzz!!!!!

      आपसे गुज़ारिश है की हमारे डाटा पसंद आने पर लाइक, कमेंट और शेयर करें ताकि यह डाटा दूसरों तक भी पहुंच सके और हम आगे और भी ज़्यादा जानकारी वाले डाटा आप तक पहुँचा सकें, जैसा आप हमसे चाहते हैं.....

                         Hell Lot of Thanxxx


Wednesday, September 21, 2022

महाभियोग और इसके नियम (Impeachment and its rules)


  

                महाभियोग और इसके नियम (Impeachment and its rules)

                                      By:-- Nurool Ain Ahmad



   महाभियोग:-- हमारे देश में शासन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए देश के दूरदर्शी बुद्धिजीवियों ने आजादी के बाद ही संविधान का निर्माण कर दिया था। हमारे देश में संविधान को सर्वोपरि माना गया है। इसमें शासन व्यवस्था बनाये रखने के लिए विभिन्न पदों का निर्माण कर जिम्मेदारियां विभाजित की गयी हैं। इन पदों पर योग्य व्यक्तियों के चयन से लेकर अवसर पड़ने पर उन्हें हटाने तक की व्यवस्था की गयी है। इसी तरह कुछ पद ऐसे हैं जहां किसी साधारण प्रक्रिया के माध्यम से पदासीन व्यक्ति को पदच्युत (पद से हटाना) नहीं कर सकते। इसके लिए संविधान में विशेष व्यवस्था की गयी है जिसे महाभियोग / Impeachment नाम दिया गया है।

आज इस लेख में हम आप को महाभियोग के बारे में जानकारी देंगे। साथ ही इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी आप जान सकेंगे जैसे कि – महाभियोग क्या है? महाभियोग की प्रक्रिया क्या है और इसे कैसे लगाया जाता है ? इम्पीचमेंट से जुड़े कौन कौन से नियम हैं ? (What is impeachment, its Process in Hindi) इन सभी जानकारियों को जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ें –

महाभियोग (इम्पीचमेंट) क्या है?

महाभियोग एक प्रकार की संवैधानिक प्रक्रिया है जिसके तहत देश के कुछ विशेष पदों पर आसीन अधिकारियों को अपराध का दोषारोपण होने पर इसके तहत हटाया जाता है। विशेष पदों में राष्ट्रपति पद, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों व मुख्य चुनाव आयुक्त आते हैं आते हैं, जिन को पद से हटाने के लिए संविधान में महाभियोग का प्रावधान किया गया है। महाभियोग को अंग्रेजी में Impeachment (इम्पीचमेंट) भी कहा जाता है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 61 में इसका पूरा वर्णन है।

हम इम्पीचमेंट / महाभियोग को सरल भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि जब राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर किसी अपराध से जुड़ा आरोप लगता है तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जाता है। इस महाभियोग की प्रक्रिया के तहत उन पर लगे गए आरोपों की जांच की जाती है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं और सदन में बहुमत मिल जाता है तो व्यक्ति को संबंधित पद से हटा दिया जाता है। इसकी पूरी प्रक्रिया आप विस्तार से आगे लेख में पढ़ सकते हैं

हमारे संविधान में महभियोग की प्रक्रिया को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है। हमारे देश के अतिरिक्त भी इस प्रक्रिया को अन्य राष्ट्रों के संविधान में अपनाया गया है। जैसे किसंयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, आयरलैंड गणराज्य और रूस। इन देशों में भी राष्ट्रपति और जजों को उनके पद से हटाने के लिए महाभियोग का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है।

Highlights Of Impeachment

आर्टिकल का नाम

महाभियोग- प्रक्रिया और इसके नियम

महाभियोग को लिया गया

अमेरिका के संविधान से

इन देशों में अपनाया गया

दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फिलीपींस, आयरलैंड गणराज्य और रूस

