Tuesday, August 30, 2022

रसायन विज्ञान One Liner

 

                                                    रसायन विज्ञान One Liner 


                       रसायन विज्ञान के One Liner 

                          By:-- Nurool Ain Ahmad

  • आधुनिक रसायन विज्ञान का पिता सेवोसियर को कहा जाता है l
  • विश्लेषिका रसायन में विभिन्न द्रव्यों का गुणात्मक तथा मात्रात्मक विश्लेषण किया जाता है l
  • सबसे हल्का तत्व हाइड्रोजन है l
  • शुद्ध वायु समांग मिश्रण का उदाहरण होती है l
  • मिश्र धातुएँ समांगी मिश्रण होती हैं l
  • वायु , गैस एवं जलवाष्प का मिश्रण है l
  • एल्कोहल एवं जल का मिश्रण समांगी मिश्रण है l
  • पेट्रोल एवं जल का मिश्रण विषमांगी मिश्रण है l
  • तांबा प्रदूषण रहित तत्व हैं l
  • कार्बन मुख्यतः एक मिश्रण है लोहा एवं कार्बन का l
  • आसुत जल आसवन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है l
  • निलंबन विषमांगी की तरह का मिश्रण है l
  • कोलॉइड विषमांगी की तरह का मिश्रण है l
  • द्रव की प्लाज्मा अवस्था विद्युत् की सुचालक होती है l
  • आर्सेनिक एवं एंटिमनी उपधातु श्रेणी के तत्व हैं l
  • ब्रोमीन कमरे के तप पर द्रव अवस्था में पाया जाता हैl
  • आस्तु जल आसवन विधि से प्राप्त किया जाता है पीतल , तांबा एवं जस्ते का मिश्रण है l
  • कोल्ड ड्रिंक में कार्बन डाईऑक्साइड गैस का जल में विलयन होता है l
  • तांबा , शुद्ध पदार्थ है l
  • आर्सेनिक में धातु एवं अधातु दोनों तरह के तत्व पाए जाते हैं l
  • नील्स बोर के मॉडल को आधुनिक भौतिकी की आधारशिला कहा जाता है l
  • परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान नाभिक में निहित होता है l
  • नील्स बोर ने अपना परमाणु मॉडल 1913  ई० में प्रस्तुत किया l
  • इलेक्ट्रॉन को नाभिक का चक्कर लगाने के लिये आवश्यक अभिकेंद्र बल इलेक्ट्रॉन एवं नाभिक के बीच कार्यकारी स्थिर वैद्युत आकर्षण बल से प्राप्त होता है l
  • रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल परमाणु के स्थायित्व एवं रेखीय स्पेक्ट्रम की संतोषजनक व्याख्या नहीं प्रस्तुत क्र सका l
  • बोर एवं बरी ने साथ मिलकर तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की योजना प्रस्तुत की थी l
  • हाइड्रोजन के सूक्ष्म स्पेक्ट्रम की व्याख्या सोमरफील्ड ने की l
  • हाइजेनबर्ग की अनिश्चितता का सिद्धांत बड़े कानों पर लागु नहीं होता है क्योंकि बड़े कणों का द्रव्यमान अधिक होता है l
  • परमाणु संरचना का आधुनिक विचार इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति पर आधारित है l
  • हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत बड़े कणों पर लागु नहीं होता है क्योंकि बड़े कणों का द्रव्यमान अधिक होता है l
  • परमाणु संरचना का आधुनिक विचार इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति पर आधारित है l
  • हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत ‘संवेग तथा स्थिति में अनिश्चितता विद्यमान होती है l “
  • परमाणु की संरचना का आधुनिक विचार श्रांडिगर  ने दिया l
  • कक्षक के आकृति सबसे जटिल होती है l
  • किसी कोष की कर्म संख्या (Order ) उस कोश में उपकोशों की संख्या व्यक्त करती है l
  • P उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या  6 हो सकती है l
  • किसी परमाणु या आयन के चुंबकीय गुणों की व्याख्या चक्रण क्वांटम संख्या करता है l   
  • एक परमाणु में दो इलेक्ट्रॉनोंकी चारों संख्याएँ समान नहीं हो सकतीं I यह नियम ‘पाउली का अपवर्जन नियम है I’
  • एक मोल इलेक्ट्रॉन का भर 0.55 मिग्रा. होता है I
  • परमाणु की बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉन संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं I  
  • इलेक्ट्रॉन की खोज जे.जे. थॉमसन ने की I  
  • इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु का 1/1837वें भाग के बराबर होता है I  
  • परमाणु के नाभिक की खोज रदरफोर्ड ने 1911 ई. में की थी I
  • किसी तत्व के परमाण्विक भार को एटॉमिक मॉस यूनिट (a.m.u.)में व्यक्त किया जाता है  I
  • न्यूट्रॉन एक वैद्युत उदासीन कण है I
  • हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा तत्व है ,जिसके सभी समस्थानिकों के नाम अलग -अलग होते हैं I
  • पोलोनियम (Po) सर्वाधिक समस्थानिकों वाला तत्व है I
  • जीवाश्मों, मृत पेड पौधे की आयु निर्धारण (कार्बन डेटिंग ) के लिए कार्बन के रेडियोसक्रिय` समस्थानिक का उपयोग किया जाता है I
  • सबसे मजबूत बंध एकल बंध (Single bond) होता है I
  • त्रिबंध से युक्त यौगिक सबसे क्रियाशील होते है I
  • विद्युत संयोजी यौगिकों के बंध युक्त यौगिकों के क्वथनांक अधिक होते है I
  • सोडियम क्लोराइड (NaCL)एवं कैल्शियम क्लोराइड में विद्युत् संयोजी बंध बनता है I
  • अधिक इलेक्ट्रॉन बंधता वाला तत्व इलेक्ट्रॉन ग्राही प्रवृति का होता है I
  • विद्युत संयोजक यौगिकों में अणु संरचना का अभाव पाया जाता है I
  • कार्बनिक यौगिकों में सह-संयोजक बंध पाया जाता है I
  • सह-संयोजक यौगिकों के अणु आपस में वांडरवाल्स बल से बंधे होते है I   
  • सह-संयोजी यौगिक अध्रुवीय तथा कार्बनिक विलायकों में आसानी से घुल जाते है
  • ग्रेफाइट तत्व का अणु सह-संयोजक बंध होने के बावजूद विद्युत का सुचालक है I
  • धात्विक ठोसों परमाणुओं के मध्य धात्विक बंध पाया जाता है I
  • पुरानी पुस्तकों के पन्ने ऑक्सीकरण के कारण पीले पड़ जाते हैं I
  • ऑक्साइड बनाने की क्रिया को ऑक्सीकरण कहते हैं  I
  • द्रव्यमान संरक्षण का नियम सर्वप्रथम लोमोनोसॉफ ने प्रतिपादित किया I
  • हवा में चांदी के बर्तनो का काला होना रासायनिक परिवर्तन है I
  • दूध से दही का बनना रासायनिक परिवर्तन है I  
  • जल का वाष्प में परिवर्तन भौतिक परिवर्तन है I
  • नोबल गैस समान गुणों वाइए रासायनिक तत्वों का एक समूह होता है I प्रमुख नोबल गैस हैं – हीलियम, नीऑन, आर्गन, क्रिप्टन, जौनॉन रेडॉनI
  • एक जलती हुई माचिस की तीली जब हाइड्रोजन गैस के सम्पर्क में आती है तो वह बुझ जाती है एवं गैस ‘चाप’ ध्वनि के बाद जल जाती है I
  • प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन भी रासायनिक परिवर्तन है I
  • पानी का चीनी में घुलना भौतिक परिवर्तन का उद्दाहरण है I
  • प्रिज्म से गुजरने पर श्वेत प्रकाश का सात रंगों में विभक्त होना भौतिक परिवर्तन है  I
  • गलन, वाष्पन, संघनन, हिमायन, आसवन, ऊर्ध्वपातन आदि भौतिक परिवर्तन हैं I
  • जल मैं विद्युत् प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन प्राप्त होना रासायनिक परिवर्तन है l  
  • ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया में ताप की उत्पति होती है l  
  • रासायनिक समीकरणों को द्रव्यमान संरक्षण के नियम द्वारा संतुलित किया जाता है l
  • कच्चे फल का पकना रासायनिक परिवर्तन है l
  • लोहे पर जंग लोहे का ऑक्सीकरण होने के कारण लगती है l
  • सिरके का मुख्य घटक एसिटिक एसिड है l
  • अम्लों एवं क्षारों की पहचान के लिये मुख्यतया लिटमस पेपर , फिनाफ्थेलिन और मेथिल ऑरेंज का प्रयोग किया जाता है l
  • लिटमस लाइकेन से प्राप्त किया जाता है l
  • अम्ल वर्षा मुख्यतया SO2 , NO2 आदि के कारण होता है l
  • चाय में टेनिक अम्ल पाया जाता है l
  • सिरके में एसिटिक अम्ल पाया जाता है l
  • घरों में सिरका स्टार्च के किण्वन से बनता है l
  • अम्लों के अम्लीय गुणों हेतु उत्तरदायी अम्लों के जलीय विलय में मुक्त हाइड्रोजन   (H+) आयन होता है l
  • अम्लों एवं क्षारों की आधुनिक संकल्पना लॉरी एवं ब्रॉन्स्टेड ने 1923 ई० में दी l
  • जल में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2 ) प्रवाहित करने पर बना सोडा वाटर अम्लीय प्रकृति का होता है l
  • दूध में लैक्टिक अम्ल पाया जाता है l
  • अचार के परिरक्षण हेतु उसमें एसिटिक एसिड मिलाया जाता है l
  • सेब में मैलिक अम्ल पाया जाता है l
  • फोटोग्राफी में ऑक्जैलिक अम्ल प्रयुक्त होता है l
  • इमली में टार्टरिक अम्ल पाया जाता है l
  • चाय में टेनिक अम्ल पाया जाता है l
  • खाद्य पदार्थों के संरक्षण में बेन्जोइक अम्ल का उपयोग किया जाता है l
  • जल की कठोरता सोडियम कार्बोनेट एवं कैल्शियम हाइड्रोक्साइड द्वारा दूर की जाती है l
  • मक्खन में ब्यूटाईरिक अम्ल पाया जाता है l
  • फार्मिक अम्ल एवं एसिटिक अम्ल दोनों ही कार्बनिक एवं दुर्बल अम्ल हैं l
  • शीतल पेयों एवं एसिटिक अम्ल दोनों ही कार्बनिक एवं दुर्बल अम्ल हैं l
  • बेकिंग पाउडर निर्माण में पर्युक्त अम्ल टार्टरिक अम्ल है l
  • चीटियों में फार्मिक अम्ल पाया जाता है l
  • लंबे समय तक कठोर शारीरिक श्रम के पश्चात मांसपेशियों में थकान पेशियों में लैक्टिक अम्ल के कारण होता है l
  • कोकाकोला का खट्टा स्वाद फास्फोरिक अम्ल के कारण होता है l
  • कपडे के स्याही एवं जंग के दाग धब्बे छुड़ाने हेतु आक्जैलिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है l
  • नींबू का खट्टापन इसमें उपस्थित सिट्रिक अम्ल के कारण होता हैं l
  • घी की प्रकृति अम्लीय होती है जिसका pH  मान लगभग 6.5 होता है l
  • वर्षा जल का pH मान 5.4  या कम होने को अम्ल वर्षा की संज्ञा देते है l
  • जठर रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पाया जाता है l
  • पौधों की अच्छी वृद्धि के लिये मृदा का pH मान 7  के आस – पास होना चाहिये l
  • मृदा का pH  मान 8 से अधिक होना क्षारीय मृदा कहलाता है l
  • pH मूल्य किसी घोल के अम्लीय या क्षारीय होने का मूल्यांकन दर्शाता है l  
  • फलों के रास के परिरक्षण के लिये सोडियम बेंजोइक का उपयोग किया जाता है l
  • सोडियम बाई कार्बोनेट का वाणिज्यिक नाम बेकिंग सोडा है l
  • मानव शरीर सामान्यतः 7  से 7.8 pH मान के बीच कार्य करता है l
  • रक्त में उपस्थित फॉस्फोरस हमारे  शरीर में अम्लीयता एवं क्षारीयता जे बीच संतुलन बनाए रखता है l
  • सातवां आवर्त अभी भी अपूर्ण है l
  • डी ब्लॉक के कुछ तत्व ऑफबाऊ के नियम का पालन नहीं करते हैं l
  • शीतलीकरण में नाइट्रोजन तत्व का ऑक्साइड होता होता है l
  • आधुनिक आवर्त सरणी का आधार परमाणु क्रमांक है l
  • पकृति में उपलब्ध अंतिम तत्व यूरेनियम  है l
  • तत्वों का एक्टिनाइट समूह रेडियो सक्रिय समूह कहलाता है l
  • यूनूनोक्तियम (Uo ) खोजा गया नया तत्व है l  
  • जिंक धातु एसिड एवं एल्कली के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन निकलती है l
  • जर्मन सिल्वर में चांदी की मात्रा नहीं होती है l
  • पारा धातु सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहता है l
  • स्टील मुख्यतः लोहा एवं कार्बन का मिश्रण है l
  • बोक्साइड एल्युमीनियम धातु का अयस्क है l
  • एंटिमनी स्टीबनाईट तत्व का अयस्क है l
  • लोहे में जंग लगने से उसके भार में वृद्धि हो जाती है l
  • प्लेटिनम कठोरतम धातुओं में से एक है l
  • तांबा एक ऐसा धातु है जो पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता l
  • श्वेत फॉस्फोरस को पानी में रखा जाता है क्योंकि ये हवा की ऑक्सीजन से क्रिया कर जल उठता है परन्तु जल से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता l
  • जीवों में नाइट्रोजन प्रोटीन के रूप में पाया जाता है l
  • सर्वधिक कठोर तत्व हिरा है l
  • पोटैशियम ब्रोमाइट का प्रयोग नींद लेन वाली दवा के रूप में होता है l
  • एक से अधिक धातुओं तथा अधातुओं के समांगी मिश्रण को मिश्र धातु कहते है l
  • मिश्र धातुओं के गुण अवयवी धातुओं के गुणों से भिन्न होते है l
  • बेंजीन अरोमैटिक प्रकार के योगिक हैं l
  • प्रथम संश्लेषित कार्बनिक यौगिक का प्रियोगशाला में निर्माण व्होलर नई किया था l
  • किसी कार्बनिक यौगिक के मुख्य गुण यौगिक के क्रियात्मक समूह पर निर्भर करता है l
  • एथेन खुली श्रृंखला का यौगिक है l
  • न चिपकने वाले खाना पकने वाले बर्तनों में टेफ्लॉन का लेप चढ़ा होता है l
  • पॉलीथिन एथिलीन के बहुलीकरण द्वारा संश्लेषित किया जाता है l
  • रेयॉन सेलुलोज से बनाया जाता है l
  • थायोकाल रबर एक प्रकार की संश्लिष्ट रबर है l
  • न्यूनतम ज्वलनशील रेशा टेरेलीन है l
  • बकेलाइट एवं फिनॉल फर्मेल्डिहाइट के सहबहुलक हैं l  
  • निप्रोप्रीन संश्लेषित रबर है l
  • रबर को वल्कनीकृत करने के लिये प्रयुक्त तत्व सल्फर है l
  • कागज पौधों के सलूलोज से बनाया जाता है l
  • प्राकृतिक रबर आइसोप्रीन का बहुलक है जो कि रबर के वृक्ष से लेटैक्स के रूप में प्राप्त होता है l
  • CFC एक ‘ हरित गृह गैस ‘ है , जो ओजोन (O) क्षरण के लिये जिम्मेदार है l
  • मीथेन को ‘मार्श’ गैस के नाम से भी जाना जाता है l
  • इथाइलीन रंगहीन गैस है इसे सूंघने से बेहोशी आ जाती है l
  • औद्योगिक स्तर पर एथाइलिन का निर्माण , पेट्रोलियम के भंजन द्वारा किया जाता है l
  • एसिटिलीन रंगहीन गैस है , कुछ अशुद्धियों के कारण इसमें लहसुन जैसी गंध होती है l
  • भीड़ को तीतर -बितर करने के लिये अश्रु गैस का उपयोग होता है l
  • मिथाइल एल्कोहल रंगहीन , ज्वनशील द्रव होता है जो अत्यधिक विषैला होता है l
  • इथाइल एल्कोहल को ‘ स्पिरिट ऑफ वाइन’ भी कहा जाता है l
  • डाई इथाइल ईथर रंगहीन , अतीवाष्पशील द्रव होता है , जिसे त्वचा में डालने से ठंडा अनुभव होता है l
  • प्लास्टिक कृत्रिम रेशे , खाद्य परिरक्षक , स्नेहक , रेजिन , एंटीफ्रीज आदि बनाने में गिलसरोल का उपयोग किया जाता है l
  • एसिटिक अम्ल , सिरके का प्रमुख अवयव होता है l
  • लैक्टिक अम्ल सभी प्रकार के दुग्ध में पाया जाता है l
  • फॉर्मिक अम्ल या मेथेनोइक अम्ल लाल चीटियों , बिच्छू तथा मधुमक्खी आदि के डंक में पाया जाता है l
  • मानव मूत्र में यूरिया पाया जाता है l  
  • कैल्शियम ऑक्ज्लेट की मात्रा अधिक हो जाने पर मानव गुर्दे में पथरी पड़ जाती है l
  • संश्लेषित रबड़ , क्लोरोप्रीन अथवा आइसोब्यूटाइलिन का बहुलक होती है l
  • नायलॉन मानव द्वारा संश्लेषित किया गया प्रथम रेशा है l
  • सोडियम बेन्जोएट का सर्वाधिक उपयोग खाघ परिरक्षक के रूप में होता है l
  • अपमार्जक कठोर जल के साथ कैल्शियम एवं मैग्नीशियम के घुलनशील लवण बनाते है l
  • कैनोलो, जेट्रोफा, सैलिफॉर्निया आदि पौधों से हरित डीज़ल प्राप्त किया जाता है l
  • गैसेहॉल में 90 % सीसा रहित पेट्रोल तथा 10 % एल्कोहल का मिश्रण होता है l
  • निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में तेलों के हाइड्रोजनीकरण द्वारा खाघ वनस्पति तेल, वनस्पति घी में बदल दिये जाते है l
  • ग्रेफाइट एक स्नेह (लुब्रिकेंट) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है l
  • यूरेनियम जीवाश्म ईंधन नहीं है l
  • सभी जैव यौगिक का अनिवार्य मूल तत्व कार्बन है l
  • बुलेटप्रूफ पदार्थ बनाने के लिये पोलिऐमाइड नामक बहुलक प्रयुक्त होता है l