भारत में महाभियोग

अभी तक किसी को भी महाभियोग के माध्यम से हटाया नहीं गया।

संविधान में महाभियोग का वर्णन

अनुच्छेद – 61 में

चीफ जस्टिस को हटाने का अधिकार

राष्ट्रपति के पास

वर्तमान चीफ जस्टिस

न्यायमूर्ति श्री [उदय उमेश] यूयूललित

भारतीय संविधान में महाभियोग का वर्णन

भारतीय संविधान में दिए गए अनुच्छेद 61 में महाभियोग के बारे में वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त Impeachment (महाभियोग) के संबंध में अनुच्छेद 124 (4), (5), 217 और 218 में भी विस्तार से बताया गया है। ध्यान देने योग्य मुख्य बात ये है किमहाभियोगशब्द का प्रयोग केवल राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया के लिए किया जाता है। हालाँकि आम बोलचाल की भाषा में राष्ट्रपति के अलावा अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को उनके पद से हटाने के लिए भी किया जाता है। जैसे किसुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए भी इसी शब्द महाभियोग / Impeachment का इस्तेमाल किया जाता है। आइये अब समझते हैं इन अनुच्छेदों में दी गयी जानकारी को

  1. भारतीय संविधानअनुच्छेद 124 (4) और अनुच्छेद 217 (1) के अंतरगत क्रमशः सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाया जा सकता है।
  2. अनुच्छेद 324 (5) के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग की चर्चा है।
  3. अनुच्छेद 148 (1) के अंतर्गत कैग पर महाभियोग का ज़िक्र किया गया है।
  4. वहीँ अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति पर महाभियोग के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी है।

जैसे की आप ने जाना कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार महाभियोग की प्रक्रिया राष्ट्रपति को हटाने के लिए उपयोग की जाती है। वहीँ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज / न्यायाधीशों पर महाभियोग का विस्तृत वर्णन संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में मिलता है। ये अनुच्छेद बताता है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के किसी न्यायाधीश पर अनाचार और अक्षमता के लिए महाभियोग का प्रस्ताव इसके तहत चलाया जा सकता है।

यहाँ जानिए महाभियोग (Impeachment) के नियम

जैसे कि अभी तक आप ने पढ़ा कि महाभियोग / इम्पीचमेंट क्या होता है ? आगे हम समझेंगे इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम। जैसे की कब लगाया जाता है महाभियोग और किन कारणों से ?

  • किसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास है।
  • नियमों के अनुसार, यदि कोई महाभियोग का प्रस्ताव संसद में लाना हो तो वो किसी भी संसद में पेश किया जा सकता है।
  • अगर इसे लोकसभा में पेश करना हो तो कम से कम 100 सांसदों के दस्तखत और अगर ये राजसभा में पेश होना हो तो कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर होने आवश्यक होंगे।
  • संसद के किसी भी सदन में पेश होने के बाद ये सदन के स्पीकर या अध्यक्ष के ऊपर निर्भर करता है की वो इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं या खारिज करते हैं।
  • स्वीकार होने पर एक तीन सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। जो महाभियोग प्रस्ताव में लगाए गए आरोपों की जांच करेगी।
  • समिति में तीन सदस्य होते हैं – सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस या सुप्रीम कोर्ट के ने कोई जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़जस्टिस या जज और एक ऐसा प्रख्यात व्यक्ति जिसे स्पीकर या अध्यक्ष संबंधित मामले के लिए उचित या सही समझें (कोई प्रतिष्ठित न्यायवादी )।
  • अनुच्छेद 61 के अनुसार, यदि महाभियोग राष्ट्रपति पर चलाये जाने के लिए प्रस्ताव पेश करना है तो ये भी दोनों ही सदनों में से किसी में भी हो सकता है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि इसे स्पीकर या अध्यक्ष को सौंपने से पहले सदन की कुल संख्या के कम से कम एक चौथाई सदस्यों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने होंगे। जबकि अन्य किसी के केस में राज्य सभा से 50 और लोकसभा से 100 सदस्यों के हस्ताक्षर ही चाहिए होते हैं।
  • साथ ही राष्ट्रपति को 14 दिनों का नोटिस भी देना आवश्यक है।
  • राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव दोनों ही सदनों में कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई सदस्यों की संख्या द्वारा पारित किया जाना जरुरी है।

कब लगता है महाभियोग और किन कारणों पर ?

आप की जानकारी के लिए बता दें की भारत के संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपत्ति पर महाभियोग सिर्फ ‘भारतीय संविधान के उल्लंघन करने’ की स्थिति के आधार पर ही लगाया जाता है। जो भी व्यक्ति ऐसा करने का दोषी पाया जाता है उस पर संवैधानिक प्रक्रिया के आधार पर जांच बैठायी जाती है और दोष सिद्ध होने पर महाभियोग के तहत पद से मुक्त कर दिया जाता है।

वहीँ बात करें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की तो उन्हें भी उनके निर्धारित कार्यकाल से पूर्व नहीं हटाया जा सकता जब तक की उन पर दुर्व्यवहार या अक्षमता जैसे आरोप न लगें। इन्ही आरोपों के आधार पर उन पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। और जांच के पश्चात आरोप सिद्ध होने पर उन्हें पद से हटा दिया जाता है।

महाभियोग की प्रक्रिया: कैसे लगता है महाभियोग ?