          Hiii Frndzzzz!!!!!!

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                        Hell Lot of Thanxxx

Monday, August 29, 2022

गति (Motion)

Motion
गति

                            गति (Motion)

                                By:-- Nurool Ain Ahmad

      हम अपने चारों ओर की सृष्टि को देखकर पाते हैं कि कुछ वस्तुओं में समय के साथ-साथ उनकी स्थिति में परिवर्तन होता है, जबकि कुछ अपने स्थान पर ही स्थित रहती हैं, उदाहरणस्वरूप हमारे सामने से जाती रेलगाड़ी, मोटर आदि की स्थिति में समय के साथ परिवर्तन होता है, जबकि मेज पर पड़ी किताब आदि में परिवर्तन नहीं होता है। इससे पता चलता है कि हमारे चारों ओर स्थित वस्तुएँ या तो स्थित हैं या गतिमान हैं परन्तु वस्तु की यह स्थिरता अथवा गति हमारे सापेक्ष है, जैसे चलती रेलगाड़ी के डिब्बे में बैठा यात्री रेल पटरी की अपेक्षा गति में है, किन्तु डिब्बा के आपेक्षिक वह विराम है। अत: किन वस्तुओं की अपेक्षा कोई वस्तु गति में है, उन वस्तुओं को बताना जरूरी है परिभाषा से हम देखते हैं कि स्थिरता अथवा गति की अवस्थाओं का वर्णन सापेक्ष होता है।

           गति के प्रकार  (Type of Motion)

     सरलरेखीय गति (Uniform Motion):-  जब एक वस्तु एक सीधी रेखा में गतिमान हो तो उसकी गति सरलरेखीय कहलाती है। उदाहरण-ढाल पर नीचे सरकता बालक, हाइवे पर चलती कार आदि।

       वक्रीय गति (Angular Motion):-  जब एक वस्तु किसी वक्रीय मार्ग के साथसाथ गतिमान हो, उसकी गति वक्रीय गति कहलाती है। उदाहरण-किसी वक्रीय सड़क पर मोड़ काटती गतिमान कार।

        वृत्तीय गति (Circular Motion):-  जब एक वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर इस तरह गतिमान हो कि उसकी गति किसी बिन्दु पर स्पर्श रेखा डालकर प्रदर्शित की जा सक जब उसकी गति वृत्ताकार कहलाती है। उदाहरण, सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति, परमाणु में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन की गति आदि।

         कम्पनीय गति(Vibration Motion):-  जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिन्दु के इधर-उधर गति करती है तो उसे कम्पनीय गति कहते हैं, जैसे-घड़ी के लोलक का अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर दोलन करना।

                        दूरी (Distance)

किसी दिये गये समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किये गये मार्ग की लम्बाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि है व सदैव धनात्मक होती है।

                        विस्थापन (Displacement)

किसी विशेष दिशा में गतिशील वस्तु के स्थित परिवर्तन को उसका विस्थापन कहते हैं। विस्थापन एक सदिश राशि है।

ज्ञातव्य है कि दूरी व विस्थापन में मुख्य अन्तर यह है कि वस्तु का विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक व शून्य कुछ भी हो सकता है, परन्तु दूरी सदैव धनात्मक होती है। जैसे हम किसी पत्थर को पृथ्वी से एक मीटर की ऊंचाई तक फेंकते हैं तथा पत्थर पुनः अपने स्थान पर वापस लौट आता है। इस दशा में पत्थर का विस्थापन तो शून्य होगा, परन्तु उसके द्वारा चली गयी कुल दूरी दो मीटर होगी।

                         वेग (Velocity)

गतिशील वस्तु के विस्थापन की दर अर्थात् एक सेकेण्ड में हुये विस्थापन को वस्तु का वेग कहते हैं।

वेग = विस्थापन / समय

वेग एक सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। वस्तु का वेग धनात्मक व ऋणात्मक दोनों हो सकता है।

                         चाल (Speed)

किसी गतिमान वस्तु को स्थिति परिवर्तन की दर अर्थात् एक सेकेण्ड में चली गई दूरी को उस वस्तु की चाल कहते हैं।

चाल = चली गई दूरी / समय

वस्तु की चाल एक अदिश राशि है व सदैव धनात्मक होती है। इसका मात्रक मी./से. होता है।

                          त्वरण (Acceleration)

यह आवश्यक नहीं है कि जो वस्तु गतिमान है, उसका वेग सदैव एक समान ही रहे। यह भी हो सकता है कि उसका वेग भिन्न-भिन्न समयों पर भिन्न-भिन्न रहे। यदि समय के साथ वस्तु का वेग बढ़ता या घटता है तो ऐसी गति को त्वरित गति कहते हैं तथा यह बताने के लिये कि वेग में किस दर से परिवर्तन होता है, हम एक नई राशि त्वरण का प्रयोग करते हैं। अत: “किसी गतिमान वस्तु के वेग में प्रति एकांक समयान्तराल में होने वाले परिवर्तन को उस वस्तु का त्वरण कहते है।'

त्वरण = वेग में परिवर्तन / समयान्तराल

त्वरण एक सदिश राशि है। यदि किसी वस्तु का वेग t1 समय पर u1 है तथा , t2 समय पर u2 है तो-

त्वरण = u2 – u1 /t2– t1

यदि समय के साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, जिसे मन्दन कहते हैं। M.K.S. पद्धति में इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड2 होता है।

नियत त्वरण वाली गति के समीकरण

यदि कोई वस्तु एक नियत त्वरण से एक ऋणु रेखा में चल रही हो तो उसके वेग, विस्थापन, समय तथा त्वरण के पारस्परिक सम्बन्धों को समीकरणों के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। यह समीकरण गति के समीकरण कहलाते हैं।

माना कि कोई वस्तु वेग u से चलना प्रारम्भ करती है तथा उसमें एक नियत त्वरण a है। माना कि t सेकण्ड में वस्तु s दूरी तय कर लेती है तथा उसका v वेग हो जाता है। तब u,a,t,s और v के सम्बन्धों को निम्न समीकरणों से व्यक्त किया जा सकता है -

V = u + at

S = ut + 1/2 at2

तथा  V2 = u2 + 2as

यहाँ यह बात महत्वपूर्ण है कि ये समीकरण तभी लागू होता है जब त्वरण नियत हो तथा गति सरल रेखा में हो।

            गति के नियम 

वस्तुओं की किसी आनत तल पर गति को देखकर गैलीलियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि जब तक कोई बाह्य बल कार्य नहीं करता, वस्तुएँ एक निश्चित गति से चलती हैं। उन्होंने देखा कि काँच की गोली आनत तल पर लुढ़कती है तो उसका वेग बढ़ जाता है। गोली असंतुलित गुरुत्वीय बल के कारण नीचे गिरती है और नीचे पहुँचते-पहुँचते यह एक निश्चित वेग प्राप्त कर लेती है। जब यह काँच की गोली ऊपर की ओर चढ़ती है तब इसका वेग घटता है। दोनों ओर से एक आदर्श घर्षणरहित आनत तल पर एक गोली स्थिर है। गैलीलियो ने तक दिया कि जब गोली को बाईं ओर से छोड़ा जाता है तब यह ढाल पर नीचे की ओर लुढ़केगी तथा दाई ओर के आनत तल पर उतनी ही ऊँचाई तक जाएगी, जितनी ऊँचाई से उसे छोड़ा गया था। यदि दोनों ओर के तलों के झुकाव समान हैं तो गोली उतनी ही दूरी चढ़ेगी जितनी दूर तक कि वह लुढ़की थी। अगर दाई ओर के आनत तल के कोण को धीरे- धीरे कम किया जाए तो गोली को मूल ऊँचाई प्राप्त करने के लिए क्षैतिज तल पर लगातार चलती रहेगी। यहाँ गोली पर लगने वाला असंतुलित बल शून्य है। इस प्रकार यह ज्ञात होता है कि गोली की गति को बदलने के लिए एक असंतुलित बाह्य की आवश्यकता होती है लेकिन गोली की गति को एकरूप बनाए रखने के लिए किसी नेट बल की आवश्यकता नहीं होती है। वास्तविक अवस्था में शून्य असंतुलित बाह्य बल प्राप्त करना कठिन है। ऐसा गति की विपरीत दिशा में लगने वाले घर्षण बल के कारण होता है। इस प्रकार व्यवहार में गोली कुछ दूर चलने के बाद रुक जाती है। घर्षण के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए चिकनी काँच की गोली तथा चिकने समतल का प्रयोग एवं समतल की सतह पर चिकनाईयुक्त पदार्थ को लेप किया जाता है।