आगे आप पढ़ सकते हैं की कैसे महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। साथ ही आप जानेंगे की राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायलय और उच्चतम न्यायलय के न्यायाधीशों को कैसे महाभियोग के तहत हटाया जा सकता है ? आप को जानकारी दे दें कि राष्ट्रपत्ति और न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया लगभग एक सी ही लगती है, परन्तु कुछ महत्वपूर्ण अंतर होने के चलते हम आप को यहाँ दोनों प्रक्रिया को विस्तृत रूप से बताएंगे। जानने के लिए आगे पढ़ें –

यहाँ जानिए राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया (Procedure for Impeachment of the President)

  • राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 में जानकारी दी गयी है। जिसमें महाभियोग की पूरी प्रक्रिया बतायी गयी है।
  • संविधान के उल्लंघन के मामले में राष्ट्रपति के खिलाफ संसद के किसी भी सदन में महाभियोग की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है।
  • इसके लिए सदन के सदस्यों की कुल संख्या के एक चौथाई सदस्यों द्वारा लिखित रूप में राष्ट्रपति के खिलाफ निर्धारित किये गए आरोप के पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं।
  • साथ ही एक नोटिस 14 दिन पूर्व राष्ट्रपति को भी भेजी जाती है।
  • इसके 14 दिन बाद संबंधित सदन द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है। और सदन द्वारा कम से कम दो तिहाई सदस्यों के बहुमत द्वारा राष्ट्रपति को हटाने के प्रस्ताव को पारित करना होता है। और फिर दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
  • जहाँ राष्ट्रपति पर लगे सभी आरोपों की जांच की जाती है। साथ ही राष्ट्रपति द्वारा भी वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखने का विकल्प उपलब्ध होता है।
  • इसके बाद भी यदि दुसरे सदन में भी राष्ट्रपति को आरोपों का दोषी पाया जाता है और साथ ही इसके लिए सदन का दो तिहाई सदस्यों का बहुमत भी मिल जाता है तो ऐसे में राष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।
  • वहीँ यदि दोनों सदनों में से किसी भी सदन के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन नहीं मिलता है तो ऐसे में राष्ट्रपति चलाई जा रही महाभियोग की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाता है। और राष्ट्रपति को पद से नहीं हटाया जा सकता है।

राष्ट्रपति को हटाने के बाद उनके पद को उप राष्ट्रपति द्वारा संभाला जाता है जब तक की अगले राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाए।

मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया (Process Of Impeachment)

  • हमारे भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4) के आधार पर, हमारे देश के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश को हटाने का अधिकार सिर्फ भारत के राष्ट्रपति के पास ही होता है
  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया को भी महाभियोग कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत को उन्हें इस पद से हटाया जाने का प्रावधान है।
  • भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के जज को सिर्फ दो आधारों पर ही पद से हटाया जा सकता है। पहला है – दुर्व्यवहार और दूसरा आधार है – अक्षमता। यदि इन दोनों में से कोई आरोप न्यायालय के न्यायधीशों पर लगते हैं तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति द्वारा संबंधित जज के खिलाफ ‘मोशन आफ इम्पीचमेंट’ का सम्बोधन किया जाने का प्रावधान है।
  • किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है।
  • यदि लोकसभा में ये प्रस्ताव पेश किया जाता है तो यहाँ इस सदन में कम से कम 100 सदस्यों का इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना आवश्यक होता है। जिसेक बाद ही ये प्रस्ताव लोकसभा के स्पीकर को सौंपा जा सकता है।
  • इसके अतिरक्त यदि यह प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जा रहा है तो राजयसभा के कम से कम 50 सदस्यों को जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है। और इसके बाद संबंधित प्रस्ताव को राज्यसभा के अध्यक्ष को सौंपा जाएगा।
  • अब ये स्पीकर या राज्यसभा के अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वो इसे स्वीकार करते हैं या फिर अस्वीकार। इससे पहले वो इस संबंध में पूरा अध्ध्य्यन करते हैं और अपनी नामंजूरी देते हैं।
  • प्रस्ताव के सदन में मंजूर होने के बाद जज के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने के लिए समिति का गतहन किया जाता है। जिसमें कुल तीन सदस्य होते हैं।
  • ये तीन सदस्य – सुप्रीम कोर्ट के जज और एक हाई कोर्ट के जज और इन दोनों के साथ ही एक प्रतिष्ठित न्यायवादी (distinguished jurist) को भी इस मामले की जांच करने हेतु शामिल किया जाता है।
  • संबंधित समिति सभी आरोपण की जाँच के बाद एक रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ यदि जज को दोषी पाया जाता है तो ऐसे में रिपोर्ट को दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है।
  • इसके बाद दोनों ही सदनों में संबंधित प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जाती है। जिसके आधार पर ही आगे का फैसला होता है।
  • यदि इन दोनों सदनों के दो तिहाई (2/3) सदस्यों का बहुमत प्रस्ताव को मिलता है तो इसके बाद संबंधित प्रस्ताव को फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
  • राष्ट्रपति का फैसल ही अंतिम और मान्य होता है। जिसे कोई आगे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकता।
  • इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश पर जज को हटाया जा सकता है।