न्यूटन ने बल एवं गति के बारे में गैलीलियो के विचारों को आगे विकसित किया। उन्होंने तीन मौलिक नियमों को प्रस्तुत किया जो किसी वस्तु की गति को वर्णित करते हैं। इन नियमों को न्यूटन के गति के नियमों के नाम से जाना जाता है।

                            गति का प्रथम नियम (First Law of Motion)

प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा के एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो।

दूसरे शब्दों में, सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं। गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या एकसमान वेग के गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। यही कारण है कि गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

किसी मोटर गाड़ी में यात्रा करते समय होने वाले अनुभवों की व्याख्या जड़त्व के नियम द्वारा की जा सकती है। सीट के सापेक्ष हम तब तक विरामावस्था में रहते हैं जब तक कि मोटरगाड़ी को रोकने के लिए ब्रेक न लगाया जाए। ब्रेक लगाए जाने पर गाड़ी के साथ सीट भी विरामावस्था में आ जाती है, परंतु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिज अवस्था में ही बने रहने की प्रवृत्ति रखता है। अचानक ब्रेक लगने पर सीट के आगे लगे पैनल से टकराकर हम घायल भी हो सकते हैं। इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा बेल्ट का उपयोग किया जाता है। ये सुरक्षा बेल्ट हमारे आगे बढ़ने की गति को धीमा करती है। इसके विपरीत अनुभव हमें तब होता है जब हम मोटर बस में खड़े होते हैं एवं मोटर बस अचानक चल पड़ती है। इस स्थिति में हम पीछे की ओर झुक जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मोटर बस के अचानक गति में आ जाने से हमारा पैर, जो मोटर बस के फर्श के संपर्क में रहता है, गति में आ जाता है। परंतु शरीर का ऊपरी भाग जड़त्व के कारण इस गति का विरोध करता है।

जब कोई मोटरकार तीव्र गति के साथ किसी तीक्ष्ण मोड़ पर मुड़ती है तो हम एक ओर झुकने लगते हैं। इसे भी जड़त्व के नियम से समझा जा सकता है। हमारा शरीर अपनी एक सरल रेखीय गति को बनाए रखना चाहता है। जब मोटर कार की दिशा को बदलने के लिए इंजन द्वारा एक असंतुलित बल लगाया जाता है तब हम अपने शरीर के जड़त्व के कारण सीट पर एक ओर झुक जाते हैं।

       जड़त्व तथा द्रव्यमान (Inertia and Mass)

प्रत्येक वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। चाहे वह विरामावस्था में हो या गतिशील, वह अपनी मूल अवस्था को बनाए रखना चाहती है। वस्तु का यह गुण उसका जड़त्व कहलाता है। क्या सभी वस्तुओं का जड़त्व समान होता है? हम जानते हैं कि पुस्तकों से भरे बक्से को धक्का देने की अपेक्षा खाली बक्से को धक्का देना आसान होता है। उसी प्रकार हम एक फुटबॉल को किक लगाते हैं तो वह दूर चली जाती है जबकि अगर हम उतने ही बल से किसी उतने ही बड़े पत्थर पर किक लगाएँ, तो हो सकता है कि वह खिसके भी नहीं हो सकता है कि ऐसा करते समय हमें ही चोट लग जाए। एक ठेलागाड़ी को चलाने के लिए जितने बल की आवश्यकता होती है, उतना बल यदि किसी रेलगाड़ी पर लगाया जाए तो उसकी गति में न के बराबर परिवर्तन होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रेलगाड़ी का जड़त्व ठेलागाड़ी से अधिक है। इससे स्पष्ट है कि भारी वस्तुओं का जड़त्व उसके द्रव्यमान से मापा जाता है। अत: हम जड़त्व और द्रव्यमान को निम्न रूप में परिभाषित कर सकते हैं -

किसी भी वस्तु का जड़त्व उसका वह प्राकृतिक गुण है, जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है। इस प्रकार किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।

        गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion)

गति का प्रथम नियम यह बताता है कि जब कोई असंतुलित बाह्य बल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो उसके वेग में परिवर्तन होता है अर्थात् वस्तु त्वरण प्राप्त करती हैं अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उस पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उस बल को हम कैसे मापते हैं। आइए कुछ दैनिक अनुभवों का अध्ययन करें। टेबल-टेनिस खेलने के दौरान यदि गेंद किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है, तो वह घायल नहीं होता। गति से आती हुई क्रिकेट की गेंद किसी दर्शक को लगने के बाद उसको घायल कर सकती है। सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक

    संवेग-संरक्षण के नियम (Law of Conservation of Momentum)

संरक्षण के समस्त नियमों; जैसे-संवेग, ऊर्जा, कोणीय संवेग, आवेश आदि के संरक्षण को भौतिकों में मौलिक नियम माना जाता है। ये सभी संरक्षण नियम प्रायोगिक प्रेक्षणों पर आधारित हैं। यह स्मरण रखना आवश्यक है कि संरक्षण के नियमों को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। इन्हें प्रयोगों के द्वारा ही सत्यापित या खंडित किया जा सकता है। किसी भी संरक्षण नियम के अनुकूल प्रयोग के परिणाम उस नियम को सत्यापित तो करते हैं, लेकिन सिद्ध नहीं करते। दूसरी ओर, यदि एक भी प्रयोग के परिणाम इस नियम के विरुद्ध हों तो यह संरक्षण नियम को खंडित करने के लिए पर्याप्त होगा।

संवेग संरक्षण का नियम विभिन्न प्रकार के निरीक्षणों एवं प्रयोगों के पश्चात् निगमित किया गया है। इस नियम को लगभग तीन शताब्दी पूर्व प्रतिपादित किया गया था। इस नियम को खंडित कर सकने वाली किसी स्थिति का अभी तक कोई अनुभव ज्ञात नहीं है। विभिन्न दैनिक अनुभवों को संवेग संरक्षण के नियम के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है।

से कोई दुर्घटना नहीं होती। परंतु 5 ms-1 जैसी कम गति से चलते हुए ट्रक से टक्कर, रास्ते में खड़े किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है। एक छोटे द्रव्यमान की वस्तु जैसे गोली को अगर बंदूक से तीव्र वेग से छोड़ा जाए तो वह भी किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है। इससे पता चलता है कि वस्तु के द्वारा उत्पन्न प्रभाव वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग पर निर्भर करता है। इसी प्रकार यदि किसी वस्तु को त्वरित किया जाता है, तो अधिक वेग प्राप्त करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग से संबंधित एक महत्वपूर्ण राशि होती है। संवेग नामक इस राशि को न्यूटन ने प्रस्तुत किया था। किसी वस्तु का संवेग p उसके द्रव्यमान m  और वेग v के गुणनफल से परिभाषित किया जाता है।

p = mv

संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है, जो वेग v की होती है। संवेग का SI  मात्रक किलोग्राम-मीटर/सेकंड होता है। चूंकि किसी असंतुलित बल के प्रयेाग से उस वस्तु के वेग में परिवर्तन होता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि बल ही संवेग को भी परिवर्तित करता है।

एक ऐसी अवस्था के बारे में विचार करें जिसमें खराब बैटरी वाली एक कार को सीधी सड़क पर 1 ms-1 की गति प्रदान करने के लिए धक्का दिया जाता है, जो कि उसके इंजन को स्टार्ट करने के लिए पर्याप्त है। यदि एक या दो व्यक्ति इसे अचानक धक्का देते हैं तो भी यह स्टार्ट नहीं होती। लेकिन कुछ समय तक लगातार धक्का देने से कार उस गति को प्राप्त कर देती है। इससे स्पष्ट है कि कार के संवेग में परिवर्तन केवल बल के परिमाण से नहीं होता है, बल्कि उस समय से है जितने समय तक उस पर बल लगाया जाता है। इससे यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वस्तु के संवेग में परिवर्तन लाने में लगने वाला बल उसकी उस समय दर पर निर्भर करता है, जिसमें कि संवेग में परिवर्तन होता है।

गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाली असंतुलित बल की दिशा में समय समानुपातिक होती है।

F = Р2 –Р1 / t2 – t1

                 गति का तृतीय नियम (Third Law of Motion)

पहले दोनों गति के नियमों से हमें ज्ञात होता है कि कोई प्रयुक्त बल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाता है तथा इनमें हमें बल को मापने की विधि भी प्राप्त होती है। गति के तीसरे नियम के अनुसार, जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु द्वारा तात्क्षणिक बल लगाया जाता है, ये दोनों बल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। ये बल कभी एक ही वस्तु पर कार्य नहीं करते हैं। फुटबॉल के खेल में प्राय: हम गेंद को तेज गति से किक मारने के क्रम में विपक्षी टीम के खिलाड़ी से टकरा जाते हैं। इस क्रम में दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे पर बल लगाते हैं, अतएव दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी एकल बल का अस्तित्व नहीं होता बल्कि ये सदैव युगल रूप में होते हैं। इन दोनों विरोधी बलों को क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है।

माना कि दो स्प्रिंग तुलाएँ एक-दूसरे से जुडी हैं, तुला B का स्थिर सिरा दीवार से जुड़ा है। जब तुला A के मुक्त सिरे पर बल लगाया जाता है तब हम पाते हैं कि दोनों तुलाएँ एक ही मान दर्शाती हैं। अर्थात् तुलना A द्वारा तुला B पर प्रयुक्त बल तुला B के द्वारा तुला A पर लगाए गए बल के परिमाण में समान है परंतु इन दोनों बलों की दिशाएँ परस्पर विपरीत हैं। तुला A के द्वारा तुला B पर लगाया गया बल प्रतिक्रिया है। अत: गति के तृतीय नियम को इस प्रकार भी व्यक्त किया जाता है: किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके समान कितु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। यद्यपि यह अवश्य याद रखना चाहिए कि क्रिया और प्रतिक्रिया बल सदैव दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।

माना कि आप विश्राम की अवस्था में हैं और सड़क पर चलना प्रारंभ करते हैं। द्वितीय नियम के अनुसार इसके लिए एक बल की आवश्यकता होती है, जो आपके शरीर में त्वरण उत्पन्न करता हैं यह कौन-सा बल है? क्या यह पेशीय बल है, जो आप सड़क पर लगाते हैं? क्या यह बल हम उसी दिशा में लगाते हैं, जिस दिशा में हम आगे बढ़ते हैं? नहीं, हम सड़क के पृष्ठ को अपने पैरों से पीछे धकेलते हैं। सड़क भी आपके पैर पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाती है जिसके प्रभाव से आप आगे बढ़ते हैं।

यह जानना आवश्यक है कि यद्यपि क्रिया और प्रतिक्रिया बल परिमाण में हमेशा समान होते हैं फिर भी ये बल एक समान परिमाण के त्वरण उत्पन्न नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक बल अलग-अलग द्रव्यमान की वस्तुओं पर कार्य करता है।

बंदूक से गोली छोड़ने की अवस्था में, बंदूक द्वारा गोली पर आगे की ओर एक बल आरोपित होता है। गोली भी बंदूक पर एक समान परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया बल लगाती है। इससे बंदूक पीछे की ओर प्रतिक्षेपित होती है। चूंकि बंदूक का द्रव्यमान गोली के द्रव्यमान से अधिक होता है। अत: बंदूक का त्वरण गोली के त्वरण से काफी कम होता है। एक नाविक द्वारा नाव से आगे की ओर कूदने की स्थिति में भी, गति के तीसरे नियम को प्रदर्शित किया जा सकता है। नाविक आगे की ओर कूदता है तो नाव पर लगने वाला प्रतिक्रिया बल नाव को पीछे की ओर धकेलता है।

      गुरूत्वीय गति के समीकरण

पृथ्वी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है। इस खिंचाव के कारण पृथ्वी की ओर, स्वतंत्रतापूर्वक गिरती हुई वस्तु में एक नियम त्वरण उत्पन्न हो जाता है। इसे गुरूत्वीय त्वरण कहते हैं तथा g से प्रदर्शित करते हैं। इसका मान लगभग 9.8 मीटर/सेकेण्ड2 होता है या 32.2 फीट सेकेण्ड2 है (अथवा पृथ्वी से ऊपर फेंकी गई) वस्तुओं की गति को गुरूत्वीय गति कहते हैं। यदि हम गति के तीनों समीकरणों में d के स्थान पर g रख दे तथा S (दूरी) के स्थान पर h ऊंचाई रख दें तो पृथ्वी की ओर गिरती हुई वस्तुओं के लिए समीकरण आ जायेंगे।