नोट : कृपया ध्यान दें कि सर्वोच्च न्यायलय और उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के न्यायाधीशों को उनके पद से महाभियोग द्वारा हटाने प्रक्रिया एक ही होती है। जिनका वर्णन भारतीय संविधान के आर्टिकल 124 (4), (5), 217 और 218 में विस्तृत रूप से किया गया है।

भारत में महाभियोग (Impeachment) के मामले

अभी तक हमारे देश में महाभियोग के तहत किसी भी राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज को नहीं हटाया गया है। ऐसा इसलिए क्यूंकि अभी तक के सभी मामलों में होने वाली कार्यवाही कभी भी पूरी नहीं हो सकी। इन मामलों में या तो महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही संबंधित जजों ने इस्तीफ़ा दे दिया या फिर महभियोग के प्रस्ताव को ही बहुमत नहीं मिला।

महाभियोग / Impeachment से संबंधित प्रश्न उत्तर

इम्पीचमेंट / महाभियोग क्या होता है ?

महाभियोग एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसे कुछ विशेष सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों पर संविधान के उललंघन करने के आरोप होने पर लगाया जाता है।

महाभियोग के तहत भारत में महाभियोग कितनी बार लगा है?

हमारे देश भारत में अभी तक महाभियोग के तहत किसी भी सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति को नहीं हटाया गया है।

महाभियोग किन किन पदों पर लगाया जाता है ?

Impeachment यानी महाभियोग देश के राष्ट्रपति,सुप्रीम कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के जज, मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे पदों पर आसीन व्यक्तियों को संविधान का उल्लंघन करने पर चलाया जाता है।

राष्ट्रपति के महाभियोग में कौन कौन शामिल होता है?

संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के महाभियोग में शामिल होते हैं।

देश के राष्ट्रपति पर महाभियोग कैसे लगाया जा सकता है?

देश के राष्ट्रपति पर महाभियोग ‘भारतीय संविधान के उल्लंघन करने’ की स्थिति में ही लगाया जाता है।

मुख्य न्यायाधीश पर महाभियोग कब लगाया जा सकता है ?

जज (इन्क्वॉयरी) एक्ट 1968 के अनुसार मुख्य न्यायाधीश या अन्य किसी जज को केवल अनाचार या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। इसमें आपराधिक गतिविधियाँ या अन्य न्यायिक अनैतिकताएँ शामिल हैं।

आज इस लेख में आप ने महाभियोग (Impeachment) के बारे में पढ़ा। उम्मीद है ये जानकारी आप को उपयोगी लगी होगी।

          Hiii Frndzzzz!!!!!

      आपसे गुज़ारिश है की हमारे डाटा पसंद आने पर लाइककमेंट और शेयर करें ताकि यह डाटा दूसरों तक भी पहुंच सके और हम आगे और भी ज़्यादा जानकारी वाले डाटा आप तक पहुँचा सकेंजैसा आप हमसे चाहते हैं.....

                        Hell Lot of Thanxxx

भौगोलिक शब्दावली -2 (Geographical terminology -2)

                                                         भौगोलिक शब्दावली -2                             (Geographical terminology -2)      ...