अर्थात्

(i) V = u + gt

(ii) h = ut + 1/2 gt2

(iii) V2 = u2 + 2gh

यदि वस्तु किसी ऊंचाई से मुक्त रूप से छोड़ी गई है तो वस्तु का प्रारम्भिक वेग u = o होगा।

गुरूत्वीय तत्वरण g की दिशा केन्द्र पृथ्वी के केन्द्र की ओर होती है अत: जब हम किसी वस्तु को पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकते हैं तो इसमें गुरूत्वीय मंदन उत्पन्न होता है, जिसके कारण इसका वेग लगातार घटता है तथा कुछ ऊंचाई पर पहुंचने के बाद ही वस्तु गुरूत्वाकर्षण के कारण नीचे चलने लगती है और गुरूत्वीय त्वरण के कारण बढ़ते हुये वेग से पृथ्वी पर आ जाती है। पृथ्वी से ऊपर की ओर जाती हुई वस्तु की गति के समीकरण प्राप्त करने के लए हम गति के समीकरणों में g के स्थान पर –g रखेंगे।

(i) V = u - gt

(ii) h = ut — 1/2 gt2

(iii) V2= u2- 2gh

  प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion)

जब कोई वस्तु क्षैतिज से कोई कोण बनाते हुए उर्ध्वाधर तल में प्रक्षेपित की जाती है तो उसका पथ परवलय होता है। पिण्ड की यह गति प्रक्षेप्य गति कहलाती है। यह समान वेग से क्षैतिज गति तथा समान त्वरण से उर्ध्वाधर गति का परिणाम है।

   उड्डयन काल (Time of Flight)

पिण्ड को फेंकने तथा उसके वापस पृथ्वी पर गिरने तक के बीच के समय को उड्डयन काल कहते हैं।

    परास (Range)

पिण्ड अपने उड्डयन काल में जितनी क्षैजित दूरी तय करता है, उसे परास कहते हैं।

     एकसमान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion)

एक वृत्तीय पथ के साथ-साथ किसी पिण्ड की गति वृत्तीय गति कहलाती है। वृतीय गति के दौरान, किसी निश्चित बिन्दु पर गति की दिशा को उस बिन्दु पर स्पर्श रेखा डालकर जाना जाता है। उदाहरण

       1. पृथ्वी तथा अन्य ग्रह सूर्य को इर्द-गिर्द वृत्तीय पथ पर चक्कर काटते हैं।

       2. चन्द्रमा भी पृथ्वी के इर्द-गिर्द वृत्तीय पथ पर गतिशील है।

       3. एक मजबूत धागे से बंधा पत्थर जब घुमाया/हिलाया जाता है, तो वह पत्थर की वृत्तीय गति को संकेतित करता है।

वृत्ताकार पथ पर चलने के लिए वस्तु को अपनी दिशा प्रत्येक बिंदु पर बदलनी पड़ेगी। अतः वृत्त में एक समान चाल से चल रही वस्तु की चाल में कोई परिवर्तन नहीं होता, किंतु वस्तु की गति की दिशा लगातार बदलती रहती है। अथात्, एक समान वृत्तीय गति में वेग का परिमाण अचर रहता है और वेग की दिशा हर बिंदु पर स्पर्श रेखा की दिशा में होती है। अतएव एकसमान चाल में एकसमान वेग अंतनिर्हित नहीं है।

कोणीय वेग को समय के सापेक्ष कोणीय विस्थापन के परिवर्तन की दर के रूप में परिभाषित किया जाता है। कोणीय वेग को ग्रीक अक्षर ω से प्रदर्शित किया जाता है।

इस प्रकार

वेग ω = कोणीय विस्थापन / समय = θ / t  रेडियन

कोणीय विस्थापन: गतिशील वस्तु को वृत्त के केन्द्र से जोड़ने वाली रेखा द्वारा कोण कोणीय विस्थापन कहलाता है। कोणीय विस्थापन को रेडियन मात्रकों में मापा जाता है।

कोणीय त्वरण: कोणीय वेग को परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं।

कोणीय त्वरण का मात्रक रेडियन/सेकण्ड2 है। तथा विमीय सूत्र T2 है।

       अभिकेन्द्र त्वरण (Centripetal Acceleration)

जब कोई कण एकसमान वृत्तीय गति करता है तो कण की चाल अचर होते हुए भी उसकी दिशा लगातार बदलती रहती है अर्थात् उसका वेग निरन्तर बदलता रहता है। अत: वृत्तीय गति में त्वरण रहता है। इस त्वरण की दिशा सदैव उस वृत्त के केन्द्र की ओर रहती है। अत: इसे अभिकेन्द्र त्वरण कहते हैं।

जहाँ a, उस कण का अभिकद्रीय त्वरण, r वृत्त की त्रिज्या, v रेखीय वेग तथा कोणीय वेग है।

a = v2/ अथवा a = rω2

        अभिकेन्द्रीय तथा अपकेन्द्रीय बल (Central and Centrifugal Force)

जब कोई पिण्ड किसी वृत्तीय मार्ग पर चलता है, तो उस पर मार्ग के केन्द्र की ओर एक बल लगता है, जिसे अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं। अत: जहाँ F बल, m वृत्तीय गति करती हुई वस्तु का द्रव्यमान, v वेग तथा r त्रिज्या है।

न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार इस बल का एक प्रतिक्रिया बल, जो कि परिमाण में अभिकेन्द्रीय बल के बराबर परन्तु इसकी दिशा अभिकेन्द्रीय बल के विपरीत अर्थात् केन्द्र से बाहर की ओर होती है, लगता है। इस प्रतिक्रिया बल को ही अपकेन्द्रीय बल कहते हैं। सर्कस में मौत के कुयें के खेल में मोटर साईकिल सवार पर दीवार द्वारा अभिकेन्द्रीय बल अन्दर की ओर लगाया जाता है, जबकि इसकी प्रतिक्रिया बल सवार द्वारा दीवार पर बाहर की ओर दीवार पर लगाया जाता है। कपड़ा सुखाने की मशीन, दूध से मक्खन निकालने की मशीन आदि आपकेन्द्रीय बल के सिद्धान्त पर कार्य करती हैं।


     गति से सम्बंधित प्रश्न – उत्तर 

जिन भौतिक राशियों को निरूपित करने की लिए परिमाण और दिशा दोनों की आवश्यकता होती है, उन्हें क्या कहते है 
Ans – सदिश राशि (जैसे – वेग, विस्थापन, बल, आवेग, संवेग, त्वरण, बल-घूर्णन आदि )

जिन भौतिक राशियों को पूर्णतः निरूपित करने के लिए परिमाण की आवश्यकता होती है, दिशा की नहीं, उन्हें क्या कहते है 
Ans – अदिश राशि ( जैसे – कार्य, समय, ऊर्जा, विद्युत धारा, ताप, दाब, दूरी, द्रव्यमान, चाल, आयतन आदि )

किसी दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय किये गए मार्ग की लम्बाई को क्या कहते हैं 
Ans – दूरी ( यह सदैव धनात्मक होती है )

एक निश्चित दिशा में दो बिंदुओं के बीच की न्यूनतम दूरी को क्या कहते है 
Ans – विस्थापन (S.I मात्रक – मीटर, यह धनात्मक,ऋणात्मक और शून्य हो सकता है )

किसी वस्तु द्वारा प्रतिसेकेंड तय की गई दूरी को क्या कहते है 
Ans – चाल (S.I मात्रक – मीटर / सेकेण्ड )

चाल किसके बराबर होती है
Ans – दूरी / समय

एक निश्चित दिशा में प्रति सेकेण्ड वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को क्या कहते हैं 
Ans – वेग (S.I मात्रक – मीटर / सेकेण्ड )

किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को क्या कहते हैं 
Ans – त्वरण (S.I मात्रक – मीटर / सेकेण्ड^2 )

यदि समय के साथ किसी वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, ऋणात्मक त्वरण को क्या कहते हैं
Ans – मंदन

जब कोई वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर गति करती है, तो उसके गति को क्या कहते हैं 
Ans – वृत्तीय गति

यदि वृत्ताकार मार्ग पर गति करती हुई वस्तु एकसमान चाल से गति करती है, तो उसकी गति को क्या कहते है  
Ans – एकसमान वृत्तीय गति

समरूप वृत्तीय गति किस प्रकार की गति होती है 
Ans – त्वरित गति

वृत्ताकार मार्ग पर गतिशील कण को वृत्त के केंद्र से मिलाने वाली रेखा एक सेकेण्ड में जितने कोण से घूम जाती है,उसे उस कण का क्या कहते हैं
Ans – कोणीय वेग

रेखीय चाल किसके गुणनफल के बराबर होता है
Ans – कोणीय चाल * त्रिज्या

भौतिकी का पिता किसे कहा जाता है 
Ans – न्यूटन

न्यूटन ने गति विषयक नियम किस पुस्तक में प्रतिपादित किए 
Ans – प्रिंसिपिया

न्यूटन ने किस वर्ष में गति के नियम प्रतिपादित किए 
Ans – 1687 ई० में
गति के प्रथम नियम को अन्य किस नाम से जाना जाता है 
Ans – गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम
बाह्य बल के अभाव में किसी वस्तु की अपनी विरामावस्था या समान गति की अवस्था को बनाये रखने की प्रवृत्ति को क्या कहते है
Ans – जड़त्व
न्यूटन के गति के प्रथम नियम से किसकी परिभाषा मिलती है 
Ans – बल की
ऐसा बाह्य बल जो किसी वस्तु की अवस्था में परिवर्तन करता है या परिवर्तन करने की चेष्टा करता है, क्या कहलाता है
Ans – बल ( M.K.S पद्धति में मात्रक – न्यूटन )
बल किसका गुणनफल है 
Ans – द्रव्यमान और त्वरण
पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण का मान कितना होता है 
Ans – 9.8 मीटर / सेकेण्ड वर्ग
यदि कोई वस्तु विरामावस्था में हो, तो उसका वेग कितना होगा 
Ans – शून्य
जब कोई वस्तु विरामावस्था से चलना प्रारम्भ करता है, तो उसका वेग कितना होता है
Ans – शून्य
कोई पिण्ड एकसमान वेग से गतिमान है, तो उसमे त्वरण कितना होगा
Ans – शून्य
एक व्यक्ति दीवार को धक्का देता है और उसे विस्थापित करने में असफल हो जाता है तो उसके द्वारा किया गया कार्य कितना होगा 
Ans – शून्य
जब कोई व्यक्ति चन्द्रमा पर उतरता है तो उसके भार में क्या परिवर्तन होता है
Ans – भार में कमी प्रतीत होती है
ठहरी हुई मोटर या रेलगाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उसमे बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते है,ऐसा किस कारण से होता है 
Ans – जड़त्व के कारण से
चलती हुई मोटर कार के अचानक रुकने पर उसमे बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं,ऐसा किस कारण से होता है 
Ans – जड़त्व के कारण से
कम्बल को हाथ से पकड़कर डण्डे से पीटने पर धूल के कण किस कारण झड़कर गिर पड़ते हैं 
Ans – जड़त्व के कारण से
किसी वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल को क्या कहते हैं 
Ans – संवेग (S.I मात्रक – किग्रा -मी / सेकेण्ड )
किग्रा के विपरीत प्रतिक्रिया का होना किसका नियम है 
Ans – न्यूटन का तृतीय नियम
बन्दूक से गोली चलने पर, चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगना किस नियम का उदाहरण है 
Ans – न्यूटन का तृतीय नियम
नाव से किनारे पर कूदने पर नाव को पीछे की ओर हट जाना किस नियम का उदहारण है 
Ans – न्यूटन का तृतीय नियम
राकेट को उड़ाने में कौन सा नियम सहायक है 
Ans – न्यूटन का तृतीय नियम
यदि कणों के किसी समूह या निकाय पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा हो तो उस निकाय का कुल संवेग नियत रहता है, यह किस सिद्धांत को निरूपित करता है 
Ans – संवेग संरक्षण का नियम
बल तथा समयअंतराल के गुणनफल को क्या कहते हैं 
Ans – आवेग ( मात्रक – न्यूटन सेकेण्ड )
आवेग किसके बराबर होता है 
Ans – संवेग परिवर्तन के
आवेग की दिशा किसके दिशा के समान होती है 
Ans – बल की
जब कोई वस्तु किसी वृत्ताकार मार्ग पर चलती है तो उस पर एक बल वृत्त के केंद्र की ओर कार्य करता है, इस बल को क्या कहते हैं 
Ans – अभिकेंद्रीय बल
किस बल के अभाव में वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर नहीं चल सकती है 
Ans – अभिकेंद्रीय बल
अभिकेंद्रीय बल का सूत्र क्या होता है 
Ans – F = mv^2 / r
ऐसे बल जिन्हे परिवेश में किसी पिंड से सम्बंधित नहीं किया जा सकता, क्या कहलाते हैं 
Ans – छदम बल या जड़त्वीय बल
अपकेंद्रीय बल की दिशा क्या है 
Ans – अभिकेंद्रीय बल के विपरीत
दूध से मक्खन निकालने की मशीन किस सिद्धांत पर कार्य करती है 
Ans – अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर


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भौगोलिक शब्दावली -2 (Geographical terminology -2)

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